खतरनाक रसायनों से होने वाले कैंसर पर कानूनी निर्णय

मोनसेंटो
मोनसेंटो

मोनसेंटो (फोटो साभार - प्योर पीएनजी)हाल ही में कैलिफोर्निया की एक अदालत ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में मोनसेंटो बहुराष्ट्रीय कम्पनी को जानसन नामक एक व्यक्ति को लगभग 29 करोड़ डालर की क्षतिपूर्ति राशि देने को कहा। यह कम्पनी ग्लाइफोसेट (glyphosate) नामक खतरनाक रसायन बनाती है जिसे वह राउंड अप (roundup) व रेंजरप्रो (ranger pro) ब्रांड नाम से बेचती है। जानसन का कार्य स्कूलों के मैदानों की देख-रेख था। उसने इन खरपतवारनाशकों का छिड़काव वर्षों तक किया जिससे उसे रक्त कोशिका का एक गम्भीर कैंसर हो गया जिसे नॉन-हाजकिन लिम्फोमा (Non-Hodgkin lymphoma) कहा जाता है। उसे कम उम्र में ही अन्तहीन कष्ट सहने पड़े और इस बीमारी के इलाज की सम्भावना नहीं के बराबर है।

इस मुकदमे के दौरान यह भी देखा गया कि इस खरपतवारनाशक (herbicide) को किसी-न-किसी तरह सुरक्षित सिद्ध कर पाने के लिये कम्पनी ने स्वयं तथ्य गढ़े और फिर किसी विशेषज्ञ का नाम उससे जोड़ दिया। यह इसके बावजूद किया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़ी कैंसर पर अन्तरराष्ट्रीय अनुसन्धान की एजेंसी (International Agency for Research on Cancer - IARC) ने वर्ष 2015 में ही इस खरपतवारनाशक से जुड़ी कैंसर की सम्भावना के बारे में बता दिया था।

ग्लाइफोसेट से स्वास्थ्य के गम्भीर खतरों के बारे में जानकारियाँ समय-समय पर मिलती रहीं हैं। भारत में भी इसका उपयोग होता है। इसके अतिरिक्त हमारे देश में आयातित दालों व कुछ अन्य खाद्यों पर इनका उपयोग काफी बड़े पैमाने पर हुआ है।

ग्लाइफोसेट का उपयोग जी.एम. फसलों के साथ भी नजदीकी तौर से जुड़ा रहा है। अतः ग्लाइफोसेट के गम्भीर खतरों के सामने आने से जी.एम. फसलों से जुड़े खतरों की पुष्टि होती है।

बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ जैसे मोनसेंटो व बेयर (जो 62 अरब डालर के सौदे में आपस में मिल गई हैं) बीज और कृषि रसायनों के व्यवसाय को साथ-साथ कर रही हैं व कई फसलों (विशेषकर जी.एम. फसलों) के बीजों के साथ ही उनके लिये उपयुक्त खरपतवारनाशकों, कीटनाशकों आदि को भी बेचा जाता है जिससे कम्पनियों की कमाई बहुत तेजी से बढ़ती है और किसानों का खर्च और कर्ज उससे भी तेजी से बढ़ते हैं।

 

 

अमेरिका की दिग्गज कृषि रसायन कम्पनी मोनसेंटो (Monsanto Company) अपने उत्पादों से कैंसर फैलने को लेकर कानूनी पचड़े में फँस गई है। कैलिफोर्निया के एक कैंसर पीड़ित ने अपनी बीमारी के लिये कम्पनी को जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा किया और अदालत ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में मोनसेंटो बहुराष्ट्रीय कम्पनी को जानसन नामक एक व्यक्ति को लगभग 29 करोड़ डॉलर की क्षतिपूर्ति राशि देने को कहा। इस उत्पाद में मुख्य रूप से ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसे कई विशेषज्ञ कैंसर का कारण मानते हैं।

खरपतवारनाशकों का उपयोग खेतों के अतिरिक्त शहरों के लॉन, बगीचे आदि में हो रहा है। जानसन का कार्य तो स्कूलों के मैदान को ठीक रखना व खरपतवार हटाना था जिसके लिये उसने वर्षों तक इस खतरनाक रसायन का छिड़काव स्कूल में किया। आगे सवाल यह है कि इसका स्कूल के बच्चों पर क्या असर हुआ होगा।

जानसन की ओर से मुकदमा जिन वकीलों की टीम ने लड़ा, उनमें एडवर्ड केनेडी भी थे जिनके इसी नाम के विख्यात सेनेटर पिता थे। एडवर्ड केनेडी ने मुकदमे में जीत के बाद कहा कि इस तरह के उत्पादों की बिक्री के कारण न केवल बहुत से लोग गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं से त्रस्त हो रहे हैं, अपितु अनेक अधिकारियों को भ्रष्ट किया जा रहा है। प्रदूषण से बचाने वाली एजेंसियों पर नियंत्रण किया जा रहा है व विज्ञान को झुठलाया जा रहा है।

‘अमेरिका की माताएँ’ (Moms across america) की संस्थापक जेन हनीकट ने अदालत के इस निर्णय का स्वागत करते हुए मानवता के लिये व धरती पर पनप रहे सभी तरह के जीवन के लिये इसे एक जीत बताया है।

फ्रांस की सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट टू दी मिनिस्टर फॉर इकोलॉजिकल एंड इन्क्लूसिव ट्रांजीशन ब्रूने पायरसन ने इस ‘ऐतिहासिक निर्णय’ का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे राष्ट्रपति मार्कोन के तीन वर्ष में ग्लाइफोसेट पर प्रतिबन्ध लगाने के निर्णय को बल मिलता है।

भारत सहित सभी देशों को शीघ्र-से-शीघ्र ग्लाइफोसेट को प्रतिबन्धित करने के सन्दर्भ में कार्यवाही करनी चाहिए। इसके साथ सभी रासायनिक खरपतवारनाशकों, जन्तुनाशकों व कीटनाशकों के स्वास्थ्य व पर्यावरण पर दुष्परिणामों के बारे में व्यापक जन-चेतना का अभियान चलाना चाहिए जिससे इनके बारे में सही व प्रमाणिक जानकारी किसानों व सभी जनसाधारण तक पहुँच सके। इनके उपयोग को न्यूनतम करने की सम्भावनाओं पर गम्भीरता से विचार कर इस दिशा में बढ़ना चाहिए।

 

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