खेती तो उनकी, जे करे अन्हान-अन्हान।
और उनकी क्या खेती, जो देखे साँझ-बिहान।।
शब्दार्थ- अन्हान- दिन।
भावार्थ- सच्चे अर्थों में खेती उस किसान की है जो दिन-दिन भर खेत में रहता है और जो उसकी ठीक से देखभाल करता है। जो साँझ सबेरे ही देखने जाता है उसकी खेती नष्ट हो जाती है।
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