खेत खलिहानों में सूखे के संकेत किसानों की पेशानी पर चिंता की लकीरों के रूप में दिखने लगे हैं। देश के उत्तरी, पश्चिमी हिस्सों व कर्नाटक सूखे जैसे हालात की आहट सुन रहा है और किसान व पशुपालक संकट में आने लगे हैं। अनेक भागों में पेयजल का संकट खड़ा हो रहा है जबकि फल, सब्जी, दाल व चीनी के दाम बढ़ने लगे हैं। चारे की कमी ने पशुपालकों की दिक्कते बढ़ा दी हैं। देश भर से मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, ओडिशा व झारखंड में मानसून की कम बारिश का असर खेतों में बुआई, गुड़ाई से आगे निकलकर अब किसानों व पशुपालकों तक पहुंचने लगा है। इन प्रदेशों के विभिन्न इलाकों में किसानों को पशुओं के चारे पानी की चिंता सताने लगी है।
कम बारिश के कारण विशेषकर दलहनों व मोटे अनाज मक्का, ज्वार व बाजरा की बुआई प्रभावित हुई है। धान के बुआई क्षेत्र में अब तक अपेक्षाकृत 18 लाख हेक्टेयर की कमी हुई है। उम्मीद है कि इस कमी की भरपाई कर ली जाएगी क्योंकि धान की बुआई अगस्त तक हो सकती है। समूचे देश की बात की जाए तो अब तक कुल मिलाकर बारिश सामान्य से 21 फीसद कम रही है। लेकिन गुजरात व सौराष्ट्र क्षेत्र में यह कमी 78 फीसद है। मौसम विभाग का कहना है कि 27 जुलाई तक हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 71 फीसद, पंजाब में सामान्य से 67 फीसद कम बारिश हुई है।
पश्चिमी राजस्थान में इस साल अब तक 64 फीसद कम बारिश हुई है। कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में यह कमी 21-44 फीसद है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने मंत्रियों के अधिकार संपन्न समूह की मगंलवार को बैठक बुलाई है जिसमें हालात का जायजा लिया जाएगा। राज्यों ने अपनी-अपनी आपदा योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है।
सरकार ने माना है कि इस साल 2012-13 में खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहेगा। कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने पिछले हफ्ते कहा था-निश्चित रूप से इस साल 25.744 करोड़ टन का उत्पादन नहीं होगा। उत्पादन में वास्तविक कमी के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इस सीजन में अब तक खरीफ फसलों की बुआई का क्षेत्र दस फीसद घटकर 6.682 करोड़ हेक्टेयर रहा है। सबसे अधिक असर मोटे अनाज पर पड़ा है। पश्चिम बंगाल के नाडिया, दक्षिण 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बीरधूम, बांकुड़ा और पश्चिमी मदिनापुर जिलों में धान की रोपाई सबसे अधिक प्रभावित हुई है। देश भर में धान की रोपाई 18 लाख हेक्टेयर घटी है जिसमें से सात लाख हेक्टेयर पश्चिम बंगाल में है। इसी तरह जहां तक दलहन और मोटे अनाज का सवाल है तो बुआई पर सबसे अधिक प्रतिकूल असर राजस्थान में पड़ा है।
पंजाब व हरियाणा ने हालांकि हालात को बिगड़ने से बचाए रखा है। पंपसेट की मदद के कारण धान की रोपाई पिछले साल के स्तर पर पहुंच गई। पंजाब के किसान सिंचाई के लिए डीजल और बिजली पर अधिक खर्च कर रहे हैं और मंत्री समूह किसानों को डीजल सब्सिडी देने पर विचार कर सकता है।
बहुगुणा ने कहा-डीजल सब्सिडी 2009 में बिहार व तमिलनाडु में शुरू की गई थी। यह 2010 में जारी रही। मंत्री समूह इस पर विचार कर सकता है। इससे पहले 2009 में भी देश में बड़ा सूखा पड़ा था जिस कारण अनाज उत्पादन 1.6 करोड़ टन घटकर 21.8 करोड़ टन रहा। सूखे जैसे हालात से देश का बैकिंग क्षेत्र भी चिंता में है। बैंकिंग क्षेत्र को लगता है कि अगर सूखा या सूखे जैसे हालात हुए तो कृषि कर्ज का पुनर्भुगतान प्रभावित होगा। 2011-12 में इस मद में 4.76 लाख करोड़ रुपए दि गए थे। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा – अगर मानसून विफल होता है तो इसका प्रतिकूल असर कर्ज वृद्धि और अर्थव्यवस्था पर होगा। यानी कर्जदारों की कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी। बदलते हालात में उद्योग जगत की चिंता ग्रामीण इलाकों में मांग प्रभावित होने को लेकर है। उद्योग मंडल सीआईआई और एसोचैम ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि असर को कम किया जा सके।
कर्नाटक में राज्य के कृषि मंत्री यू कात्ती ने कहा-राज्य सरकार के आकलन के मुताबिक कुल 30 में से 22 जिले कम बारिश के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। गन्ने, धान व मक्के की फसल पर असर पड़ा है। राज्य के पास केवल 11 हफ्ते के लिए चारे का भंडार है। वह अतिरिक्त आपूर्ति के लिए पंजाब से बात कर रहा है।
महाराष्ट्र में औसत बारिश 79 फीसद रही है और यहां बुआई क्षेत्र में लगभग आधे की कमी आने की आशंका है। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा-खरीफ बुआई सीजन खत्म होने वाला है और 107 तालुकाओं में बुआई 50 फीसद से कम हुई है। हालात से निपटने के लिए 2,685 करोड़ रुपए की आपदा योजना तैयार की गई है। रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में सामान्य से लगभग 36 फीसद कम बारिश हुई है और फसलों की बुआई तय लक्ष्य की तुलना में लगभग आधी रह गई है। हालात से चिंतित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र से अपील की है कि मनरेगा के तहत रोजगार की संख्या को मौजूदा सौ दिन से बढ़ाकर 200 दिन किया जाए।
गुजरात में बुआई क्षेत्र अब तक 24 फीसद कम रहा है। राज्य में मानसून की बारिश सामान्य से 65 फीसद कम रही है। राज्य के सौराष्ट्र व कच्छ जैसे इलाकों में तो बारिश और भी कम हुई है। यह इलाका कपास के साथ-साथ मूंगफली व तोरिया का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। पंजाब व हरियाणा से मिलने वाली खबरों के मुताबिक बिजली की कमी के कारण इन राज्यों में हालात और बिगड़ गए हैं। राज्य सरकार ने इस मद में खर्च की पूर्ति के लिए केंद्र से अतिरिक्त कोष मांगा है।
पंजाब व हरियाणा में बेहतर सिंचाई सुविधाओं के कारण इन राज्यों में धान की बुआई लगभग लक्ष्य तक पहुंच गई है। पंजाब में लक्ष्य की तुलना में 98 फीसद इलाके में बुआई हो चुकी है। पंजाब में 12 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में 9.87 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है। पंजाब में कपास, मक्का व तिलहन और हरियाणा में बाजरा व कपास का बुआई क्षेत्र घटने की आशंका है। इन राज्यों में किसान धान की सिंचाई के लिए 1500 रुपए से 2000 रुपए प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त खर्च कर रहे हैं।
बिहार में 20 से 32 फीसद कम बारिश हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 28 प्रभावित जिलों के अधिकारियों से हालात सामान्य बनाए रखने को कहा है। राज्य ने पिछले वित्त वर्ष क्षेत्र में 16 फीसद की वृद्धि दर हासिल की थी। पटना में अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 200 करोड़ रुपए की सब्सिडी शुरू की है जिसमें से 6.85 करोड़ रुपए पहले ही बांटे जा चुके हैं। राज्य सरकार ग्रामीण इलाकों में बिजली की अधिक उपलब्धता तय कर रही है।
उत्तर प्रदेश में मानसून पांच जुलाई को देरी से आया इसलिए हालात में सुधार है। कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने कहा-पांच जुलाई के बाद से राज्य में अच्छी बारिश हुई है। अब सूखे जैसे कोई हालात नहीं है। पश्चिम बंगाल में सबसे खराब हालात दक्षिण बंगाल के जिलों में हैं। राज्य के कृषि मंत्री रबींद्रनाथ भट्टाचार्य ने कहा-दक्षिण बंगाल में औसत बारिश 26 फीसद कम है जबकि उत्तर बंगाल में सामान्य बारिश है।
झारखंड में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ए वदूद ने कहा-दस जुलाई तक सूखे जैसे हालात की चिंता थी लेकिन जुलाई में 300 मिलीमीटर सामान्य बारिश की तुलना में 225 मिलीमीटर बारिश हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में और बारिश अपेक्षित है इसलिए हालात सामान्य है। ओडिशा के 30 में से दस जिलों में बारिश सामान्य से 30-40 फीसद कम रही है। राज्य में 31 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के विपरीत 28 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है।
कावेरी से अपने हिस्से का पानी नहीं मिलने के कारण तमिलनाडु में हालात और गंभीर हो गए हैं। पानी की कमी से फसलें तबाह होने की आशंका से किसान परेशान हैं। किसान संगठन तमिलनाडु विवासायीगल संगम के अध्यक्ष के बालाकृष्णन ने चिंता जताई कि अगर मेत्तुर बांध से पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा गया तो 47.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई धान की फसल प्रभावित होगी ।
आंध्र प्रदेश में हैदराबाद से मिले समाचार के मुताबिक जुलाई के दूसरे पखवाड़े में बारिश के हालात सुधरे हैं। आंध्र प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि राज्य में सूखे जैसे हालात नहीं होंगे। छत्तीसगढ़ में किसानों को खरीफ फसलों की बुआई के लिए अब तक 1,272 करोड़ रुपए मूल्य के सब्सिडीशुदा कर्ज वितरित किए गए हैं। राज्य सरकार ने किसानों को इस मद में 1,700 करोड़ रुपए कर्ज देने का लक्ष्य रखा है।
कम बारिश के कारण विशेषकर दलहनों व मोटे अनाज मक्का, ज्वार व बाजरा की बुआई प्रभावित हुई है। धान के बुआई क्षेत्र में अब तक अपेक्षाकृत 18 लाख हेक्टेयर की कमी हुई है। उम्मीद है कि इस कमी की भरपाई कर ली जाएगी क्योंकि धान की बुआई अगस्त तक हो सकती है। समूचे देश की बात की जाए तो अब तक कुल मिलाकर बारिश सामान्य से 21 फीसद कम रही है। लेकिन गुजरात व सौराष्ट्र क्षेत्र में यह कमी 78 फीसद है। मौसम विभाग का कहना है कि 27 जुलाई तक हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 71 फीसद, पंजाब में सामान्य से 67 फीसद कम बारिश हुई है।
पश्चिमी राजस्थान में इस साल अब तक 64 फीसद कम बारिश हुई है। कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में यह कमी 21-44 फीसद है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने मंत्रियों के अधिकार संपन्न समूह की मगंलवार को बैठक बुलाई है जिसमें हालात का जायजा लिया जाएगा। राज्यों ने अपनी-अपनी आपदा योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है।
सरकार ने माना है कि इस साल 2012-13 में खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहेगा। कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने पिछले हफ्ते कहा था-निश्चित रूप से इस साल 25.744 करोड़ टन का उत्पादन नहीं होगा। उत्पादन में वास्तविक कमी के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इस सीजन में अब तक खरीफ फसलों की बुआई का क्षेत्र दस फीसद घटकर 6.682 करोड़ हेक्टेयर रहा है। सबसे अधिक असर मोटे अनाज पर पड़ा है। पश्चिम बंगाल के नाडिया, दक्षिण 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बीरधूम, बांकुड़ा और पश्चिमी मदिनापुर जिलों में धान की रोपाई सबसे अधिक प्रभावित हुई है। देश भर में धान की रोपाई 18 लाख हेक्टेयर घटी है जिसमें से सात लाख हेक्टेयर पश्चिम बंगाल में है। इसी तरह जहां तक दलहन और मोटे अनाज का सवाल है तो बुआई पर सबसे अधिक प्रतिकूल असर राजस्थान में पड़ा है।
पंजाब व हरियाणा ने हालांकि हालात को बिगड़ने से बचाए रखा है। पंपसेट की मदद के कारण धान की रोपाई पिछले साल के स्तर पर पहुंच गई। पंजाब के किसान सिंचाई के लिए डीजल और बिजली पर अधिक खर्च कर रहे हैं और मंत्री समूह किसानों को डीजल सब्सिडी देने पर विचार कर सकता है।
बहुगुणा ने कहा-डीजल सब्सिडी 2009 में बिहार व तमिलनाडु में शुरू की गई थी। यह 2010 में जारी रही। मंत्री समूह इस पर विचार कर सकता है। इससे पहले 2009 में भी देश में बड़ा सूखा पड़ा था जिस कारण अनाज उत्पादन 1.6 करोड़ टन घटकर 21.8 करोड़ टन रहा। सूखे जैसे हालात से देश का बैकिंग क्षेत्र भी चिंता में है। बैंकिंग क्षेत्र को लगता है कि अगर सूखा या सूखे जैसे हालात हुए तो कृषि कर्ज का पुनर्भुगतान प्रभावित होगा। 2011-12 में इस मद में 4.76 लाख करोड़ रुपए दि गए थे। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा – अगर मानसून विफल होता है तो इसका प्रतिकूल असर कर्ज वृद्धि और अर्थव्यवस्था पर होगा। यानी कर्जदारों की कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी। बदलते हालात में उद्योग जगत की चिंता ग्रामीण इलाकों में मांग प्रभावित होने को लेकर है। उद्योग मंडल सीआईआई और एसोचैम ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि असर को कम किया जा सके।
कर्नाटक में राज्य के कृषि मंत्री यू कात्ती ने कहा-राज्य सरकार के आकलन के मुताबिक कुल 30 में से 22 जिले कम बारिश के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। गन्ने, धान व मक्के की फसल पर असर पड़ा है। राज्य के पास केवल 11 हफ्ते के लिए चारे का भंडार है। वह अतिरिक्त आपूर्ति के लिए पंजाब से बात कर रहा है।
महाराष्ट्र में औसत बारिश 79 फीसद रही है और यहां बुआई क्षेत्र में लगभग आधे की कमी आने की आशंका है। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा-खरीफ बुआई सीजन खत्म होने वाला है और 107 तालुकाओं में बुआई 50 फीसद से कम हुई है। हालात से निपटने के लिए 2,685 करोड़ रुपए की आपदा योजना तैयार की गई है। रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में सामान्य से लगभग 36 फीसद कम बारिश हुई है और फसलों की बुआई तय लक्ष्य की तुलना में लगभग आधी रह गई है। हालात से चिंतित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र से अपील की है कि मनरेगा के तहत रोजगार की संख्या को मौजूदा सौ दिन से बढ़ाकर 200 दिन किया जाए।
गुजरात में बुआई क्षेत्र अब तक 24 फीसद कम रहा है। राज्य में मानसून की बारिश सामान्य से 65 फीसद कम रही है। राज्य के सौराष्ट्र व कच्छ जैसे इलाकों में तो बारिश और भी कम हुई है। यह इलाका कपास के साथ-साथ मूंगफली व तोरिया का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। पंजाब व हरियाणा से मिलने वाली खबरों के मुताबिक बिजली की कमी के कारण इन राज्यों में हालात और बिगड़ गए हैं। राज्य सरकार ने इस मद में खर्च की पूर्ति के लिए केंद्र से अतिरिक्त कोष मांगा है।
पंजाब व हरियाणा में बेहतर सिंचाई सुविधाओं के कारण इन राज्यों में धान की बुआई लगभग लक्ष्य तक पहुंच गई है। पंजाब में लक्ष्य की तुलना में 98 फीसद इलाके में बुआई हो चुकी है। पंजाब में 12 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में 9.87 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है। पंजाब में कपास, मक्का व तिलहन और हरियाणा में बाजरा व कपास का बुआई क्षेत्र घटने की आशंका है। इन राज्यों में किसान धान की सिंचाई के लिए 1500 रुपए से 2000 रुपए प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त खर्च कर रहे हैं।
बिहार में 20 से 32 फीसद कम बारिश हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 28 प्रभावित जिलों के अधिकारियों से हालात सामान्य बनाए रखने को कहा है। राज्य ने पिछले वित्त वर्ष क्षेत्र में 16 फीसद की वृद्धि दर हासिल की थी। पटना में अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 200 करोड़ रुपए की सब्सिडी शुरू की है जिसमें से 6.85 करोड़ रुपए पहले ही बांटे जा चुके हैं। राज्य सरकार ग्रामीण इलाकों में बिजली की अधिक उपलब्धता तय कर रही है।
उत्तर प्रदेश में मानसून पांच जुलाई को देरी से आया इसलिए हालात में सुधार है। कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने कहा-पांच जुलाई के बाद से राज्य में अच्छी बारिश हुई है। अब सूखे जैसे कोई हालात नहीं है। पश्चिम बंगाल में सबसे खराब हालात दक्षिण बंगाल के जिलों में हैं। राज्य के कृषि मंत्री रबींद्रनाथ भट्टाचार्य ने कहा-दक्षिण बंगाल में औसत बारिश 26 फीसद कम है जबकि उत्तर बंगाल में सामान्य बारिश है।
झारखंड में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ए वदूद ने कहा-दस जुलाई तक सूखे जैसे हालात की चिंता थी लेकिन जुलाई में 300 मिलीमीटर सामान्य बारिश की तुलना में 225 मिलीमीटर बारिश हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में और बारिश अपेक्षित है इसलिए हालात सामान्य है। ओडिशा के 30 में से दस जिलों में बारिश सामान्य से 30-40 फीसद कम रही है। राज्य में 31 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के विपरीत 28 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है।
कावेरी से अपने हिस्से का पानी नहीं मिलने के कारण तमिलनाडु में हालात और गंभीर हो गए हैं। पानी की कमी से फसलें तबाह होने की आशंका से किसान परेशान हैं। किसान संगठन तमिलनाडु विवासायीगल संगम के अध्यक्ष के बालाकृष्णन ने चिंता जताई कि अगर मेत्तुर बांध से पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा गया तो 47.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई धान की फसल प्रभावित होगी ।
आंध्र प्रदेश में हैदराबाद से मिले समाचार के मुताबिक जुलाई के दूसरे पखवाड़े में बारिश के हालात सुधरे हैं। आंध्र प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि राज्य में सूखे जैसे हालात नहीं होंगे। छत्तीसगढ़ में किसानों को खरीफ फसलों की बुआई के लिए अब तक 1,272 करोड़ रुपए मूल्य के सब्सिडीशुदा कर्ज वितरित किए गए हैं। राज्य सरकार ने किसानों को इस मद में 1,700 करोड़ रुपए कर्ज देने का लक्ष्य रखा है।
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