Feb 15,2009 / जागरण याहू
नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। बीएसएफ के रिटायर्ड कमानडेंट बलजीत सिंह त्यागी ने बंजर भूमि पर फलदार पेड़ लगाने में तीन बार विफल रहने पर भी हिम्मत नहीं हारे। कृषि वैज्ञानिकों से पता चला कि भूमिगत पानी खारा होने से यहा पेड़ नहीं उग सकते। उन्होंने अपनी मेहनत व लगन से डेढ़ लाख लीटर क्षमता के वाटर हार्वेस्टिंग व भूमिगत जल रिचार्ज टैंक से जमीन को मीठे पानी से तर कर दिया। जिससे बाझ जमीन की कोख उर्वरा हो गई। आज उसका आचल चीकू, आवला, जोधपुरी बेर सहित कई मीठे फलों से भर गया है। जबकि इस लगन के पीछे बीएसएफ का स्लोगन ड्यूटी अनटिल डेथ प्रेरणा स्त्रोत रहा। जिसका अर्थ है मौत आने तक कर्तव्य निभाना। रिटायर्ड कमाडेंट बलजीत त्यागी [78] ने बीएसएफ में जान की बाजी लगाकर इस मंत्र का पालन किया था। लेकिन कुछ कर गुजरने के जज्बे के दम पर वाटर हार्वेस्टिंग से बंजर भूमि को उपजाऊ बना दिया। इसके लिए दिल्ली सरकार ने सन् 2007 में उन्हें पुरस्कृत भी किया था।
उन्होंने कहा कि नजफगढ़ स्थित छावला बीएसएफ कैंप के पास की सवा दो एकड़ जमीन पर तीन बार पेड़ लगाया। जो हर बार सूख जाते थे। इसके बाद उन्होंने पूसा व उजवा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से सलाह ली। वैज्ञानिकों ने बताया कि उक्त जमीन का भूमिगत जल खारा है। समस्या से निबटने के लिए फार्म में बारिश का पानी एकत्र करने के लिए जल संचय टैंक बनाया। जो 11 फुट गहरा, 22 फुट लंबा व 16 फुट चौड़ा है। साथ ही बारिश का पानी बर्बाद न हो इसके लिए भूजल रिचार्ज टैंक भी लगाया। इस जल से सिंचाई कर पौधे लगाए तो वे फलों से लद गए। जिसमें जोधपुरी बेर की तीन किस्में उमरान, गेला व सेब प्रमुख हैं। आम का पेड़ भी लगाया है। उनका सफर इतने पर ही नहीं रुका फिलहाल वे बॉटनिकल गार्डन भी बनवा रहे हैं।
Tags - Water harvesting ( Hindi ), ground water Recharge ( Hindi ), freshwater ( Hindi ), waste land ( Hindi ),
साभार - जागरण याहू
नई दिल्ली, [रणविजय सिंह]। बीएसएफ के रिटायर्ड कमानडेंट बलजीत सिंह त्यागी ने बंजर भूमि पर फलदार पेड़ लगाने में तीन बार विफल रहने पर भी हिम्मत नहीं हारे। कृषि वैज्ञानिकों से पता चला कि भूमिगत पानी खारा होने से यहा पेड़ नहीं उग सकते। उन्होंने अपनी मेहनत व लगन से डेढ़ लाख लीटर क्षमता के वाटर हार्वेस्टिंग व भूमिगत जल रिचार्ज टैंक से जमीन को मीठे पानी से तर कर दिया। जिससे बाझ जमीन की कोख उर्वरा हो गई। आज उसका आचल चीकू, आवला, जोधपुरी बेर सहित कई मीठे फलों से भर गया है। जबकि इस लगन के पीछे बीएसएफ का स्लोगन ड्यूटी अनटिल डेथ प्रेरणा स्त्रोत रहा। जिसका अर्थ है मौत आने तक कर्तव्य निभाना। रिटायर्ड कमाडेंट बलजीत त्यागी [78] ने बीएसएफ में जान की बाजी लगाकर इस मंत्र का पालन किया था। लेकिन कुछ कर गुजरने के जज्बे के दम पर वाटर हार्वेस्टिंग से बंजर भूमि को उपजाऊ बना दिया। इसके लिए दिल्ली सरकार ने सन् 2007 में उन्हें पुरस्कृत भी किया था।
उन्होंने कहा कि नजफगढ़ स्थित छावला बीएसएफ कैंप के पास की सवा दो एकड़ जमीन पर तीन बार पेड़ लगाया। जो हर बार सूख जाते थे। इसके बाद उन्होंने पूसा व उजवा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से सलाह ली। वैज्ञानिकों ने बताया कि उक्त जमीन का भूमिगत जल खारा है। समस्या से निबटने के लिए फार्म में बारिश का पानी एकत्र करने के लिए जल संचय टैंक बनाया। जो 11 फुट गहरा, 22 फुट लंबा व 16 फुट चौड़ा है। साथ ही बारिश का पानी बर्बाद न हो इसके लिए भूजल रिचार्ज टैंक भी लगाया। इस जल से सिंचाई कर पौधे लगाए तो वे फलों से लद गए। जिसमें जोधपुरी बेर की तीन किस्में उमरान, गेला व सेब प्रमुख हैं। आम का पेड़ भी लगाया है। उनका सफर इतने पर ही नहीं रुका फिलहाल वे बॉटनिकल गार्डन भी बनवा रहे हैं।
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साभार - जागरण याहू
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