जल प्रकृति द्वारा मनुष्य को दी गई एक महत्वपूर्ण संपत्ति में से एक है. यह हमारे जीवन के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है. इसके बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं है. खाना बनाने से लेकर नहाने, कपड़े धोने, पीने और खेती करने आदि के कामों के लिए पानी की आवश्यकता होती है. लेकिन देश में सभी नागरिकों को एक समान पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है. शहरी क्षेत्रों में जहां हर घर में नल उपलब्ध है, वहीं देश के ग्रामीण क्षेत्रों को पीने के साफ़ पानी के लिए कई प्रकार की समस्याओं का सामना रहता है. इन्हीं समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से 15 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार की ओर से सभी घरों में पानी पहुंचाने के उद्देश्य से जल जीवन मिशन योजना का शुभारंभ किया गया. इस योजना के माध्यम से सभी ग्रामीण इलाकों में नल से पानी की व्यवस्था किया जाना है. जिसका संपूर्ण खर्च राज्य तथा केंद्र सरकार के द्वारा निर्वाह किया जाना है. इसके साथ-साथ पानी की समस्या कम करने के लिए सरकार द्वारा पानी बचाओ अभियान चलाया गया, जिसके माध्यम से बारिश के पानी को इकट्ठा करके उसे उपयोग में लाने और उसके अलावा गंदे पानी को वापिस शुद्ध करके संचाई के लिए काम में लाना इत्यादि काम किए जा रहे हैं.
सरकार की इस योजना को धरातल पर कामयाब बनाने के लिए संबंधित विभाग और एजेंसियां तेज़ी से काम कर रही हैं. देश के कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां शत प्रतिशत घरों में पीने के साफ़ पानी का नल पहुंच चुका है. इसके अलावा जल संरक्षण की दिशा में भी तेज़ी से काम हो रहा है. जम्मू कश्मीर के राजौरी जिला स्थित बुदल तहसील का जमोला गांव इसका एक जीता जागता उदाहरण है. जहां गांव वालों ने जल संरक्षण के तहत कंक्रीट वाटर हार्वेस्टिंग टैंक, चेक डैम, ग्राउंड वाटर रिसर्च यूनिट तैयार किया जहां बारिश के पानी को एकत्र किया जा सके. साथ ही गांव में खाली पड़े जमीन पर प्राकृतिक जल संचय का भी निर्माण किया. पुराने जल निकायों का पुनरुद्धार करने के साथ-साथ लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाया गया. इस काम में जमोला पंचायत की भूमिका सबसे खास रही है. जिसका नतीजा यह हुआ था कि वर्ष 2020 में जमोला पंचायत को तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
पानी की समस्या देशभर में बढ़ती जा रही है. हमारे देश में ऐसे कई गांव हैं जहां पानी की समस्या बेहद गंभीर है. जम्मू कश्मीर में भी ऐसे बहुत गांव हैं जो साल में 6 माह पानी की कमी से जूझते हैं. 8 फरवरी 2023 को जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने कहा कि केंद्र के प्रमुख कार्यक्रम जल जीवन मिशन ने इस केंद्र प्रशासित प्रदेश में पर्याप्त प्रगति की है और जल जीवन मिशन इस साल जून 2023 तक पूरा होने वाला है. मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में जल जीवन मिशन के तहत किए गए कार्यों की जानकारी दी गई और मिशन में अब तक हुई प्रगति का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करने के लिए जनता और विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत की गई. प्रमुख सचिव जल शक्ति विभाग शालीन काबरा ने बैठक में बताया कि मिशन 2019 से लागू किया जा रहा है और अब तक इसमें काफी प्रगति हुई है. इस मिशन के तहत सभी ग्रामीण संस्थानों जैसे स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्रों,और स्वास्थ्य संस्थानों को पाइप से पानी उपलब्ध कराया गया है. बैठक में बताया गया कि प्रत्येक ग्रामीण परिवारों को इस वर्ष जून तक इस मिशन के तहत नल का जल कनेक्शन मिल जाएगा.
लेकिन बात धरातल की जाए तो ऐसा लगता है कि अभी भी बहुत काम अधूरा है. कई गांव आज भी जल जीवन मिशन की राह देख रहे हैं. जम्मू के कठुआ जिला स्थित बिलावर तहसील के खानूई गांव के पांच पुरुषोत्तम लाल कहते हैं कि हमारे गांव में अभी भी पानी की बहुत बड़ी समस्या है. हमें यहां से 2 किमी दूर फिंतर चौक से पानी लाना पड़ता है. गांव में जो पाइप लाइन बिछाई गई है, वह बहुत पुरानी है और उनकी मरम्मत भी नहीं की गई है. इस पाइप से वैसे तो पानी आता नहीं है, अगर कभी आ भी जाए तो एक नल से चार-चार लोग पानी भरते हैं क्योंकि यहां घर-घर नल की व्यवस्था नहीं है. हमने बहुत बार संबंधित विभाग में इसकी शिकायत की और आवेदन देकर समस्या के हल की गुज़ारिश भी की, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
केवल खानूई गांव में ही नहीं बल्कि इसी तहसील के एक अन्य गांव भड्डू के लोग भी इसी प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं. गांव की एक आंगनबाड़ी सेविका शशि देवी का कहना है कि मुझे बच्चों के लिए खाना बनाने में बहुत दिक्कत होती है, क्योंकि हमारे आंगनवाड़ी में पीने के पानी की बहुत समस्या है. वैसे तो पानी आता नहीं है, अगर आए भी तो बहुत गंदा आता है, जो बच्चों के लिए खाना बनाने लायक नहीं होता है. इसलिए मैं खाना बनाने के लिए सुबह अपने घर से ही पानी लेकर आती हूं और बच्चों के लिए खाना बनाती हूं. इसी तहसील के एक अन्य गांव जोड़न के पांच मोहम्मद गनी का कहना है कि गांव में पानी कहां से आएगा? यहां तो पाइपलाइन ही नहीं बिछाई गई है. गांव में एक छोटा सा कुआं है, वहीं से सभी पानी भरते हैं. गर्मियों में यह सूख भी जाता है. जिसकी वजह से गांव वालों को 2 से 3 किमी की दूरी तय करके पंचतीर्थी से पानी लाना पड़ता है. इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव गांव की महिलाओं और किशोरियों हो होता है. विभाग से गुजारिश करने पर यह कह कर बात टाल दिया जाता है कि 'बस अभी पाइपलाइन लगने वाली हैं'.
यह स्थिति केवल कठुआ तक ही सीमित नहीं है बल्कि जम्मू कश्मीर के अन्य ज़िलों के ग्रामीण क्षेत्रों की भी यही स्थिति है. अब देखने वाली बात यह है कि क्या सरकार ने जून 2023 की जो समय सीमा तय की है, तब तक जल की इस समस्या को सुलझा लिया जाएगा अथवा इस क्षेत्र के लोगों को अभी कुछ और वर्ष पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ सकती है?
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