क्या इजराइली नुस्खे से होगा किसानों का भला

इजराइल के चार दिवसीय दौरे पर गए महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फडणवीस गुरुवार को लौट आए। इजराइल के प्रधानमन्त्री नेतन्याहू के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद वे तड़के मुम्बई पहुँचे। उन्होंने रक्षा उत्पादन और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में महाराष्ट्र के साथ सहयोग बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने राज्य में खासकर विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में कृषि संकट और किसानों की खुदकुशी पर चर्चा की। मुख्यमन्त्री ने इजराइल से तकनीक के साथ ही मुद्दे से निपटने के लिए नीति के बारे में भी चर्चा की।

मुम्बई, 30 अप्रैल 2015। महाराष्ट्र में सालों से किसान कभी सूखे से मर रहा है, तो कभी ओले और बिन मौसम बरसात से। पिछली आघाड़ी सरकार ने किसानों को जिन्दा रखने के लिए खूब पैकेज दिए। नई सरकार आई तो मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी पैकेज बाँट दिया। केन्द्र से भी किसानों को जिन्दा रखने के लिए पैसा दिया गया। बीमारी की जड़ अभी तक सरकारों की पकड़ में नहीं आई है। राहुल गाँधी इस जड़ को पकड़ने के लिए तीन दिन के लिए विदर्भ की गर्मी में पैदल चल रहे हैं, तो इसी जड़ को ढूँढ़ने के लिए फडणवीस इजराइल का चार दिन का चक्कर लगा कर गुरुवार ही लौटे हैं। जिस दिन राहुल की पदयात्रा शुरू हुई, उसी दिन फडणवीस इजराइल से किसानों की बीमारी का नुस्खा लेकर वापस आए। मतलब अब महाराष्ट्र के किसानों का भला इजराइली नुस्खे से किया जाएगा?

राहुल गाँधी को लगता है कि संवाद करने से किसानों का दुख हल्का होगा और शायद आत्महत्या के मामले कम हो जाएँ। लिहाजा 40 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी में विदर्भ के गाँवों में पैदल चल रहे हैं। संसद में उन्होंने किसानों की समस्याएँ रखीं। जन्तर-मन्तर पर किसानों से बोले। पंजाब भी गए और इन दिनों विदर्भ के किसानों से मिल रहे हैं। राहुल को उम्मीद है कि किसानों की आत्महत्या की जड़ का पता इस तरह से लगाया जा सकता है। या सूबे में कांग्रेस को किसान के जरिए पटरी पर लाया जा सकता है।

दूसरी ओर महाराष्ट्र के युवा मुख्यमन्त्री फडणवीस को लगता है कि किसानों की आत्महत्या और फसलों की तबाही की जो बीमारी है, उसका इलाज कृषि प्रधान भारत में नहीं हो सकता। इसके लिए विदेशी मदद की जरूरत है। लिहाजा किसानी को बेहतर बनाने और किसानों को आत्महत्या से बचाने के लिए फडणवीस ने इजराइल का चार दिन का चक्कर लगाया। वहाँ के प्रधानमन्त्री से विदर्भ और मराठवाड़ा के किसानों की मुसीबतों पर बात की। इजराल फडणवीस की मदद करने के लिए तैयार हो गया है। लगे हाथ फडणवीस ‘मेक इन इण्डिया’ के तहत निवेश का कामकाज भी आगे बढ़ा कर आए हैं, जो उनका महत्त्वपूर्ण एजेंडा है। इजराइल महाराष्ट्र में रक्षा सामग्री के उत्पादन के साथ ही उन्नत तरीके की किसानी में मदद के लिए लगभग तैयार है। फडणवीस ने यहाँ आकर बताया कि इजराइल अब महाराष्ट्र को कृषि और कृषक-संकट से उबारने में मदद करेगा।

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए सरकारों ने सभी उपाय कर लिए। अगर कुछ नहीं किया तो यह कि किसान को खाद, पानी व बिजली समय पर मिल जाए और फसलों के उचित दाम दिला जाएँ। इन दिनों भी महाराष्ट्र का गन्ना किसान उचित समर्थन मूल्य के लिए परेशान है और सरकार के साथ चीनी मिलों के मालिक गन्ने का समर्थन मूल्य कम करने की कोशिशें कर रहे हैं। वजह चीनी उद्योग संकट में है। वैश्वीकरण के बाद दो एकड़ के काश्तकार को भी अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में कृषि उत्पाद के मूल्यों में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों के लिए पदयात्राएँ होती हैं। किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए पैकेज दिए जाते हैं। मगर आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने इस बात को लेकर आन्दोलन नहीं किया कि किसान अपनी फसल का भाव खुद तय करेगा। सरकार अगर कपड़े, इस्पात, सोना, चाँदी, हीरे, मोती, सन्तरे, मौसम्बी, काजू और बादाम का भाव तय नहीं करती है, तो फिर गेहूँ, गन्ने का भाव क्यों तय करती है? कोई भी राजनीतिक दल किसानों को खाद, बिजली या पानी नहीं मिलने पर आन्दोलन नहीं करता है। करता भी है तो किसानों को बिना बिजली-पानी मिले उस आन्दोलन को खत्म भी कर देता है। ये सारी परेशानियाँ राजनीतिक दलों को छोटी-छोटी लगती हैं। राहुल गाँधी किसानों का भला चागते हैं तो उन्हें विदर्भ की गर्मी में झुलसने की जरूरत नहीं है। फडणवीस किसानी और किसानों को जिन्दा रखना चाहते हैं तो उन्हें इजराइल से नुस्खा लाने की जरूरत नहीं है। किसानी या किसान आत्महत्याओं का इलाज पदयात्रा या इजराइली नुस्खे से नहीं होगा। किसान और किसानी की जरूरतों को समझने से होगा, जिसे समझने के लिए सरकारें तैयार नहीं दिखती हैं।

इजराइल से लौटे फडणवीस
इजराइल के चार दिवसीय दौरे पर गए महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फडणवीस गुरुवार को लौट आए। इजराइल के प्रधानमन्त्री नेतन्याहू के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद वे तड़के मुम्बई पहुँचे। उन्होंने रक्षा उत्पादन और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में महाराष्ट्र के साथ सहयोग बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने राज्य में खासकर विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में कृषि संकट और किसानों की खुदकुशी पर चर्चा की। मुख्यमन्त्री ने इजराइल से तकनीक के साथ ही मुद्दे से निपटने के लिए नीति के बारे में भी चर्चा की। इजराइल के प्रधानमन्त्री ने सभी जरूरी मदद देने को वादा किया। बैठक के बाद फडणवीस ने कहा, ‘इजराइल के प्रधानमन्त्री से बेहद उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली और हमारे कृषि संकट के समाधान के लिए हम दोनों तरफ के विशेषज्ञों के बीच व्यापक चर्चा की उम्मीद करते हैं।’
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