केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में बताया है कि 01 जुलाई से पूरे भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद कर दिया जाएगा। जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि उन्होंने इतना जल्दी ये निर्णय क्यों लिया है और उनके इस निर्णय से कई कंपनियां और व्यपारी नाराज हो गए हैं और वह प्लास्टिक को बैन करने के लिए और मोहलत मांग रहे हैं तो इसका जवाब देते हुए केंद्र मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा पहले ही कंपनियों को सिंगल यूज प्लास्टिक के बैन करने के लिए काफी समय दिया था लेकिन उसके बावजूद भी अगर वह ऐसा नहीं कर पाए तो उसमें सरकार किसी भी तरह से दोषी नहीं है
केंद्र मंत्री के मुताबिक करीब 19 वस्तुओं के निर्माण ,भंडारण, आयात, वितरण, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी जिसमें यह वस्तुएं शामिल है
- स्ट्रॉ (पे पदार्थ पीने वाला पाइप)
- इयर बड
- कैंडी की छड़
- आइसक्रीम की छड़
- गुब्बारे जिसमें प्लास्टिक की छड़ लगी होती है।
- प्लास्टिक के बर्तन, चम्मच, प्लेट इत्यादि
- सिगरेट के पैकेट,निमंत्रण कार्ड , मिठाई के डिब्बे को पैक करने वाली प्लास्टिक ।
- पीवीसी बैनर जो 100 माइक्रोन से कम हो।
- पैकेजिंग फिल्म और साज सज्जा में इस्तेमाल होने वाला थर्माकोल
बता दें कि अगर इसके बावजूद भी प्रतिबंध वस्तुओं को कोई अगर बेचता है तो उसका व्यापारिक लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा इसको लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने राज्य की एजेंसियों को भी निर्देश दे दिया है इसके अलावा कस्टम विभाग की तरफ से 1 जुलाई से इन वस्तुओं के आयात पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी।
वही पेट्रोकेमिकल उद्योग को भी इन वस्तुओं के प्रोडक्शन में लगे उद्योगों को कच्चा माल नही देने के निर्देश दिए गए हैं इस प्रतिबंध के लागू होने के बाद ही भारत उन 60 देशों की लिस्ट में आ जाएगा।जो सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे को कम करने के लिए कदम उठा चुके हैं वही प्रतिबंध से ज्यादा इसका पालन करवाना आवश्यक है इसके लिए सरकार को कड़ी निगरानी रखनी पड़ेगी।
सिंगल यूज प्लास्टिक किसे कहते है
सिंगल-यूज प्लास्टिक ऐसे सामान होते हैं जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन-आधारित रसायनों (पेट्रोकेमिकल्स) से बने होते हैं और उपयोग के तुरंत बाद उन्हें फेक दिया जाता है । सिंगल-यूज प्लास्टिक का उपयोग आमतौर पर पैकेजिंग और सर्विसवेयर के लिए किया जाता है, जैसे कि बोतलें, रैपर, स्ट्रॉ और बैग।
19वीं शताब्दी में सिंगल यूज प्लास्टिक का आविष्कार हुआ। निर्माताओं ने पारंपरिक कागज, कांच के हल्के सामानों को टिकाऊ और किफायती प्लास्टिक विकल्पों के साथ बदलना शुरू कर दिया। जैसे प्लास्टिक के सामानों ने दूध के जार की जगह ले ली। पिछले कुछ सालों से प्लास्टिक का इतना इस्तेमाल हो रहा है जितना कभी नहीं हुआ । जहां 1950 दशक में 8.3 बिलयन मेट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया गया तो वही इसका आधा केवल 15 वर्षों बनाया गया।
क्यों सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होता है
जलवायु परिवर्तन के कारण बिगड़ता पर्यावरण विश्व के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना एक बहुत बड़ी समस्या बनकर उभरी है। प्रत्येक वर्ष कई लाख टन प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है, जो कि मिट्टी में घुलती मिलती नहीं है। इसलिए विश्व भर के देश सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को समाप्त करने हेतु कठोर रणनीति बना रहे हैं। 7.5 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक की ही रीसाइक्लिंग हो पाती है, बाकी प्लास्टिक मिट्टी में मिल जाती है, जो पानी की सहायता से समुद्र में पहुंचती है और वहां के जीवो को काफी नुकसान पहुंचाती है। रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम ऐसे प्लास्टिक के प्रोडक्ट हैं, जिसे हम एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं। इसी तरह के प्लास्टिक को ‘‘सिंगल यूज प्लास्टिक’’ कहा जाता है। इसे डिस्पोजेबल प्लास्टिक के नाम से भी जाना जाता है। प्लास्टिक प्रोडक्ट की बात करें तो इसमें प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्राॅ, कप, प्लेट, फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और काॅफी के डिस्पोजेबल कप्स आदि शामिल हैं।
बेहद कम खर्चे पर बनने वाले यह प्लास्टिक उत्पाद बहुत ज्यादा खतरनाक रसायन लिए होते हैं, जिनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यही नहीं इस सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे की सफाई पर होने वाला खर्च भी बहुत आता है। वह इसलिए कि आप जिस पन्नी में सब्जी खरीद कर लाते हैं, वे आसानी से फट तो जाती है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होती। जब सिंगल यूज प्लास्टिक को जमीन के अंदर दबाकर नष्ट करने की कोशिश की जाती है, तो यह नष्ट होने की बजाय छोटे छोटे टुकड़ों में बट जाती है और विषैला रसायन पैदा कर भूमि की उर्वरक क्षमता को नुकसान पहुंचाती है। मिट्टी में घुल मिल चुका यह विषैला रसायन जैसे ही खाद्य पदार्थों और पानी में पहुंचता, तो उससे मानव के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता।
आपने कई जगह पढ़ा होगा, देखा-सुना होगा कि कैंसर जैसी बीमारी फैलती जा रही है। आपको आश्चर्य तब होता होगा जब आप देखते होंगे की बहुत सफाई से रहने वाले और कई गलत आदत में न पड़ने वाले व्यक्ति कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। मन में सवाल आता होगा कि वह तंबाकू गुटखा तो खाता नहीं था फिर ऐसा क्यों हो गया ? इसका जवाब प्लास्टिक रूपी विष है जो विभिन्न माध्यमों द्वारा हमारे खाद्य उत्पादों में आता है। तत्पश्चात हमें विभिन्न प्रकार के रोगों की चपेट में ला देता है। इस जहर को खत्म करना है तो सिंगल यूज प्लास्टिक के विरोध में उठ खड़ा होना होगा। पानी की बोतलों की जगह पर कॉपर, शीशा या धातु की बोतलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस्तेमाल करना जरूरी नहीं है, लेकिन फिर भी अगर आपको जरूरत है तो आप पेपर्स के बने स्ट्राॅ का प्रयोग कर सकते हैं। प्लास्टिक के कप की जगह पेपर से बने कब का इस्तेमाल कर सकते हैं। सामान खरीदने के लिए घर से थैला लेकर जाएं। ध्यान रहे कि जूट या कागज की बनी थैली इस्तेमाल करें। प्लास्टिक की जगह आप स्टील और लकड़ी के चम्मच इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सही है कि शुरू में हमें दिक्कत होगी, लेकिन अपनी और आने वाली पीढ़ियों, जानवरों और प्रकृति से जुड़ी हर चीज की कुशलता के लिए जरूरी है कि सिंगल यूज प्लास्टिक को जड़ से खत्म किया जाए।
/articles/kayaa-haai-saingala-yauuja-palaasataika-jaisapara-01jaulaai-sae-laga-rahaa-haai