अलवर। शहर से करीब 21 किमी दूर पहाड़ी की तलहटी में बसा गाँव ढहलावास। ढाई हजार आबादी वाले इस गाँव में कुछ दिन पहले तक लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी करने से भी कतराते थे। वहीं दूसरे गाँव के लोगों ने इनसे नाता तोड़ बेटियाँ देना बंद कर दिया था। इन हालात में गाँव में कुँवारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। इसकी वजह रहा गाँव में पानी की किल्लत और कुएँ-तालाबों का सूखना। ऐसे में जल संरक्षण के ग्रामीणों के प्रयास व मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना रंग लाई और गाँव के कुओं का जलस्तर बढ़ गया। पिछले साल जोहड़ खुदाई हुई, जो बारिश के बाद लबालव हो गया और आस-पास के कुओं में भी पानी आ गया। पानी आने से गाँव के बेटे-बेटियों की शादी से गाँव में फिर शहनाई गूँज उठी।
12-15 फीट पर पानी
ग्रामीणों के अनुसार पिछले साल जोहड़ खुदाई से पूर्व जो कुएँ सूखे थे, उनमें भी 12-15 फीट पर पानी आ गया। बताते हैं पहले 400-450 फीट पर भी पानी नहीं था।
40 फीसदी युवा थे कुँवारे
पानी की कमी से गाँव के लगभग 40 फीसदी युवा कुँवारे थे। साल में गाँव के एकाध युवा की बामुश्किल शादी होती थी। दूसरे गाँव के लोग इनसे रिश्ता जोड़ने से घबराते थे। खेती व पशुओं के लिये भी पानी का संकट बना हुआ था। इस साल गाँव के कुएँ-तालाबों में पानी आने से गाँव में रिकार्ड 10-15 युवाओं की शादी हुई है।
चार एनीकट और बनें
ग्रामीणों के अनुसार गाँव में जोहड़ से ही आधा दर्जन से अधिक कुओं में पानी आ गया। यदि गाँव में चार और एनीकट सीरावास, बागराज, नाकवा के पास, पहाड़ी पार व बैढाढ़ा के पास बन जाएँ तो पूरे गाँव की पेयजल समस्या समाप्त हो जाए।
“गाँव के कई कुओं में पानी है। गाँव में चार एनीकट और बन जाएँ तो गाँव की किस्मत सुधर जाए।” - ओमप्रकाश गुर्जर, पूर्व जिला परिषद सदस्य ढहलावास
“पानी की किल्लत के चलते गाँव के युवाओं की शादी नहीं हो रही थी। अब गाँव के कुओं में पानी आने से यह रुकावट कुछ दूर हुई है।” - राजेन्द्र, पूर्व वार्ड पंच ढहलावास
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