कुकरेल नदी संरक्षण अभियान : नाले को फिर नदी बनाने की जिद

कुकरैल नदी तंत्र। फोटो - लेखक
कुकरैल नदी तंत्र। फोटो - लेखक

2 अक्टूबर, 2022 को महंत गोमती बाबा के नेतृत्व में कुकरैल नदी संरक्षण जन जागरण यात्रा निकाली गयी। तत्पश्चात्‌ कुआँ, नदी, तालाब, सरोवर का विधिवत पूजन अर्चन करके प्रसाद वितरण का कार्यक्रम किया गया। आयोजन बहुत सफ्ल हहा। वर्तमान में एक बार कुओं की सफई की गयी है तथा गाँव के सभी तालाब गहरे हो गये है। सभी में जल उपलब्ध है। अमृत सरोवर का निर्माण हो चुका है, लगभग ।000 वृक्षों का रोपण हो चुका है

मेरे पिताजी स्वगीय सरनाम सिंह जी ने एक पुस्तक लिखी थी “कुआँ से निकली कुकरैल नदी” उसको मैंने पढ़ा तथा पिताजी ने एक बार कोशिश करके विधायक निधि से कुकरैल कुआँ तथा यहां स्थित दशौर तालाब का जीर्णोद्धार करवाया था। लेकिन ग्राम की जनता की सम्यक भागीदारी न होने के कारण फिर से उनकी दशा खराब हो गयी। मैं अब से लगभग तीन साल पहले लोक भारती की एक मासिक बैठक में उपस्थित रहा उससे प्रभावित होकर मैने भी लोक भारती संस्था के माध्यम से समाज सेवा के मैने सबसे पहले अपने गाँव में स्थित कुकरैल नदी पुनर्रुद्धार कार्यक्रम में समाज कार्य करने का संकल्प लिया। इसी कड़ी में कुकरैल कुआँ, इंदारा कुआँ, 28 तालाब, दशौर मन्दिर, शिवजी मन्दिर व दशौर कक तालाब को अमृत सरोवर बनवाना इत्यादि शामिल था।

सर्वप्रथम 15 अगस्त, 2021 को अस्ती ग्राम में स्थित महाराजा प्रताप इण्टर कालेज, प्रांगण में लोक भारती की कार्यशाला आयोजित की गयी जिसमें लोक भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विजय बहादुर सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री बृजेन्द्र पाल सिंह, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री गोपाल उपाध्याय, गोमती तट स्थित हनुमन्‍त धाम के महन्त गोमती बाबा, बख्शी तालाब विधान सभा के विधायक अविनाश त्रिवेदी एवं अपार जन समुदाय की उपस्थिति में कुकरैल कुआँ, कुकरैल नदी एवं उससे जुड़े दशौर तालाब, शिवजी मन्दिर, राजा दशौर मन्दिर, कसई झील एवं ग्राम के सभी 28 तालाबों का गहरीकरण, सुन्दरीकरण एवं वृक्षारोपण जथा जल संरक्षण का संकल्प लिया गया तथा हरीशंकरी, आम, जामुन, सहजन, नीम, पीपल, पाकड़ एवं चन्दन के वृक्ष लगाकर तथा दोनो कुआँ, सरोवर व कुकरैल नदी का विधिविधान से पूजन करके एक कुकरैल नदी संरक्षण समिति का गठन संयोजक श्री अनिल कुमार सिंह, कुकरैल भगीरथ के नेतृत्व में एक पंद्रह सदस्यीय समिति का गठन किया गया।

इसके बाद दिनांक 26 सितम्बर, 2021 को बृजेन्द्र पाल सिंह जी एवं गोपाल उपाध्याय जी की गरिमामयी उपस्थिति में पुनः समिति के सदस्यों के साथ बैठक हुई जिसमें 2 अक्टूबर, 2021 को कुकरैल कुआँ एवं नदी तथा पवित्र सरोवर का पूजा अर्चन के साथ गाँव जनजागरण यात्रा निकालने का प्रस्ताव किया गया।

दिनांक 2 अक्टूबर, 2021 को महंत गोमती बाबा के नेतृत्व में कुकरैल नदी संरक्षण जन जागरण यात्रा निकाली गयी। तत्पश्चात्‌ कुआँ, नदी, तालाब, सरोवर का विधिवत पूजन अर्चन करके प्रसाद वितरण का कार्यक्रम किया गया। आयोजन बहुत सफल रहा। वर्तमान में एक बार कुओं की सफाई की गयी है तथा गाँव के सभी तालाब गहरे हो गये है। सभी में जल उपलब्ध है। अमृत सरोवर का निर्माण हो चुका है, लगभग 1000 वृक्षों का रोपण हो चुका है। शिव मन्दिर व प्राचीन दशौर राजा का मन्दिर एवं चबूतरा का निर्माण कार्य जन सहयोग के माध्यम से जोर-शोर से चल रहा है।

कुकरैल नदी अपने उद्गम स्थल अस्ती गांव के कुकरैल कुआँ से निकल कर कसई झील में रिचार्ज होकर 10 पुलों को पार करते हुए 55 किमी की दूरी तय करके लखनऊ में भैसाकुण्ड के पास गोमती नदी में मिल जाती है। जिसका वर्णन सन्‌ 1604 जिला गजेटियर लखनऊ में कुकरैल नदी के विषय में 1877-78 ई. के भाग दो, पृष्ठ 335 के अवध गजेटियर में लिखा हुआ है कि कुकरैल, गोमती के बायीं ओर है, जो महोना के अस्ती गाँव के उत्तर से निकलती है।

अब आगामी 21 जनवरी, 2023 को लोक भारती एवं कुकरैल नदी संरक्षण समिति के माध्यम से एक यात्रा निकालना प्रस्तावित है तथा सफाई इत्यादि के कार्यक्रम लगातार चलते रहने का निर्णय लिया गया। इस मार्ग में आने वाली बाधाओं को जन सामान्य एवं प्रशासन के माध्यम से हल करके कुकरैल नदी के संरक्षण के कार्य को आगे बढ़ाना है। कुकरैल नदी पहले जैसी स्वच्छ जलयुक्त थी और कुत्ते के काटने पर जिसके स्नान से व्यक्ति स्वस्थ हो जाता था, वह पुण्यमयी स्थिति पुनः लौटे यह हमारा प्रयत्न है।

लेखक लोक भारती कुकरैल नदी पुनर्जीवन अभियान के संयोजक हैं।

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