कुही अमावस मूल बिन, बिन रोहिनि अखतीज।
स्रवन बिना हो स्रावनी, आधा उपजै बीज।।
शब्दार्थ- स्रावनी-सावन की पूर्णिमा।
भावार्थ- यदि अमावस मूल नक्षत्र में न पड़े, अक्षय तृतीया को रोहिणी न हो और श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र न पड़े तो बीज आधा उगेगा अर्थात् पैदावार कम होगी।
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