डूबने से पहले मां की काया अपनी सतह पर तूफान में घिरी कश्ती की तरह हिचकोले खा रही है। हम पलंग के किनारे खड़े हैं। खिड़की के पार का संसार खाली होना शुरू हो गया है। पिता की आकाश के पीछे से चहलकदमी की आवाजें धीरे-धीरे नीचे की ओर झरने लगी है। हलके से प्रकाश में क्षण-भर को मां के दांत चमकते हैं और फिर सब शांत हो जाता है।
लहरों के थमने पर किनारे लगी कश्ती के कोने में मां के पायजेब रखे हैं।
लहरों के थमने पर किनारे लगी कश्ती के कोने में मां के पायजेब रखे हैं।
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