जिले के फ्लोराइड की योजनाओं का हाल
धार जिले में फ्लोराइड उन्मूलन का काम सही तरीके से नहीं हो पाने का नतीजा है कि करोड़ों रुपए खर्च हो जाने के बावजूद भी लोगों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इन सारी परियोजनाओं का काम औसत रूप से करीब 90 फीसद पूरा होना बताया जा रहा है। ऐसे में केवल परीक्षण के तौर पर ही ये परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। जबकि इन परियोजनाओं के काम 2013 में ही पूरे हो जाना चाहिए थे। अलबत्ता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग यह दावा कर रहा है कि कई बसाहटों में पानी पहुंच रहा है।
जिले के 13 में से लगभग 12 विकासखंडों में फ्लोराइड की समस्या है। इन विकासखंडों में स्वच्छ पानी यानी फ्लोराइडमुक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाई गई, लेकिन उनकी स्थिति चिंताजनक है। योजनाओं की स्थिति एक नजर में नालछा विकासखंड में सात करोड़ 54 लाख रुपए की लागत से 19 गांव की 57 बसाहटों में 12 हजार 820 लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है। मान सरोवर से पानी लेकर फिल्टर प्लांट के माध्यम से पानी स्वच्छ करते हुए उसे वितरित करने का कार्य किया जा रहा है। फिलहाल इस योजना का कार्य 95 फीसदी पूरा हुआ है। मैदानी स्तर पर बहुत ही कम लोगों को पानी मिल पा रहा है। हालांकि पीएचई का दावा है कि 45 बसाहटों में पानी उपलब्ध हो रहा है।
मनावर विकासखंड में भी नौ करोड़ रुपए की लागत से 40 बसाहटों में पानी देने की योजना बनाई गई। इससे 20 हजार 955 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। किंतु 90 प्रतिशत कार्य पूरे होने वाली योजना से 35 बसाहटों में पानी देने का दावा किया जा रहा है।
गंधवानी विकासखंड में भी फ्लोराइड की समस्या है। वहां की 46 बसाहटों में पानी देने के लिए 11 करोड़ 18 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जिससे कि 20 हजार लोग स्वच्छ पानी पी सके। योजना का कार्य 80 फीसद पूरा हुआ है और दावा यह किया जा रहा है कि 11 बसाहटों में पानी मिलना शुरू हो गया है।
नर्मदा से लेना है पानी
धरमपुरी और उमरबन विकासखंड क्षेत्र में 125 बसाहटों को नर्मदा नदी से पानी देना है। इसके लिए 27 करोड़ 95 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जिससे कि 73 हजार लोगों को लाभ मिलना है। पीएचई का दावा है कि 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और 51 बसाहटों में पानी मिलना भी शुरू हो गया है। नर्मदा नदी से पानी लाना और उसे फिल्टर करके बांटना अपने आप में एक चुनौती है। दूसरी ओर बदनावर व सरदारपुर विकासखंड के 11 ग्राम की 44 बसाहटों में कालीकिराय जलाशय से पानी लेना है। 13 करोड़ 91 लाख रुपए की इस योजना का काम 95 प्रतिशत पूरा होना बताया जा रहा है। 30 हजार से अधिक आबादी को पानी मिलने की स्थिति तब बनेगी जबकि कार्य पूरा हो जाएगा। फिलहाल 33 बसाहटों में पानी मिलना शुरू हो गया है। सरदारपुर विकासखंड के ही कुछ अन्य गांवों में योजना अलग से बनाई गई है। 17 गांव की 62 बसाहटों के लिए 9 करोड़ 82 लाख रुपए से योजना पर काम किया जा रहा है। जिससे कि 24 हजार से अधिक लोग लाभान्वित हो सकेंगे। कार्य 95 प्रतिशत हुआ है और 44 बसाहटों में पानी मिलने की बात बताई जा रही है।
जिले की सबसे बड़ी योजना अधूरी
कुक्षी, बाग, निसरपुर व डही विकासखंड की 439 बसाहटों में नर्मदा का पानी उपलब्ध हो इसके लिए जिले की सबसे बड़ी योजना पर काम चल रहा है, जो करीब 86 करोड़ 20 लाख की है। इससे 78 ग्राम लाभान्वित होना है और 1 लाख 38 हजार लोगों को पानी मिलना है। सबसे धीमी गति से काम इसी परियोजना का हो रहा है। केवल 75 प्रतिशत काम ही हो पाया है। अभी तक एक भी बस्ती को पानी मिलना शुरू नहीं हुआ।
ये हैं व्यावहारिक दिक्कतें
परियोजनाओं में व्यावहारिक रूप से दिक्कतें आ रही हैं। जहां पर परीक्षण करके पानी पहुंचाने की बात कही जा रही है, वहां ग्रामीणों द्वारा पाइप लाइन फोड़ दिए जाने तथा तकनीकी रूप से पाइप लाइन बिछाने में जो कमी रखी गई, उसके कारण आदिवासी अंचल के लाखों लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। इन सब स्थितियों में प्रशासन के लिए चुनौती यह है कि इन परियोजनाओं को पूरा करवाया जाए।
जिले में फ्लोराइड मुक्ति की स्थिति बेहद कमजोर है। इसकी वजह यह है कि अब मैदानी स्तर पर दिक्कतें आ रही हैं। दरअसल ग्राम पंचायत कुराड़िया में जो फिल्टर स्टेशन बनाया गया है वह पानी को शुद्ध करके पाइप के जरिए गांव में भेजा तो जा रहा है, किंतु लोगों के कंठ अभी भी सूखे हैं। ऐसे में अभी भी लोग मजबूरन फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर हैं। कहीं पर ईंट-भट्टे में पानी का उपयोग हो रहा है तो कहीं खेतों में पानी लिया जा रहा है। फ्लोराइडमुक्त पानी का यह दुरुपयोग लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को भी मालूम है। अब इस योजना को सफल बनाने के लिए सरकारी विभाग जनप्रतिनिधियों से उम्मीद लगाए हुए हैं।
ग्राम पंचायत कुराड़िया क्षेत्र में फ्लोराइडमुक्ति के लिए एक बड़ा फिल्टर स्टेशन बनाया गया है। इसे अभी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया है। इसका पानी बांटा तो जा रहा है किंतु वह उपयोग में नहीं आ रहा। सड़क के कुछ फलियों को छोड़कर सभी दूर हालत अच्छी नहीं है। 15 किमी के एरिए में भेजी गई इस पाइप लाइन के जरिए ग्राम पंचायत भड़क्या, सराय, बंजारी, जामनघाटी, आंवलीपुरा, बावड़ीपुरा, मेवासजामन्या, भीलकुंडा, इमलीपुरा आदि स्थानों पर पानी पहुंचाया जाना था। इनमें से कुछ ग्रामों में पानी पहुंच रहा है, किंतु ज्यादातर ग्रामों में पानी नहीं मिल रहा है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पाइप लाइन बिछाने में कई तरह की लापरवाहियां हुई हैं। उस वजह से पानी नहीं मिल पा रहा है।
शुद्ध पानी से वंचित
फिल्टर स्टेशन बहुत ही आधुनिक तरीके से बनाया गया है। पास ही के मानसरोवर तालाब से पानी लेकर उसे शुद्ध करके पीने के योग्य बनाया जा रहा है और फिर इस पानी को जगह-जगह बनाई गई टंकी से पहुंचाया जा रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इस पूरी योजना पर जितनी संख्या में कर्मचारी चाहिए, वे नहीं है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की ओर से अभी कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं किए गए हैं। इस योजना को चलाने में कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें हैं।
मैदानी स्तर पर जानकारी लेने पर लोगों ने बताया कि कई जगह पर पाइप लाइन फूट गई है। पानी का उपयोग ईंट बनाने के लिए हो रहा है। कहीं खेतों में पानी लिया जा रहा है। कुछ लोग पाइप लाइन फोड़कर उसमें पत्थर तक छोड़ देते हैं। ऐसे में पानी व्यर्थ बह जाता है।
/articles/karaodaon-kharaca-taesatainga-maen-hai-ulajhai-haai-savacacha-paanai-kai-yaojanaa