कोयले के खिलाफ जंग में पीछे नहीं हटेंगे: लिलियाना


कोलम्बिया में ऑपन पिट कोल माइनकई खतरे आए बावजूद इसके लिलियाना गुरेरो, बोकास दि सेनिजा वाटरकीपर हार मानने को तैयार नहीं है। कोलम्बिया में कोयला कम्पनियों ने पर्यावरण के साथ-साथ मानव जाति के लिये जो खतरा पैदा कर दिया है उसके खिलाफ जंग जारी रहेगी चाहे लाख तूफान आएं कदम पीछे नहीं हटेंगे।

पुरानी कहावत है, ‘छोटे पैकेट में बड़ा धमाका’। कोलम्बिया की लिलियाना बस ऐसा ही एक डायनामाइट है। कोलम्बिया के उत्तरी तट पर बैरेनकिला की एक तंग और व्यस्त गली में उसका ऑफिस है जहाँ से वो अपना काम करती है। गुरेरो ने पूरी तरह मन बना लिया है कि वो देश में विनाशलीला खेलने वाली कोल माफिया कम्पनियों को रोकने में अपनी पूरी ताकत झोंक देगी भले ही उसकी जिन्दगी दाँव पर क्यों न लग जाय।

यह कोई संयोग नहीं है कि कोलम्बिया लातीनी अमरीका में कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। ‘यू.एस. एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन’ के मुताबिक पर्यावरण कार्यकर्ताओं को मरवाने में भी ब्राजील के बाद कोलम्बिया दूसरे नम्बर पर है। जैसा कि वाटरकीपर एलायंस के अध्यक्ष रॉबर्ट जूनियर कैनेडी कहते हैं, “जहाँ कहीं भी कोल माफिया कम्पनियों को पाओगे, वहाँ लोकतंत्र की मौत देखोगे” शायद कोलम्बिया से ज्यादा विनाशलीला और कहीं नहीं देखोगे।

बैरेनकिला एक डेल्टा में स्थित है जहाँ कोलम्बिया की एक नदी मैगडलेना करेबियन सागर में मिलती है। यह एक औद्योगिक बंदरगाह है। यही वह जगह है जहाँ सबसे बड़ा लोकगीत का पारम्परिक उत्सव भी मनाया जाता है। आकार और ऊर्जा के नजरिये से ‘रियो डि जेनेरो रे’ के बाद दूसरे नम्बर पर है। हैरानी की बात नहीं कि यहाँ के लोग परिश्रमी होने के साथ-साथ मनोरंजन को भी पसंद करते हैं। इससे इस शहर के चरित्र की दो खासियतें सामने आती हैं। लिलियाना गुरेरो भी इसका अपवाद नहीं है। उसका दिल मोम की तरह नरम है लेकिन वो कभी नासमझी की हरकतें नहीं करती बल्कि एक बार अगर कुछ करने का ठान लेती है तो खत्म करके ही दम लेती है।

लिलियाना गुरेरोगुरेरो का परिवार पिछली पाँच पुश्तों से बैरेनकिला में रहता है उसे भी अपने शहर से बहुत लगाव है। उसने अपनी संस्था का नाम ‘बोकास दि सेनिजा वाटरकीपर’ भी उस जगह के नाम पर रखा है जहाँ मैगडलेना नदी करेबियन सागर में जाकर मिलती है। सेनिजा का मतलब है ‘एश यानी राख या गर्दा’, इस शब्द का इस्तेमाल ज्यादातर पानी के रंग को बताने के लिये किया जाता है जहाँ ज्यादातर कीचड़ या गाद लिये हुए नदियाँ सागर में मिलती हैं।

जब लिलियाना ने अपनी संस्था शुरु की तो उसे लगा कि उसके सामने अहम समस्या बैरेनकिला का अशोधित घरेलू और औद्योगिक सीवेज है, जो न केवल उसके शहर की नदी मैगडलेना को प्रदूषित कर रहा है बल्कि शहर के उत्तर में समुद्र तट पर खड़े मैंग्रोव के लिये भी खतरा बन रहा है। उसने बताया, “मैंने नहीं सोचा था कि बैरेनकिला और हमारे कुदरती जलस्रोतों, मैंग्रोव, नदियों और समुद्र को कोयला उद्योग की वजह से खतरा पैदा होगा, लेकिन जैसे-जैसे इस उद्योग ने पाँव फैलाये तो मुझे सीजर और ला गुआजिरा डिपार्टमेंट में खुले मुँह वाली खदानों के खतरे नजर आने लगे, इतना ही नहीं मैने कोयले की ढुलाई के वक्त उड़ने वाली राख समुद्र और मैगडलेना नदी में मिलती हुई देखी।”

कोलम्बिया के सीजर डिपार्टमेंट में ड्रम्मोण्ड कोल कम्पनी की एक छोटी सी प्रिबनाउ कोयले की खान है जिसमें खनन के दौरन निकलने वाली जहरीली भारी धातुओं की वजह से खान से निकलने वाला अपशिष्ट जल भी काई के रंग जैसा हो जाता है।

जब बैरेनकिला को सुपर पोर्ट बनाने की बात उठी ताकि कोयला के निर्यात को हर साल 20 मिलियन टन से भी ज्यादा बढ़ाया जा सके और इसी के साथ ढुलाई के वक्त कोयले का समुद्र और वातावरण में फैलना आदि घटनाएँ भी बढ़ने लगी तभी से लगा कि अब कोल उद्योग ही सबसे बड़ा खतरा बन गया है और उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा सिवाय इसके कि वे या तो चुप रहें या फिर उनके खिलाफ आवाज उठाएँ।

उसने पाया कि देश के कानून में कोई खामी नहीं है बल्कि समस्या है उसके क्रियान्वयन में। 1991 से ही, जब कोलम्बिया ने अपना नया संविधान लागू किया तब यहाँ के पर्यावरणीय कानून दुनिया के किसी भी देश के कानून से कहीं ज्यादा बेहतर थे। संविधान में बुनियादी सुधार इस तरह किये गये कि वे नागरिकों खासकर अलाभान्वित और आदिवासियों के बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा करें, इसके लिये कोलम्बिया में 84 प्रकार के व्यक्तिगत और सामूहिक अधिकार दिये गये हैं इन्हीं में स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार भी शामिल है। 20 से भी ज्याद साल बीत गये हैं लेकिन इतने समय के बाद भी ये कागजी वादों से ज्यादा कुछ नहीं हैं।

गुरेरो पेशे से एक वकील भी है उसका कहना है, “कानूनविद् दावा कर सकते हैं कि कोलम्बिया का संविधान ग्रीन संविधान है जो लोगों को एक स्वस्थ पर्यावरण और साफ पेयजल मुहैया कराने की गारण्टी देता है। लेकिन अगर सरकार की बात करें तो उसने जिन पर्यावरणीय कानूनों को लागू करने का वादा किया था वो सिर्फ राजनीतिक दावे ही बनकर रह गये और कभी लागू ही नहीं किये गये।”

मौले इताता कोस्टकीपर रोडरिगो दि ला गुरेरो भी बैरेनकिला में आयोजित सम्मेलन में भाग लेने पहुँचे, यह सम्मेलन वाटरकीपर एलायंस ने कोयले के मुद्दे पर आयोजित की थी। रोडरिगो भी चिले में कोल माफिया के खिलाफ लड़ रहे हैं। कोयला खानों से निकला कचरा नदी के निचले हिस्से के पानी पर क्या असर डालता है इसी को जानने के लिये रोडरिगो जाँच के लिये पानी के नमूनों को इकट्ठा करते हैं।

सच तो यह है कि कोलम्बिया की कुदरती खूबसूरती जल संसाधन, मैंग्रोव के जंगल, टुंड्रा के पर्वतीय क्षेत्र के वृक्ष सभी खतरे में हैं। 2012 के अंत तक कोलम्बिया की सरकार ने खनन के 9400 लाइसेंस मंजूर किये जिसमें 5.6 मिलियन हेक्टेयर का क्षेत्र शामिल है। इनमें से 3760 ने काम शुरु कर दिया है। जिसमें देश का 2.1 मिलियन भूखण्ड ही शामिल है जो कुल भूखण्ड का 2 फीसदी है। लेकिन बहुत सी खनन लाइसेंस याचिकाएँ अभी लंबित हैं अगर सभी को मंजूरी दी गई तो देश का लगभग 45 फीसदी भूखण्ड खनन के दायरेे में आ जाएगा।

यू.एस. एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक कोलम्बिया में 2002 से 2012 के दौरान हार्ड कोल का उत्पादन दोगुना हुआ है। इसके बाद से ही यह विश्व में 11 बड़े हार्ड कोल उत्पादकों की सूची में शामिल हो गया। यह विश्व का पाँचवा बड़ा कोल निर्यातक देश है। कोयले के खनन और ढुलाई की वजह से देशा के उत्तरी हिस्से मेंन को कुदरती संसाधनों और खूबसूरती को नुकसान पहुँच रहा है। यह नुकसान सीजर और ला गुअाजिरा डिपार्टमेंट और मैगडलेना में सबसे ज्यादा है।

गुरेरो का कहना है,“सरकार की खनन नीतियाँ 1991 के संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी कर रही हैं और न्यायालय भी पर्यावरणीय कानूनों को लच्छेदार कानूनी परिभाषाओं का जामा पहनाकर उसकी आत्मा को ही मार रहे हैं।”

उत्तरपूर्वी कोलम्बिया के सीज़र में, ड्रम्मोण्ड कम्पनी की दुनिया की ओपन पिट वाली खदानों में से एक प्रिबनाउ खदान है। ड्रम्मोण्ड कम्पनी की स्थापना अलाबामा में 1935 में हुई थी। तब से 1980 के उत्तरार्ध तक कम्पनी नें प्रबनाउ में लगभग 2 बिलियन टन कोयले के भण्डार पर अपना अधिकार जमा लिया था। बहुत से गाँवों और लोगों को विस्थापित करके कम्पनी ने खदान को बढ़ाने के लिये बहुत सारी जमीन को खत्म कर दिया है।

अलाबामा में कम्पनी कोयला उद्योग जगत की शहंशाह बन गई है जो बहुत सी ओपन-पिट खदानों के साथ-साथ भूतल खदानों में भी काम कर रही है। ड्रम्मोण्ड के सीईओ गैरी नील ने राजनीतिक जगत में ऐसा रसूख जमा रखा है कि हर नियम कायदा कम्पनी के हक में फायदा पहुँचाने वाला होता है और साथ ही विभिन्न परियोजनाओं को दी जाने वाली पर्यावरणीय मंजूरी भी कम्पनी के लिये कागज पर मुहर लगाने की औपचारिकता भर रह जात है। यानी सब कुछ कम्पनी के मन मुताबिक पहले ही तय होता है।

करीब 30 साल पहले ड्रम्मोण्ड की गिद्ध दृष्टि कोलम्बिया पर पड़ी थी, यहाँ के बेहतरीन किस्म के कोयले, सस्ते मजदूर, बहुत कम नियमन और आर्थिक विकास से बहुत सा राजस्व चाहने वाली सरकार, सब कुछ कम्पनी के मन मुताबिक था। अलाबामा के पूर्व गवर्नर बॉब रिले के चुनाव अभियान में 2002 में कम्पनी ने बड़ी आर्थिक मदद की थी और साथ ही अलाबामा के अधिकारी और कम्पनी के नुमाइंदे भी कोलम्बिया में अार्थिक सहयोग की सम्भावनाएँ तलाशने की मंशा से आये, जिसके तहत उन्होंने राष्ट्रपति से भी मुलाकात की।

प्रिबनाउ में कम्पनी ने जैसे ही काम करना शुरु किया, कुछ ही समय बाद अपना रंग दिखाना शुरु कर दिया। खदान मजदूरों के लिये बहुत सारी समस्याएँ खड़ी हो गई। कम मजदूरी और खतरनाक स्थितियों में मजदूरों को काम करना पड़ता था इसलिये उन्होंने यूनियन बनाकर कम्पनी का खिलाफत की। कोलम्बिया में मजदूर यूनियन बनाकर कम्पनी के खिलाफ बोलना मतलब खुद को खतरे में डालना है और यही वजह है कि कोलम्बिया को मजदूर एक्टिस्ट के लिये सबसे खतरनाक देश माना जाता है। इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कन्फेडरेशन ने 2011 में एक सर्वे प्रकाशित किया जिसमें खुलासा किया कि 2010 में कोलम्बिया में व्यापार यूनियन के 49 लोग मारे गये जिनकी संख्या दुनिया भर में मारे गए व्यापार संघों के कुल लोगों की संख्या से कहीं ज्यादा थी।

अमरीका की कोर्ट में दाखिल किये गये दस्तावेजों के मुताबिक ड्रम्मोण्ड ने इस संगठित खिलाफत पर बहुत ही तीव्र और कठोर प्रतिक्रिया दी। कम्पनी ने जानबूझकर अपनी सम्पत्ति केे बचाव और मंशा को अंजाम देने के लिये दक्षिणपंथी पैरा-मिलिट्री लगवा दी और साथ ही सरकार से कहकर हथियारबंद सैनिक भी तैनात करवा दिये जो लगातार कम्पनी की खदान और रेलों की सुरक्षा कर रहे थे।

समुद्र तट के पानी के नमूने लेती लिलियानाकोयले के खनन और ढुलाई की वजह से भी कोलम्बिया के उत्तरी क्षेत्र में पारिस्थितिकी को बहुत नुकसान पहुँचा है खासतौर पर सीज़र, ला गुजारिया के डिपार्टमेंट और मैगडलेना में ज्यादा नुकसान हुआ है। खदानों के पास के इलाकों में रहने वाले लोगों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है क्योंकि खनन क्रियाओं के चलते न केवल मौजूदा कमाई के साधन पर असर पड़ा है बल्कि वाणिज्य के अन्य अवसर भी नहीं बचे। ऐसा भी सुनने में आया है कि अगर किसी की जमीन कम्पनी के कार्यक्षेत्र में आती है और वो छोड़ने को तैयार नहीं है तो जमीन खाली कराने के लिये कम्पनी हिंसक रास्ते अपनाने से भी नहीं चूकती। इतना ही नहीं कम्पनी की रेल लाइन के नजदीक रहने वाले लोग अगर कोयले के चूरे से फैले प्रदूषण के खिलाफ आवाज बुलंद करते हैं तो आवाज उठाने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। इनमें से कुछ दावे बाद के समय में खारिज कर दिये गये लेकिन कुछ अभी भी लम्बित हैं।

.ड्रम्मोण्ड की खदानों के आस-पास पर्यावरणीय विनाश लगातार हो रहा है, साथ ही गरीबी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। खदानों से निकली कोयले की राख और चूरा गाँवों के घरों में फैल रहा है और लोगों की सेहत को नुकसान पहुँचा रहा है। खदानों में होने वाले विस्फोटों से घरों की दीवारों पर दरारें पड़ रही हैं। गुरेरो मानती हैं, “दस से भी कम सालों में सीजर की धरती पर इतनी ज्यादा खदानें होंगी कि वें चाँद पर काले धब्बों जैसी दिखेंगी।”

शायद इससे भी ज्यादा खतरनाक स्थिति तो यह है कि यहाँ के जल संसाधनों और एक्विफर जो यहाँ के लोगों को पानी मुहैया कराते हैं, को भारी नुकसान पहुँच रहा है। खदानों से निकली जहरीली भारी धातुएँ नदियों और भूजल को प्रदूषित कर रहे हैं जो स्थानीय स्तर पर पेयजल का एकमात्र सहारा हैं और इस तरह दोहरे तरीके से लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।“कोलम्बिया के इस सबके मद्देनजर संगठित तौर पर पैरवी, सामुदायिक सहभागिता और अन्तरराष्ट्रीय ध्यान की जरूरत है।”

पिछले साल जब बोकास दि सेनिजा वाटरकीपर और वाटरकीपर एलायंस ने मिलकर बैरेनकिला में एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसका मकसद था कोलम्बिया में कोयला- खनन कम्पनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये आवाज बुलंद हो और लोग एकजुट हों। सिविल सोसायटी समूहों के लगभग 100 लोगों ने इसमें भागीदारी की और वाटरकीपर एलायंस के स्टाफ से प्रशिक्षण भी हासिल किया। एलायंस की ग्लोबल- कोल कैंपेन मैनेजर डोना लिजनबी भी शामिल थी। लिजनबी उत्तरी कैरोलिना की रहने वाली है यहाँ अपने गाँव एपालाशिया में उन्होंने अमरीका की कोयला कम्पनियों की विनाश लीला देखी है यही उनकी कोयला कम्पनियों से नाराजगी की वजह भी है। व अक्सर उन पर कटाक्ष करती नजर आती हैं। वह तमाम देशों में घूम-घूमकर सभी वाटरकीपरों और उनके सहयोगियों को एकजुट करने में लगी हैं ताकि वे एक साथ कोयला और दूसरे कार्बनिक ईंधन की खिलाफत कर सकें।

डोना ने बताया, “कोयला कम्पनियों ने न केवल एपालाशिया के 475 पहाड़ों को खत्म किया बल्कि 2000 मील की पाक जल धाराओं को भी दफन कर दिया, इतना ही नहीं अमरीका में सैंकड़ों लोग ब्लैक लंग से पीड़ित होकर मर गये। और अब वो वही कहानी बड़े पैमाने पर कोलम्बिया में दुहराना चाहते हैं। उन्हें फिर से इतिहास दुहराने नहीं दिया जायेगा, हम जहरीला पानी, तबाह मंजर और मरते हुये अपने लोग फिर से नहीं देखना चाहते।”

उनने कोलम्बिया के एक संवैधानिक कोर्ट केस की तरफ इशारा किया जो मूल रूप से ड्रम्मोण्ड की कोयला कम्पनी से पीड़ित सीजर के एक परिवार ने मौलिक अधिकारों के हनन के लिये याचिका दायर की थी, इससे कोलम्बिया की सरकार को मजबूर होकर पहली बार एक राष्ट्रीय स्तर का आयोग गठित करना पड़ा जिसका मकसद था कोयल खनन और ढुलाई के दौरान होने वाले जल और वायु के प्रदूषण को कम करने के लिये नियम बनाना।

लिजनबी को लगा, “लिलियाना को जैसे अंधेरे में एक रोशनी की किरण दिखाई दी वह इसी के सहारे कोल माफिया को अपने ही फैलाये गये प्रदूषण को खत्म करने के लिये मजबूर करने के लिये कानून का सहारा ले सकती थी।” उसने गौर किया कि आयोग में नये नियमों का मसौदा तैयार करने के लिये सरकारी अधिकारियों के साथ पर्यावरणीय समूहों के लोगों को शामिल नहीं किया गया इनकी आयोग में गैर हाजिरी सेे सारी प्रक्रिया पर कोयला कम्पनियाँ हावी रहेंगी और नतीजा ढाक के दो पात यानी कम्पनियों के मन मुताबिक कमजोर नियम जिसके सहारे जल, जन, जंगल और जमीन को बचाना मुमकिन नहीं।

खान से निकले पानी की जांच के लिये नमूना लेते रोडरिगो दि ला गुरेरोगुरेरो बैरेनकिला के नजदीक काइमैन बंदरगाह के तटीय जल की जाँच करती रहती हैं। सम्मेलन से कुछ समय पहले ही उसने पर्यावरण और स्थाई विकास मन्त्रालय से विनती की कि वे नियम बनाने की प्रक्रिया में उसकी संस्था को भी शामिल कर लें। लेकिन मन्त्रालय ने उसका कोई जवाब ही नहीं दिया और इसलिये उसने मन्त्रालय के खिलाफ अकर्मण्यता के लिये मूलाधिकार याचिका दायर कर दी।

कोर्ट में कानूनी कार्रवाई के जवाब में पहली बार सरकार की ओर से जवाब मिला कि वह सरकार की इस प्रक्रिया में भाग ले सकती है लेकिन वो भी तब जब एक बार सारी प्रक्रिया अधिकारियों द्वारा बंद दरवाजों में पूरी कर ली जायेगी।

यह तो जैसे बारुद को तीली दिखाने जैसी बात थी। लिलियाना ने संवैधानिक कोर्ट के सामने रिव्यू पेटीशन (पुनर्विचार याचिका) दायर की और कोलम्बिया के कानून में बोकास दि सेनिजा वाटरकीपर के मौलिक अधिकार को परिभाषित करते हुये आयोग में शामिल किये जाने का फैसला देने की दरकार की।

2015 की शुरुआत में ही लिलियाना ने अधिकार याचिका को संशोधित करके ओम्बड्समैन के कार्यालय और कोर्ट को दो मुखतलिफ जजों के सामने रखा। इतना ही काफी नहीं था लिलियाना ने न्यायालय के फैसले का इन्तजार किये बिना दूसरे सिविल सोसायटी ग्रुपों को सम्पर्क करना शुरु किया और उनसे भी विनती की कि वे भी विनती याचिकाएँ दायर करके उसे पर्यावरणीय प्रतिनिधि के रूप में शामिल करने की प्रार्थना कोर्ट से करें।

हालाँकि अभी तक कोई भी समूह उसकी विनती को मानने के लिये तैयार नहीं हुआ है और वो इस जंग में बिल्कुल अकेली है। फिर भी वो जंग से पीछे हटने को तैयार नहीं है। उसका कहना है, “मुझे डर से इंकार नहीं है, मैं कोलम्बिया के उन पर्यावरणीय कार्यकर्ताओं के बीच नाम नहीं लिखवाना चाहती जो लड़ाई में मार दिये गये, लेकिन हम जैसे लोग जो पर्यावरण तथा कोयला खनन और ढुलाई के सताये हुओं को बचाना चाहते हैं इस सच्चाई और खतरों को स्वीकार करना ही होगा।”

गुरेरो दूसरे कानूनी विकल्पों पर भी काम कर रही है। वो कोशिश कर रही है कि ड्रम्मोण्ड कम्पनी की एक खदान के आस-पास रहने वाले लोगों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिये कोर्ट अपने आदेश को अनिवार्य रूप से लागू कर दे, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर एक पब्लिक पॉलिसी कमीशन बनाया जाना है। वह सरकार द्वारा किये जाने वाले कोयला प्रदूषण नियमन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराने के मद्देनजर भी एक नई कानूनी अधिकार याचिका दायर करने की योजना बना रही है।

गुरेरो का कहना है, “कोयला कम्पनियाँ, उनके निवेशक और सरकार में बैठे सहयोगी सोच रहे हैं कि वें जीत गये हैं, लेकिन मेरा कानून में पूरा भरोसा है, मेरे साथ वाटरकीपर एलायंस और तमाम वाटरकीपरों का सहयोग है जिससे मुझे लड़ने का भरोसा मिलता है।”

और इसीलिये वो सभी कोलम्बिया वासियों के साफ और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार के लिये कानूनी लड़ाई जारी रखेगी।लिलियाना कहती है, “मैं लड़ती रहूँगी। मैं कोयला कम्पनियों और सरकार की गलत नीतियों से सताये समुदायों को बचाने के लिये और पर्यावरण तथा मानवीयता के विनाश को खत्म करने के लिये हर मुमकिन कानूनी कोशिश करुँगी।”


इस आलेख की मूल प्रति वाटरकीपर एलायंस मैगज़ीन में अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है।

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