कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए ग्रामीण समुदायों के साथ सही जानकारी साझा करना एक महत्वपूर्ण आवश्यकता के रूप में उभर रहा है। स्थानीय बोलियों और क्षेत्रीय भाषाओं में जागरुकता सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, जिस कारण ग्रामीण इलाकों में जागरुकता फैलाना एनजीओ के सामने एक बड़ी चुनौती है। फेस-टू-फेस, बैठकें, पोस्टर, हैंडआउट और वॉल पेंटिंग जैसे संचार के पारंपरिक तरीके लाॅकडाउन के दौरान संभव नहीं है, जिस कारण ग्रामीण परिवारों तक पहुंचना एनजीओ के लिए मुश्किल हो रहा है।
12 दिनों के अभियान के माध्यम से टाटा ट्रस्ट 21 राज्यों के 1.2 मिलियन ग्रामीण परिवारों तक कोविड-19 के प्रति जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहा है। टाटा ट्रस्ट ने 22 भाषाओं में लगभग 200 वीडियो बनाए हैं, जिनमें संथाली, मुंडारी, कच्छी (गुजरात) और कोबोरोक (त्रिपुरा) जैसी बोलियाँ शामिल हैं। जिन्हें यहां प्लेलिस्ट में देखा जा सकता है। इन कार्यों के पूरे दृष्टिकोण को हमने टाटा वाटर मिशन के प्रमुख दिव्यांग वाघेला और कम्युनिकेशंस टाटा ट्रस्ट्स की प्रमुख दीपशिखा गोयल सुरेंद्रन से जानने का प्रयास किया है।
प्रासंगिक सामग्री बनाना
टाटा वाटर मिशन के प्रमुख दिव्यांग वाघेला ने बताया कि हमारा पहला कार्य समुदायों तक सही जानकारी को पहुंचाना सुनिश्चित करना था। ये जानकारी उन लोगों से समुदायों के पास जानी है, जिन पर वे भरोसा करते हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें ये चिंहित करना था कि कौन-सी जानकारी को साझा करना है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श के बाद 6 मुख्य संदेशों को चिंहित किया गया। इन संदेशों को ही साझा किया जा रहा है, जिनमें हाथ धोने, सोशल डिस्टेंसिंक, छींकने के दौरान पर्याप्त एहतियात, सूचना के सही स्रोत पर निर्भर रहना, कोविड-19 की जल्द पहचान और प्रवासी श्रमिकों केे लौटाने के लिए सेल्फ-क्वारंटीन के प्रोटोकाॅल जैसे संदेशों को शामिल किया गया है।
दिव्यांग बताते हैं कि सामुदायिक संस्थानों और कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन(सीआरपी)/फ्रंट लाइन वर्कर्स के माध्यम से ट्रस्ट की देश भर के ग्रामीण समुदायों के बीच व्यापक पहुंच है। इन मौजूदा संस्थागत संरचनाओं का उपयोग हमने ग्रामीण समुदायों, यहां तक कि देश के अति-दुर्गम स्थानों तक पहुंचने के लिए किया। ट्रस्ट ने 500 से अधिक मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया है, जो इन संचार सामग्रियों को पहुंचाने के साथ साथ कार्यान्वयन का कार्य भी देख रहे हैं। 12 दिन के अभियान के अंतर्गत एक संदेश को हर दूसरे दिन, यानी एक दिन छोड़कर, विभिन्न डिजिटल माध्यमों से साझा करने की अनुमति ट्रस्ट देता है। ऐसा इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि लोगों पर एकसाथ सूचना व जानकारियों की बौछार नहीं की जा सकती।
सभी तक पहुंच
कम्युनिकेशंस टाटा ट्रस्ट्स की प्रमुख दीपशिखा गोयल सुरेंद्रन बताती हैं कि ग्रामीण किसान खेती के तरीकों की जानकारी के लिए एक विश्वसनीय स्त्रोत के रूप में हम पर भरोसा करते हैं। यही भरोसा कोविड-19 के हमारे संचार की ग्रामीणों के मध्य स्वीकृति के लिए भी महत्वपूर्ण है। ग्राम वाणी (प्रौद्योगिकी मंच) के माध्यम से mKrishi, IVRs जैसे एप्लीकेशन पर ऑडियो, वीडियो, एनीमेशन वीडियो, टेक्स्ट मैसेज, इन्फोग्राफिक्स जैसी विविध प्रसार कार्यनीति होने के कारण ये काफी विकट रहा है। सूचना के प्रसार के लिए कुछ राज्यों में, सामुदायिक रेडियो सिस्टम का भी उपयोग किया गया है।
हरभजन सिंह, नाना पाटेकर, सोनाली कुलकर्णी, युसुफ पठान, मालिनी अवस्थी, अतुल कुलकर्णी, इला अरुण आदि जैसी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय ख्याति प्राप्त हस्तियों ने अपने ऑडियो और वीडियो के माध्यम से कोविड-19 के प्रति जागरुकता फैलाने और सही संदेशों को फैलाने में अपना योगदान दिया है। इस कार्य को और आगे बढ़ाने में ट्रस्ट के स्थानीय साथी संगठन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 40 से अधिक साझेदारों ने कार्य करने के लिए ट्रस्ट का सहयोग किया और उन भौगोलिक क्षेत्रों में संदेश प्रसारित करना शुरू कर दिया है, जहां वे कार्य करते हैं।
प्रतिक्रिया (फीडबैक) और नई सामग्री
दीपशिखा बताती हैं कि लोगों से प्रतिक्रिया प्राप्त करना उनके जागरुकता अभियान का एक हिस्सा है। फीडबैक काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये वार्तालाप या आपसी बातचीत को बनाए रखता है और इससे जागरुकता अभियान एक-तरफा नहीं लगता है। उनके मैसेजिंग में कुछ फीडबैक लूप हैं, जो विशेषकर इनके लिए ही बनाए गए हैं। उनके मास्टर ट्रेनर्स का नेटवर्क भी वार्तालाप के लिए समुदायों तक पहुंच रहा है और उनके फीडबैक भी ले रहा है। दीपशिखा बताती हैं, कि फीडबैक केवल सामग्री की गुणवत्ता के बारे में ही नहीं लिया जाता है, बल्कि ये भी पता लगाया जाता है कि जो वे सुन रहे हैं, क्या वे उसका अनुपालन करेंगे और अपने अन्य संपर्कों के साथ साझा करेंगे। इसके अलावा लोगों से बात करने से उनकी चिंताओं के बारे में जानकरी मिलती है, जो नई सामग्रियो को बनाने में काफी सहायक होती है।
सार्वभौमिक उपलब्धता
दिव्यांग और दीपशिखा इस बात पर जोर देते हैं कि बनाई गई सामग्री टाटा ट्रस्ट द्वारा सार्वजनिक हित में जारी की जाती है और सार्वजनिक हित के लिए है। वे कोविड-19 में काम करने वाले सभी लोगों से आग्रह करते हैं कि वे इसका उपयोग करें। वे अपनी प्लेलिस्ट में संचार सामग्रियों को जोड़ भी रहे हैं, और विशेषज्ञों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, वे आते रहें और देखें कि जो उन्हें चाहिए क्या वो सामग्री उपलब्ध है।
अंग्रेजी में पढ़ने के लिये देखें- इंडिया वाटर पोर्टल
अनुवादक - हिमांशु भट्ट (8057170025)
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