धार। जिले के सरदारपुर तहसील के ग्राम बड़ोदिया के कृषक ने जुगाड़ के माध्यम से एक ऐसी मशीन तैयार की है जिससे कि 800 से 1000 फीट गहरे नलकूप की एंजियोग्राफी की जाती है। एंजियोग्राफी के तहत हार्ड के अन्दर की चोक हो चुकी वेन की पड़ताल की जाती है। इसी तरह किसान होल के चोक हो जाने से लेकर अन्य मर्ज पता करने के लिये तकनीक की मदद लेने लगे हैं। जितनी गहराई का नलकूप होता है उतनी गहराई तक एचडी कैमरा और एलईडी लाइट अन्दर पहुँचाई जाती है और किसान पाताल तक के हाल ऊपर लैपटाप पर देख लेता है। खासकर किसानों को अपने नलकूप में मिट्टी भर जाने से लेकर केसिन पाइप की स्थिति आदि जानने में सहायता मिलती है। इसी के बाद किसान उसके नलकूप की सेहत ठीक करने का निर्णय लेता है।
ग्राम बड़ोदिया के कृषक पंकज पाटीदार और महेश पड़ियार व मुरली पाटीदार ने मिलकर जुगाड़ की तकनीक से यह मशीन बनाई है। जो नलकूप के स्वास्थ्य की पड़ताल करती है।
क्या काम आती है मशीन
इस समय किसानों को नलकूप के बंद हो जाने के कारण उसके भूजल स्तर को पता करने से लेकर अन्य कई चीजों की जानकारी मिल जाती है। खासकर नलकूप में डाली गई मोटर, रॉड खराब होने से लेकर मिट्टी भर जाने से लेकर जितनी भी भीतरी स्थिति हो पता लगाई जा सकती है।
क्या है मशीन
कृषक पंकज ने बताया कि हमने नलकूप की गहराई में होने वाली परेशानियों को जानने के लिये वॉटर प्रूफ एचडी कैमरा लगाया और उसके साथ में केबल जोड़ दी। कैमरे के साथ-साथ एलईडी लाइट भी जोड़ रखी है। साथ ही इसे लैपटॉप से जोड़ रखा है। इस तरह की व्यवस्था से नलकूप के अन्दर की स्थितियाँ मालूम हो जाती हैं। ये लोग किसानों को सेहत रिपोर्ट के तौर पर ऑन स्पाट सारी स्थिति लैपटॉप पर दिखाते हैं। साथ ही उसका वीडियो भी बनाकर दे देते हैं।
कृषकों ने अपनाना शुरू किया
ग्राम राजपुरा के कृषक राकेश हामड़ ने बताया कि मेरे खेत स्थित नलकूप बन्द हो गया था। इस बन्द नलकूप के बारे में भीतर की स्थिति जानने के लिये मैंने पंकज पाटीदार से सम्पर्क किया। उन्होंने करीब 800 फीट भीतर तक की स्थिति की पड़ताल की और मुझे सारे हालात बता दिये। इस पर मैंने यह निर्णय लिया कि इस नलकूप को सुधरवाने की बजाय दूसरा विकल्प ढूँढा जाए। इसमें मेरा केवल 4 हजार स्र्पए का खर्चा हुआ। जबकि यदि मैं इस पर परम्परागत तकनीक व मशीन से स्थिति देखता तो काफी रकम खर्च हो जाती। इसके बाद नतीजा वही रहता कि मुझे नलकूप को बन्द ही करना पड़ता।
एंजियोग्राफी में हार्ड के अन्दरूनी हिस्से में जो वेन चोक हो जाती है उनको रेडियो ओपेक ड्राई के माध्यम से पता किया जाता है। अन्दर किस तरह की परेशानी है यह एक्सरे खींचकर मालूम कर लिया जाता है कि क्या दिक्कत है... दीपक नाहर, चिकित्सक धार
ओंकारेश्वर बाँध के निर्माण के समय हॉलैंड के वैज्ञानिकों को लाकर इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। धार जिले के किसान यदि इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अच्छी बात है। न केवल नलकूप खनन के दौरान बल्कि नलकूप खनन हो जाने के बाद कई तरह की स्थितियों में यदि किसान भूजलविद से मार्गदर्शन ले तो लाभ मिल सकते हैं। उदाहरण के लिये यदि अन्दर की किसी ऐसी चट्टान में जहाँ पानी पाए जाने की संभावना रहती है तो कैमरे से उसका फोटो लेकर पुष्टि हो सकती है। साथ ही कितनी गहराई पर वह चट्टान है पता किया जा सकता है। उतनी गहराई पर ब्लास्ट करके पानी अधिक मात्रा में प्राप्त करने की कोशिश हो सकती है...केके नजमी, भूजलविद
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