मध्य प्रदेश के सिंगरौली में एस्सार पॉवर प्लांट से निकलने वाले जहरीले फ्लाई ऐश का तालाब फूटने के बाद कई गांवों के लोगो की जिंदगी तबाह हो गई है। बारिश के पानी के साथ बह कर आई फ्लाई ऐश की वजह से चार गांवों की फसलें नष्ट हो गई है। इतना ही नहीं फ्लाई ऐश गांव में बने मकानों में घुस जाने से घर में रखा अनाज सहित अन्य खाद्यान आदि सबकुछ खत्म हो गया। प्रशासन ने फसलों के नुकसान का कुल आकलन महज 50 लाख रुपए किया है। दूसरी तरफ पीड़ित परिवारों की शिकायत है कि उन्हें घर-बार छोडकर पंचायत भवन में रहना पड रहा है। यहां उन्हें बच्चों का पेट भरने लायक खाना भी नसीब नहीं हो रहा है। सबसे बडी पीडा इस बात की है कि आने वाले कई सालों तक उनके खेत अब फसलों को उगाने के लायक नहीं रहेंगे। ऐसे में उनके भविष्य पर सवालिया निशान खडा हो गया है।
दरअसल मामला मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में बसे खैराही और करसुआ सहित चार गांवों का है। ये सभी गांव एस्सार पॉवर प्लांट के नजदीक हैं। बीते 7 अगस्त की रात तेज बारिश के दौरान प्लांट की फ्लाई ऐश राखड से भरा बाँध टूट गया और आसपास के 4 से 5 किलोमीटर के दायरे में पानी के साथ सैलाब की तरह खेतों और घरों के भीतर तक सब कुछ तबाह कर गया। प्लांट से निकली यह राखड़ सामान्य राख नहीं बल्कि ये राख खतरनाक केमिकलयुक्त बेहद जहरीली होती है। इसने खेतों में खडी अरहर, उड़द और धान की फसलों को चैपट कर दिया। घरों में रखा राशन का सामान तक नष्ट हो गया। करसुआ गांव के रहने वाले सुरेन्द्र जायसवाल का कहना है कि उसके पास 5 एकड जमीन है। अरहर और उडद लगाया था। राखड ने सब खत्म कर दिया। घर में खाने का सामान भी नहीं है। वहां रहा भी नहीं जा सकता। वह अपनी दो पत्नियों और 6 बच्चों के साथ एक हफ्ते से पंचायत में रह रहा है। यहां दो वक्त का इतना खाना भी नहीं मिल रहा कि पेट भरा जा सके। कमोबेश यही हाल गांव के अनुज जायसवाल का भी है। प्रशासन ने इलाके के चार गांवों की 198 एकड जमीन को खराब होना पाया है। करीब साढे चार सौ किसान हैं जो सरकारी तौर पर प्रभावित हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यहां करीब 2 हजार लोग हैं जो इससे अप्रत्यक्ष रुप से प्रभावित हुए हैं। पानी के जरिए फ्लाई ऐश ने दूर तक के खेतों की मिट्टी को खराब कर दिया है।
जानकारों के मुताबिक ये जमीनें बंजर हो गई हैं और आने वाले कई सालों तक अब जमीन की उर्वरक क्षमता बहुत कम या लगभग खत्म हो जाएगी। प्रशासन ने फसलों के बदले 50 लाख रुपए की राशि स्वीकृत कर कंपनी को भुगतान करने के लिए कहा गया है लेकिन बडा सवाल यह है कि साढे 4 सौ किसानों की फसल का खामियाजा क्या महज 50 लाख रुपए से भरा जा सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को ट्वीट कर प्रभावितों को मदद का भरोसा दिलाया है। मिली जानकारी के अनुसार एस्सार कंपनी ने नियम के मुताबिक फ्लाई ऐश डेम को पक्का नहीं बनाया था जिससे यह हादसा हुआ। दूसरी तरफ कंपनी के लोगो का कहना है कि ज्यादा बारिश होने और कंपनी को बदनाम करने के लिए कुछ असामाजिक तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया है।
टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात वर्मा और आयर्न पॉवर प्लांट अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के नेता शिवकुमार का कहना है कि ऐशडेम बनने के दौरान ही इस तरह के हादसे कि आशंका जताते हुए ग्रामीण बसाहट से दूर बांध बनाए जाने कि मांग को लेकर ग्रामीणों द्वारा आंदोलन किया गया था, किंतु कंपनी प्रबंधन के दबाव में जिला प्रशासन ने मनमानी करते हुए लोगो को अनसुना कर दिया था। बताया जा रहा है कि एस्सार कंपनी ने नियम के मुताबिक फ्लाई ऐश डैम को पक्का नहीं बनाया था जिससे यह हादसा हुआ। दूसरी तरफ कंपनी के लोगो का कहना है कि ज्यादा बारिश होने और कंपनी को बदनाम करने के लिए कुछ असामाजिक तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया है। घटना को लेकर अंचल में एस्सार प्रबंधन के प्रति खासा रोष है और जिला प्रशासन को दोषी माना जा रहा है। प्रभावितों की मांग है कि उन्हें-
- जमीन के बदले जमीन दी जाये।
- फसल नुकसानी की क्षतिपूर्ति दी जाये।
- ऐशडेम को बसाहट से दूर कहीं और बनाया जाये।
- एस्सार प्रबंधन के विरुद्ध उनकी लापरवाही के कारण
- आपराधिक प्रकरण कायम किया जाये।
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