कचरा प्रबंधन के बिना कोरोना को हराना मुश्किल

कचरा प्रबंधन के बिना कोरोना को हराना मुश्किल
कचरा प्रबंधन के बिना कोरोना को हराना मुश्किल

कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए प्रारंभ से ही पर्याप्त स्वच्छता बनाए रखने के निर्देश दिए जा रहे हैं। मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। जैसे जैसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, बयोमेडिकल वेस्ट की मात्रा भी बढ़ती जा रही है, लेकिन भारत में पहले से ही बायोमेडिकल वेस्ट के प्रबंधन की पर्याप्त सुविधा नहीं रही है। सामान्य कचरे का प्रबंधन भी देश के नगर निकाय उचित रूप से और पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कोरोना के दौरान अस्पतालों, क्वारंटीन सेंटरों सहित विभिन्न चिकित्सा केंद्रों से निकलने वाले कचरे से परेशानी और बढ़ सकती है। परेशानी के कारण उत्पन्न होने वाले संकट की आशंका जताते हुए ही 24 मार्च 2020 को संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम ने दुनियाभर की सरकारों से कोविड-19 से जुड़े कचरे का सावधानीपूर्वक निस्तारण करने की अपील की थी। इसके लिए बेसल संधि (Basel Convention) पत्र का हवाला देते हुए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। भारत ने भी इस संधि पत्र में हस्ताक्षर किए थे। इस पर कितना अमल किया जा रहा है ये शासन और प्रशासन को पता होगा, लेकिन इस दिशा में स्वच्छता और एहतियात के दृष्टिकोण से हम चीन से काफी कुछ सीख सकते हैं।

सर्वविदित है कि कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान से हुई थी। चीन में संक्रमण इतनी तेजी से बढ़ा कि संक्रमितों का आंकड़ा 80 हजार पार कर गया। कोरोना से जंग लड़ने के लिए चीन ने नौ दिन में एक हजार बेड वाला अस्पताल बना दिया था। जिसे देखकर पूरी दुनिया हैरान थी। मरीजों की संख्या बढ़ने से बायोमेडिकल वेस्ट बढ़ रहा था। आम दिनों की अपेक्षा बायोमेडिकल वेस्ट की मात्रा छह गुना बढ़ गई थी, जिसमें थूक, मल, मरीक्षण के नमूने का बचा हुआ अपशिष्ट, माइक्रोबायोलाॅजिकल और बायोटेक्निकल कचरा, खराब हो चुकी दवाइयां, ठोस, तरल और रासायनिक अपशिष्ट, फेंके हुए मास्क और ग्लव्स, इस्तेमाल की हुई पीपीई किट और अन्य सुरक्षा किट आदि शामिल थे। बढ़ते बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए चीन ने एक ‘विशेष कोविड-19 कचरा प्रबंधन संयंत्र’ के अलावा 46 अस्थायी कचरा संशोधन केंद्र भी बनवाए। ये सब करना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मानव मल में कोरोना वायरस सात दिनों तक जिंदा रह सकता है। इसके कई प्रमाण भी सामने आए थे। इसके बाद सभी देश सतर्क हो गए, लेकिन भारत तो सीवेज का भी ठीक से निस्तारण नहीं कर पाता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 2015 के आंकड़ों के अनुसार भारत के शहरी इलाकों से हर दिन लगभग 6 लाख 19 हजार 480 लाख लीटर सीवेज निकलता है, लेकिन हमारी क्षमता कुल सीवेज का 37 प्रतिशत, यानी केवल 2 लाख 32 हजार 770 लाख लीटर सीवेज का शोधन करने की है। बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के मामले में भी भारत ने अभी ज्यादा प्रगति नहीं की है। सीपीसीबी के 2016 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर दिन लगभग 517 टन बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ काॅमर्स, इंडट्री ऑफ इंडिया एंड वेलोसिटी के 2018 के आंकड़ों के मुताबिक भारत हर दिन 550 टन बायोमेडिकल कचरे का उत्पादन करता है, लेकिन 2022 तक इसी कचरे का उत्पादन बढ़कर 775.5 टन प्रतिदिन हो जाएगा। कुछ अन्य आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 तक भारत में उत्पन्न 2 लाख टन बायोमेडिकल वेस्ट का लगभग 78 प्रतिशत निस्तारण ‘काॅमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी’’ करते थे। शेष 22 प्रतिशत कचरा या तो अन्य विभाग निस्तारित करते थे, या फिर जमीन में दफना दिया जाता था। कई जगहों पर तो ये नगर निकायों के डंपिंग यार्ड पर ही फेंक दिया जाता है, जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों और संक्रमणों का कारण बनता है। कोविड-19 के दौरान संक्रमण फैलने का खतरा और अधिक हो जाता है, जिस कारण कचरे का सावधानीपूर्वक निस्तारण बेहद जरूरी है। इसलिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए गाइडलाइन भी जारी की थी। 

भारत में कचरे का निस्तारण इसलिए भी बेहद जरूरी है, क्योंकि यहां अधिकांश नदियां प्रदूषित हैं। करोड़ों लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता है। स्वच्छता के क्षेत्र में देश काफी पिछड़ा हुआ है। एक प्रकार से गंदगी भारत की एक गंभीर समस्या रही है। इसलिए महात्मा गांधी ने भी हमेशा स्वच्छ भारत का सपना देखा था। स्वच्छ भारत अभियान में इस दिशा में काफी सकारात्मक बदलाव आए हैं, लेकिन अदलाव अपेक्षाकृत कम है, जो कोरोना में समस्या बन सकते हैं। क्योंकि भारत में कोरोना के मामलों में अब तेजी आ रही है। कोरोना के मामलों के बढ़ने के साथ ही बायोमेडिकल कचरा भी अधिक मात्रा में उत्पन्न होगा। जिसका उचित प्रबंधन करना हमारे लिए बेहद जरूरी है। सीपीसीबी के अनुसार 48 घंटों में बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तरण किया जाना चाहिए, लेकिन देश में सुविधाओं का अभाव एक चुनौती है। जिससे भारत को पार पाना होगा, तभी हम कोरोना से जीत पाएंगे। अन्यथा, कचरा प्रबंधन के बिना कोरोना को हराना मुश्किल हो जाएगा। इस जंग में आम जनता का भी अहम योगदान होगा। जनता को सरकार की मदद, खुद की रक्षा और कोरोना को हारने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव भी लाने होंगे।


हिमांशु भट्ट (8057170025)

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Post By: Shivendra
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