प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे के अनुसार 60 मिलियन टन से अधिक कचरा प्रतिवर्ष निकल रहा है। इस कचरे में 10 मिलियन कचरा अकेले दिल्ली, कोलकाता, बंगलुरु एवं हैदराबाद से निकल रहा है। मुंबई में प्रतिदिन लगभग 6500 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। देश में जहां एक ओर लगभग 32 करोड़ लोगों को प्रतिदिन भूखे पेट सोना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर करोड़ों टन भोजन प्रतिदिन कचरे के ढेर में परिवर्तित हो रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में प्रतिदिन 384 टन भोजन कचरे के ढेर में फेंक दिया जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे के अनुसार 60 मिलियन टन से अधिक कचरा प्रतिवर्ष निकल रहा है। इस कचरे में 10 मिलियन कचरा अकेले दिल्ली, कोलकाता, बंगलुरु एवं हैदराबाद से निकल रहा है। मुंबई में प्रतिदिन लगभग 6500 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। देश में कुल पचास करोड़ लोगों का भोजन प्रतिदिन कचरे में तब्दील हो रहा है। जबकि हमारा देश विश्व में भुखमरी प्रधान देशों में गिना जा रहा है। यदि सही मायने में फेंकने वाले भोजन का प्रबंधन कर दिया जाए तो कोई भूखे पेट नहीं सोएगा। इसे प्रबंधन की कमी ही कहा जाएगा कोई भूख से मर रहा है वहीं कोई अधिक खाने के कारण मर रहा है।
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गयी है। इसे नि:संदेह अच्छे कार्य के पहल के रूप में देखा जाना चाहिए। प्रत्येक नागरिक यदि अपना घर एवं अपना दरवाजा साफ रखे तो पूरा देश चमचमाता हुआ नजर आएगा। यदि हम गंदगी नहीं फैलाएं तो कोई गंदगी नहीं फैलाएगा यही सोच होनी चाहिए। गंदगी एवं कचरे के कारण जहां एक ओर समाज में गंदगी नजर आ रही है वहीं दूसरी ओर इस कूड़े से तमाम प्रकार की घातक संक्रामक बीमारियां पैदा हो रही हैं। इन बीमारियों का सर्वाधिक असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। स्वच्छ भारत रहेगा तो इसे स्वस्थ भारत की संज्ञा दी जा सकती है।
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अनुसार देश में 20 फीसदी मीथेन गैस का उत्सर्जन कचरे के कारण हो रहा है। इस गैस के चलते होने वाले वायु प्रदूषण से प्रतिदिन 150 लोगों की मौतें हो रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अनुसार देश में 20 फीसदी मीथेन गैस का उत्सर्जन कचरे के कारण हो रहा है। इस गैस के चलते होने वाले वायु प्रदूषण से प्रतिदिन 150 लोगों की मौतें हो रही हैं। इन मौतों को आसानी से साफ-सफाई कर रोका जा सकता है। प्रतिदिन 20 करोड़ कागज के थैले एवं पन्नियां सड़कों पर फेंकी जा रही हैं। कूड़े का समुचित प्रबंधन जब तक नहीं किया जाएगा स्वच्छ भारत के लिये किसी चुनौती से कम नहीं रहेगा।
इसी प्रकार इन कचरों के ढेर को जहां फेंका जा रहा है वहां आस-पास कोई बस्ती आदि नहीं होनी चाहिए। लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि शहर से कुछ ही दूरी पर कचरे का ढेर लगा दिया जाता है जिससे उसकी दुर्गंध बस्ती में भी आती रहती है। इस दुर्गंध के साथ उस क्षेत्र के लोगों को जीने की आदत-सी पड़ जाती है।
देश के विभिन्न शहरों से निकलने वाले कचरे का रख-रखाव ठीक ढंग से नहीं होने के चलते इससे जानलेवा बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। विश्व के दूसरे विकसित देशों में कचरे को भी किसी न किसी रूप में उपयोग में लाये जाने की प्रक्रिया शुरू है, लेकिन हमारे यहां इसे एक परेशानी के तौर पर देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो जिस जगह पर कचरा डम्प किया जाता हो वहां पर कम से कम 15 वर्षों तक कोई बस्ती नहीं बसाई जानी चाहिए क्योंकि उस क्षेत्र के जल में विषैले तत्व मिल जाते हैं।देश में कुल 5161 नगर, 35 महानगर, 393 प्रथम श्रेणी के नगर एवं 401 द्वितीय श्रेणी के दर्जा प्राप्त शहर हैं। इनके अतिरिक्त 3894 नगर न नियोजित हैं और न नियोजन वाली नगर-पालिकाएं हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जिस जगह पर कचरा डम्प किया जाता हो वहां पर कम से कम 15 वर्षों तक कोई बस्ती नहीं बसाई जानी चाहिए क्योंकि उस क्षेत्र के जल में विषैले तत्व मिल जाते हैं। इतनी खतरनाक कचरे एवं कूड़े को अपने आस-पास फैलने से रोकने के लिये भरसक प्रयास किया जाना चाहिये।
सरकारी तंत्रों की छोड़िए इस कार्य को समाज का प्रत्येक नागरिक आसानी से कर सकता है। जब तक समाज में रहने वाले लोग जागरूक नहीं होंगे, उन्हें इसकी भयानकता का एहसास नहीं होगा, सफाई पर उचित ध्यान दिया जाना मुश्किल लगता है।
आमतौर पर देखा जा रहा है कि लोग अपने मुहल्ले में सफाई-कर्मियों के आने का इंतजार करते हुए नजर आते हैं। यदि यही सफाई कर्मचारी दो-चार दिन नहीं आए तो चारों ओर कूड़े के ढेर दिखाई देने लगते हैं। गौर करने वाली बात है जिस कूड़े को सामान्य लोग छूना भी नहीं चाहते उसे आप जैसा ही दूसरा आदमी साफ करता है इसका ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
एक निजी कंपनी के सर्वे के मुताबिक खुले स्थान पर शौच करने एवं खुले जगह पर कूड़ा फेंकने के मामले में देश को विश्व में पहला स्थान प्राप्त है।कचरा निस्तारण के मामले में समाज में पर्याप्त जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है। कचरे का ढेर लग जाने पर आमतौर पर यह देखा जाता है कि उसमें आवारा पशु मुंह मारते हैं साथ ही उसे काफी बड़े क्षेत्र में फैला भी देते हैं। इसी प्रकार तमाम चीजें उसे अपना अड्डा बना लेती हैं जिसकी दुर्गंध तो लोग बर्दाश्त करते हैं लेकिन उसे साफ करने की व्यवस्था नहीं करते हैं। यदि कचरा फेंकते समय यह ध्यान रखा जाए कि इसे हमारे जैसा ही आदमी साफ करेगा तो शायद कचरे की यह हालत नहीं हो जैसी हो रही है। एक निजी कंपनी के सर्वे के मुताबिक खुले स्थान पर शौच करने एवं खुले जगह पर कूड़ा फेंकने के मामले में देश को विश्व में पहला स्थान प्राप्त है। इस शर्मनाक आदतों से तभी छुटकारा मिल सकता है जब हमारे जेहन में स्वच्छ भारत के साथ ही स्वस्थ भारत की तस्वीर बने, जहां सभी लोगों का जीवन सुखमय हो।
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गयी है। इसे नि:संदेह अच्छे कार्य के पहल के रूप में देखा जाना चाहिए। प्रत्येक नागरिक यदि अपना घर एवं अपना दरवाजा साफ रखे तो पूरा देश चमचमाता हुआ नजर आएगा। यदि हम गंदगी नहीं फैलाएं तो कोई गंदगी नहीं फैलाएगा यही सोच होनी चाहिए। गंदगी एवं कचरे के कारण जहां एक ओर समाज में गंदगी नजर आ रही है वहीं दूसरी ओर इस कूड़े से तमाम प्रकार की घातक संक्रामक बीमारियां पैदा हो रही हैं। इन बीमारियों का सर्वाधिक असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। स्वच्छ भारत रहेगा तो इसे स्वस्थ भारत की संज्ञा दी जा सकती है।
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अनुसार देश में 20 फीसदी मीथेन गैस का उत्सर्जन कचरे के कारण हो रहा है। इस गैस के चलते होने वाले वायु प्रदूषण से प्रतिदिन 150 लोगों की मौतें हो रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अनुसार देश में 20 फीसदी मीथेन गैस का उत्सर्जन कचरे के कारण हो रहा है। इस गैस के चलते होने वाले वायु प्रदूषण से प्रतिदिन 150 लोगों की मौतें हो रही हैं। इन मौतों को आसानी से साफ-सफाई कर रोका जा सकता है। प्रतिदिन 20 करोड़ कागज के थैले एवं पन्नियां सड़कों पर फेंकी जा रही हैं। कूड़े का समुचित प्रबंधन जब तक नहीं किया जाएगा स्वच्छ भारत के लिये किसी चुनौती से कम नहीं रहेगा।
इसी प्रकार इन कचरों के ढेर को जहां फेंका जा रहा है वहां आस-पास कोई बस्ती आदि नहीं होनी चाहिए। लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि शहर से कुछ ही दूरी पर कचरे का ढेर लगा दिया जाता है जिससे उसकी दुर्गंध बस्ती में भी आती रहती है। इस दुर्गंध के साथ उस क्षेत्र के लोगों को जीने की आदत-सी पड़ जाती है।
देश के विभिन्न शहरों से निकलने वाले कचरे का रख-रखाव ठीक ढंग से नहीं होने के चलते इससे जानलेवा बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। विश्व के दूसरे विकसित देशों में कचरे को भी किसी न किसी रूप में उपयोग में लाये जाने की प्रक्रिया शुरू है, लेकिन हमारे यहां इसे एक परेशानी के तौर पर देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो जिस जगह पर कचरा डम्प किया जाता हो वहां पर कम से कम 15 वर्षों तक कोई बस्ती नहीं बसाई जानी चाहिए क्योंकि उस क्षेत्र के जल में विषैले तत्व मिल जाते हैं।देश में कुल 5161 नगर, 35 महानगर, 393 प्रथम श्रेणी के नगर एवं 401 द्वितीय श्रेणी के दर्जा प्राप्त शहर हैं। इनके अतिरिक्त 3894 नगर न नियोजित हैं और न नियोजन वाली नगर-पालिकाएं हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जिस जगह पर कचरा डम्प किया जाता हो वहां पर कम से कम 15 वर्षों तक कोई बस्ती नहीं बसाई जानी चाहिए क्योंकि उस क्षेत्र के जल में विषैले तत्व मिल जाते हैं। इतनी खतरनाक कचरे एवं कूड़े को अपने आस-पास फैलने से रोकने के लिये भरसक प्रयास किया जाना चाहिये।
सरकारी तंत्रों की छोड़िए इस कार्य को समाज का प्रत्येक नागरिक आसानी से कर सकता है। जब तक समाज में रहने वाले लोग जागरूक नहीं होंगे, उन्हें इसकी भयानकता का एहसास नहीं होगा, सफाई पर उचित ध्यान दिया जाना मुश्किल लगता है।
आमतौर पर देखा जा रहा है कि लोग अपने मुहल्ले में सफाई-कर्मियों के आने का इंतजार करते हुए नजर आते हैं। यदि यही सफाई कर्मचारी दो-चार दिन नहीं आए तो चारों ओर कूड़े के ढेर दिखाई देने लगते हैं। गौर करने वाली बात है जिस कूड़े को सामान्य लोग छूना भी नहीं चाहते उसे आप जैसा ही दूसरा आदमी साफ करता है इसका ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
एक निजी कंपनी के सर्वे के मुताबिक खुले स्थान पर शौच करने एवं खुले जगह पर कूड़ा फेंकने के मामले में देश को विश्व में पहला स्थान प्राप्त है।कचरा निस्तारण के मामले में समाज में पर्याप्त जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है। कचरे का ढेर लग जाने पर आमतौर पर यह देखा जाता है कि उसमें आवारा पशु मुंह मारते हैं साथ ही उसे काफी बड़े क्षेत्र में फैला भी देते हैं। इसी प्रकार तमाम चीजें उसे अपना अड्डा बना लेती हैं जिसकी दुर्गंध तो लोग बर्दाश्त करते हैं लेकिन उसे साफ करने की व्यवस्था नहीं करते हैं। यदि कचरा फेंकते समय यह ध्यान रखा जाए कि इसे हमारे जैसा ही आदमी साफ करेगा तो शायद कचरे की यह हालत नहीं हो जैसी हो रही है। एक निजी कंपनी के सर्वे के मुताबिक खुले स्थान पर शौच करने एवं खुले जगह पर कूड़ा फेंकने के मामले में देश को विश्व में पहला स्थान प्राप्त है। इस शर्मनाक आदतों से तभी छुटकारा मिल सकता है जब हमारे जेहन में स्वच्छ भारत के साथ ही स्वस्थ भारत की तस्वीर बने, जहां सभी लोगों का जीवन सुखमय हो।
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Post By: birendrakrgupta