कार्बन फुटप्रिंट

ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के कर्इ तरीके हैं। सौर, पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल और पौधरोपण आदि से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। कार्बन उत्सर्जन और अन्य ग्रीनहाउस गैंसों का वातावरण में निकास जीवाश्म र्इंधन, कच्चे तेल और कोयले के जलने से होता हैं। क्योटो प्रोटोकाल में कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों पर मसौदा पेश किया गया। अपने कार्बन फुटप्रिंट में कमी घर में बिजली इस्तेमाल में किफायत से फ्लोरेसेंट बल्बों के इस्तेमाल से लाई जा सकती है। कार्बन फुटप्रिंट का मतलब किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया जाने वाला कुल कार्बन उत्सर्जन होता है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब कार्बन डाइऑक्साइड या ग्रीनहाउस गैंसों का उत्सर्जन भी होता है। कार्बन फुटप्रिंट का नाम इकोलाजिकल फुटप्रिंट विमर्श से निकलता है। यह इकोलाजिकल फुटप्रिंट का ही अंश हैं। उससे अधिक यह जीवनचक्र आकलन (एल.सी.ए.)का हिस्सा है। किसी व्यक्ति, संस्था या वस्तु के कार्बन फुटप्रिंट का आकलन ग्रीनहाउस गैंसों के उत्सर्जन के आधार पर किया जा सकता है।

संभवत: कार्बन फुटप्रिंट का सबसे बड़ा कारण इंसान की इच्छा ही होती है। इसके साथ घर में इस्तेमाल होने वाली बिजली की जरुरत भी इसका बड़ा कारण हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इंसान की करीब सभी आदतें, जिनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड़े तक शामिल है। कार्बन फुटप्रिंट का कारण बनते हैं। दूसरे शब्दों में हर काम के लिए ऊर्जा की जरुरत पड़ती है और इससे कार्बन डाइऑक्साइड (सी.ओ.2) गैस निकलती हैं, जो धरती को गर्म करने वाली सबसे अहम गैस है। हम दिन, महीने या साल में जितनी सी.ओ. 2 पैदा करते हैं, वह हमारा कार्बन फुटप्रिंट है। इसे कम से कम रख कर ही पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से बचाया जा सकता है।

ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के कर्इ तरीके हैं। सौर, पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल और पौधरोपण आदि से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। कार्बन उत्सर्जन और अन्य ग्रीनहाउस गैंसों का वातावरण में निकास जीवाश्म र्इंधन, कच्चे तेल और कोयले के जलने से होता हैं। क्योटो प्रोटोकाल में कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों पर मसौदा पेश किया गया। अपने कार्बन फुटप्रिंट में कमी घर में बिजली इस्तेमाल में किफायत से फ्लोरेसेंट बल्बों के इस्तेमाल से लाई जा सकती है। अपनें बर्तनों को हाथ से धोकर, उन्हें खुले वातावरण में रखकर सुखाएंं। ग्लास, धातुओं, प्लास्टिक और कागज केा एकाधिक बार इस्तेमाल में लाएं। अपने रेफ्रिजरेटर की रफ्तार धीमी रखें। घर की दीवारों पर हल्के रंग का पेंट भी इसमें मददगार होता है।

विभिन्न देशों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन


देश

सालाना सी.ओ.2 उत्सर्जन (हजार मीट्रिक टन में)

कुल उत्सर्जन में हिस्सेदारी (प्रतिशत में)

चीन

6,103,493

21.5

अमरीका

5,752,289

20.2

यूरोप

3,914,359

13.8

रूस

1,564,669

5.5

भारत

1,510,351

5.3

 



उत्सर्जन के कारण

प्रतिशत में

बिजली और हीटिंग

24.6

भू-उपयोग में परिवर्तन

18.2

खेती

13.5

परिवहन

13.5

उद्योग

10.4

 



छोटे कदम, बड़ा असर -


दुनिया खतरे में है। तरक्की की दौड़ में हमने प्रकृति के साथ ऐसा खिलवाड़ किया जिससे पृथ्वी के वातावरण में जहरीली गैसों का जमाव बेहिसाब बढ़ा है। इससे जलवायु असंतुलित हो गई है और धरती का तापमान बढ़ने लगा है। इससे मौसम का मिजाज भी बदल रहा है। आने वाले वर्षों में सूखे और बाढ़ से तबाही की संभावना बढ़ी है। हम धरती को बचाने में थोड़ी सी भी मदद कर सकें, तो हमारी छोटी-छोटी कोशिशें मिलकर बड़ा फर्क ला सकतीं है। ये कोशिशें निम्न प्रकार से हो सकती हैं।

1. जहां भी हो सके ऊर्जा बचाएं। यह बचत आपके फालतू के खर्च भी कम करेगी।
2. सी.एफ.एल. बल्बों का इस्तेमाल करें। सी.एफ.एल. का इस्तेमाल करने से साल में करीब 70 किलो सी.ओ.2 बचाया जा सकता है।
3. नन्हें इंडीगेटर और स्टैंडबाय मोड पर अटके गैजेटस भी कर्इ किलो कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करते हैं।
4. वाशिंग मशीन तभी चलाएं जब उचित मात्रा में कपड़े हों।
5. स्टार लेवल वाले उपकरण 15 प्रतिशत तक बिजली बचाते हैं।
6. गाड़ी के टायरों में हवा सही रखकर 3 प्रतिशत र्इंधन बचा सकते हैं।
7. अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं। एक अकेला वृक्ष अपनी जिंदगी में एक टन सी.ओ.2 सोखता है।
8. स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल से ऊर्जा की खपत आधी की जा सकती है।
9. खाना बर्बाद न करें। इसे तैयार करने में बहुत ऊर्जा लगती है। फ्रोजन फूड की जगह ताजा खाना खायें।
10. डिब्बाबंद चीजों से बचें। आपकी किफायत दुनिया को बचा सकती है ।
11. अगर हो सके तो प्राकृतिक (अक्षय) ऊर्जा प्रयोग में लाएं।

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