मीनाक्षी अरोड़ा को वर्ष 2015 का काकासाहेब कालेलकर पत्रकारिता सम्मान
नई दिल्ली, 6 दिसम्बर 2015, जनसत्ता। गाँधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान ने वर्ष 2015 के ‘काका साहेब कालेलकर सम्मान’ की घोषणा कर दी गई है। इण्डिया वाटर पोर्टल की संयोजिका मीनाक्षी अरोड़ा (दिल्ली) को पत्रकारिता के लिये यह सम्मान देने का फैसला किया गया है। यह सम्मान खासतौर से प्रोत्साहन और उपलब्धियों के लिये हर साल युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिये दिया जाता है।
गाँधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा की मंत्री कुसुम शाह ने बताया कि समाज सेवा के लिये यह पुरस्कार महिला तस्करी को रोकने में और सड़कों पर लोकतंत्र लाने के आन्दोलन में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाली झारखण्ड की सुनिता मिंज और पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से ग्रामीण क्षेत्रों में समाज सेवा करने वाले बिहार के मोतिहारी के दिग्विजय को दिया जाएगा। साहित्य के लिये काकासाहेब कालेलकर सम्मान जेएनयू दिल्ली के लालबहादुर मीरापुर को दिया जाएगा।
शाह के मुताबिक इन सभी को यह सम्मान 23 जनवरी, 2016 को सन्निधि परिसर में आयोजित होने वाले एक समारोह में दिया जाएगा। सन्निधि का पता है; गाँधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा, सन्निधि, 1, जवाहर लाल नेहरु मार्ग, राजघाट के सामने, नई दिल्ली-110002।
काकासाहेब कालेलकर परिचय
शिक्षाशास्त्री, भाषाशास्त्री, पत्रकार, साहित्यकार, चिंतक, दार्शनिक, सांसद, महात्मा गांधी तथा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के दर्शन के भाष्यकार और सर्वधर्मसमभाव के प्रणेता आचार्य काकासाहेब कालेलकर (दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर) का जन्म 1 दिसम्बर, 1885 सातारा, महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय सार्वजनिक जीवन के विविध क्षेत्रों में सतत 75 वर्षो तक रचनात्मक योगदान किया।
फर्ग्युसन कॉलेज से 1907 में उन्होंने बी. ए. की परीक्षा पास की। कुछ समय बेलगाँव की एक राष्ट्रीय शिक्षा संस्था में काम किया। फिर पिताजी के आग्रह के कारण बम्बई जाकर कानून का अध्ययन करने लगे। उसी समय लोकमान्य तिलक की प्रेरणा से बम्बई से ‘राष्ट्रमत’ नामक दैनिक-पत्र का प्रकाशन राष्ट्रीय विचारों के प्रचार के लिए शुरु हुआ, जिसके संपादक-मंडल में काकासाहेब सम्मिलित हुए।
कुछ ही समय बाद सरकार के क्रोध के कारण वह पत्र बंद हो गया। इसी समय काकासाहेब ने मराठी में स्वामी रामतीर्थ की जीवनी लिखी जो उनकी पहली पुस्तक है। तबसे लेकर आज तक काकासाहेब की लिखी मराठी में 29, गुजराती में 69, हिन्दी में 98 और अंग्रेजी में 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
Path Alias
/articles/kaakaasaahaeba-kaalaelakara-samamaana-ghaosaita
Post By: RuralWater