कैसे बचे रूस की वन संपदा


हाइड्रो कार्बन के बाद रूस की सबसे बड़ी पूंजी जंगल हैं। यहां दो तिहाई भूमि वनों से ढकी है लेकिन इस वर्ष भारी गर्मी के कारण वहां तापमान काफी ऊंचा रहा और सूखे की मार भी।

इस कारण रूस के जंगल धूं-धूं कर जलने लगे। अनेक गांव आग की चपेट में आये और हजारों लोग बेघर हो गये। यही नहीं, मुख्य परमाणु संयत्र केंद्र को भी खाली करवाना पड़ा। पिछले वर्ष छितरी आबादी वाला साइबेरिया भी आग की चपेट में आया था पर तब नुकसान इतना नहीं हुआ।

आठ सौ से अधिक स्थानों पर लगी आग ने रूस की आठ लाख हेक्टेयर केंद्रीय भूमि को प्रभावित किया है। इस वर्ष बारिश के अभाव में यहां औसत से 20 डिग्री अधिक तापमान झेलना पड़ा। जंगलों की आग के कारण दो हजार से अधिक घर जले और परमाणु केंद्र रोस्तम के सारे रेडियो सक्रिय पदार्थों को शहर से बाहर करना पड़ा। दो लाख से अधिक अग्निशमनकर्मियों और सैनिकों ने आग पर काबू पाने की कोशिश की। रूस में इस आपदा ने मुख्य नौ-सैनिक संयंत्रों के स्थल को बर्बाद किया। वायु सुरक्षा में तैनात मिसाइलें हटाना पड़ीं नई मिसाइल बुलावा और इस कदर के परीक्षणों को रोकना पड़ा। धुएं की चादर ने मास्को शहर को ढक दिया था और भूमिगत मैट्रो प्रभावित हुई। स्वास्थ्य के आंकड़ों से पता चला कि मृत्यु दर दो गुनी हो गई थी। उपग्रह से ली गई तस्वीरों में पृथ्वी से 12 किमी ऊपर तक ज्वालामुखी से उत्पन्न घने बादलों-जैसा दृश्य था। इस कारण साठ हजार उड़ानें रद्द हुई।

विशेषज्ञ इस राष्ट्रीय आपदा के लिए सरकारी नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं। विशेष रूप से प्रधानमंत्री ब्लादिमिर पुतिन को जिन्होंने सोवियत यूनियन के समय बनी राष्ट्रीय वन सेवा रद्द की। चार वर्ष पहले जब पुतिन राष्ट्रपति थे, उन्होंने एक वन कोड पर हस्ताक्षर किये थे। इसके आते ही केंद्रीय वन प्राधिकरण समाप्त हो गया। सोवियत यूनियन के समय में राष्ट्रीय वन सेवा ही वनों की देखभाल के लिए जिम्मेदार होती थी, जिनका कार्य आग से बचाव और नियंत्रण करना होता था। उसमें अस्सी हजार वन रेंजर नियुक्त थे जिनका काम जंगलों की देखभाल और आग बुझाने का था।

वन कोड के अंतर्गत वनों के प्रशासन की जिम्मेदारी, जंगल की आग के बचाव के साथ संघीय सरकार से स्थानीय क्षेत्रों को हस्तांतरित कर दी है। इसमें उन लोगों को जोड़ा गया है जो जंगलों को लीज पर लेते हैं। यानी जंगलों को पूरी तरह से बाजार के हवाले कर दिया गया है। वर्तमान में रूस वनों की आग बुझाने के लिए प्रति हेक्टेयर तीन सेंट खर्च करता है, जबकि अमेरिका प्रति हेक्टेयर चार डॉलर खर्च कर रहा है। कभी सोवियत यूनियन में दुनिया का बेहतरीन हवाई बल जंगल की आग पर काबू पाने में सक्षम था। इस बल में मौजूद 11 हजार प्रशिक्षित कर्मचारियों को पैराशूट जंपिग में कुशलता हासिल थी। अब वनों की आग बुझाने के लिए 2000 कर्मचारियों को ही हवाई दस्ते में रखा गया है।

नये कानून ने संघीय नियंत्रण को वनों से समाप्त किया, जिससे अवैध कटान को प्रोत्साहन मिला। मास्को के आसपास आग फैलने का मुख्य कारण शताब्दियों पुराने बांज के पेड़ों का कटान भी माना गया, जो रूस की राजधानी के चारों ओर खड़े थे। कारण, मास्को और सेंट पीट्रर्सबर्ग के बीच दस लेन का हाई-वे बनाया गया। खिमकी के जंगल जो ग्रीन बेल्ट के भाग थे, मास्को के फेफड़े कहे जाते थे। पुराने कानून के तहत वे सुरक्षित थे लेकिन भारी निर्माण कार्यों के चलते काट दिए गए। जब स्थानीय निवासियों और पारिस्थितिकी विज्ञानियों ने पेड़ों के कटान का विरोध किया, तो उनकी एक न सुनी गई। पारिस्थितिकी विशेषज्ञों का आरोप है कि नई नीति के तहत प्रोजक्ट भ्रष्टाचार के अड्डे बन गये और निजी कंपनियों को राजमार्ग के दोनों ओर शापिंग सेंटर खोलने के अधिकार मिल गये। वन कोड का रूस की विशेष समिति ने विरोध करते हुए कह दिया था कि इसके बुरे परिणाम होंगे पर सरकार ने उनकी चेतावनी अनसुनी कर, इसे पास करवा दिया। परिणामस्वरूप कटान पिछले तीन वर्षों में बीस प्रतिशत से बढ़कर तीस प्रतिशत हो गया। और वनों में आग लगने की घटनाएं दुगनी हो गईं।

इस सबके लिए राष्ट्रपति पुतिन पर अंगुली उठाई जा रही है। 2000 में रूस के राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने चेचन्या के विद्रोहियों को परास्त कर राज्यतंत्र को पुर्नस्थापित कर रूस की वापसी शक्तिशाली ग्लोबल आर्थिक खिलाड़ी के रूप में करवाई। पुतिन ने केंद्रीय शक्ति के रूप मे अपना अस्तित्व बनाया। संसद, सरकार के निर्णयों पर औपचारिक तौर पर रबर की मुहर का काम कर रही है। अदालतें कभी भी अधिकारियों के खिलाफ नहीं गईं। रूस में समाज की ओर से कोई फीर बैंक सरकार के पास नहीं है। ऐसी ही परिस्थितियों में रूस के वनों को स्वाहा होना पड़ा। अब भी रूस बहुदलीय लोकतंत्र, राजनीतिक प्रतिद्वंदिता और नौकरशाही की जवाबदेही से बहुत दूर है।

मानव अधिकारों के स्वतंत्र संगठन ने रूस के जंगलों में भयंकर आग लगने की रिपोर्ट में खुलासा किया है कि देश की जीडीपी का पचास प्रतिशत भ्रष्टाचार के हवाले है। इस घटना पर रूस के एक दैनिक ने लिखा कि यह जंगलों की आग नहीं है। यह तो पुतिन का ज्वालामयी पावर वर्टिकल है। इस तरह की घटना सिर्फ रूस को ही नहीं जला रही, बल्कि समूचे विश्व में गलत उन सत्तानीतों के लिए चेतावनी है जो भ्रष्टाचार के सागर में तैर रहे हैं।
 
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