कैसे आता है एवलांच

कैसे आता है एवलांच
कैसे आता है एवलांच

23 अप्रैल को चमोली जिले में  धौली गंगा कैटचेमेंट स्थित यमुना क्षेत्र में एक एवलांच की खबर आई । कुछ देर बाद पता लगा इस भारी हिमस्खलन से सड़क सुरक्षा संगठन के शिविर क्षतिग्रस्त हुए है और कई लोग लापता हो गए है।बड़ी तादाद में लोगों की लापता होने की सूचना के बाद आइटीबीपी और एन डीआरफ की टीमों ने एक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।  जिसमें  अभी  तक 16 लोगों के शव निकाले जा चुके है। ऐसे ही कुछ एवलांच की घटनाएं कश्मीर में देखने को मिली है । जिसमें पिछले 4 सालों में 50 से ज़्यादा सेना के जवान और स्थानीय नागरिकों ने जान गंवाई है। 

साल 2017 में कश्मीर के गुरेज सेक्टर में दो एवलांच आये जिसमें 14 सेना के जवान शहीद हुए थे । वही 2016 में भी नॉर्थ  ग्लेशियर में एवलांच की चपेट में आने से 19 मद्रास रेजिमेंट के 10 जवान शहीद हो गए थे। साल 2020 में  जम्मू कश्मीर के माछिल सेक्टर के  हिमस्खलन की चार घटनाओं में 06  सैनिकों के अलावा 12 लोगों की मौत हुई थी। 

 एवलांच क्या है? क्यों आता है ? 

एवलांच को आसान शब्दों में समझे तो इसे एक बर्फीला तूफान भी कहा जाता है जो हिमालय की ऊंची पहाड़ीयो में बर्फ की बड़ी संख्या के साथ ढलान वाली सतह पर तेजी से आता है ।

वही उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र  (यूसैक) के निदेशक डॉक्टर एमपीएस बिष्ट उत्तराखंड के चमोली में आये एवलांच की पूरी जानकारी जुटाने के बाद बताते है कि यहाँ हर साल एवलांच की घटनाएं होती है । इसका कारण यह कि पहाड़ियों में तीव्र ढाल नही है जिससे बर्फ एक जगह काफी जमा हो जाती है। वैसे 35 से 45 डिग्री ढाल वाली पहाड़ियों में सबसे अधिक बर्फ जमा होती है। और अधिक मात्रा में बर्फ जमा होने के कारण  वह नीचे की और खिसकने लगती है। इन पहाड़ी इलाकों में भी 40 से 45 डिग्री ढाल है जिससे यहाँ काफी मात्रा में बर्फ इकट्ठा होती है और जब यह अधिक हो जाती है तो एवलांच की रुप मे नीचे की और खिसक जाती है।

एवलांच इतना भयावहक क्यों होता है?

हिमालय में एवलांच काफी आते है लेकिन इन्हें तब भयावहक कहा जाता है। जब इनसे काफी जान-माल का नुकसान होता है। हर साल एक न एक एवलांच से कई सैनिक और स्थानीय लोग अपनी जान गवा देते हैं। 1984 से लेकर अब तक  भारत के 1000 से अधिक जवान शहीद हो चुके है। अभी हालही में उत्तराखंड के चमोली जिले में आये एवलांच में बीआरओ के 35 से  अधिक कर्मचारी लापता हो गए है जिनमें से 16 लोगों के शव मिले है 

कैसे  बचे एवलांच से

एवलांच एक प्राकृतिक आपदा है जिससे बचने के लिये कई मानवीय और वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाए जा सकते है। 

यूसैक के निदेशक डॉक्टर एपीएस बिष्ट कहते है कि इन एवलांच वाले क्षेत्रों में जान- माल के नुकसान को कम किया जा सकता है उसके लिये कोई भी कैम्प लगाने से पूर्व भू वैज्ञानिकों के जरिए एक भौगोलिक सर्वे कराना जाए ताकि उस एवलांच शूट वाले इलाके  को चयनित कर वहां पर कैंप स्थापित ना किया जाए।

हिमस्खलन संरक्षण हिमस्खलन नियंत्रण संरचना Source:needpix.com ,फोटो

वही  स्कीईंग वाले क्षेत्रों की तरह हिमस्खलन को बड़ा होने से रोकने के लिये छोटे छोटे विस्फोट किये जायें ताकि बर्फ को एक तरफ खिसकने से रोका जा  सके।  इसके अलावा एवलांच की गति को कम करने के लिये कैम्पे के आसपास की जगह में बाड़े लगाए जाए ताकि वह कैंपो अधिक नुकसान नही पहुँचा सके। 

हर साल कई लोगों की जान लेना वाला यह बर्फीला तूफान धीरे-धीरे चुनौती बनते रहे है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी संख्या बढ़ती जा रही हैं

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Post By: Shivendra
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