कागजों पर बने चेकडैम, करोड़ों का हुआ भुगतान

check dam
check dam

वर्ष 2009-10 में केन्द्र सरकार ने बुंदेलखण्ड क्षेत्र के उ.प्र. तथा म.प्र. के 13 जिलों की प्यास बुझाने को 7266 करोड़ रुपए दिए थे जिसका हश्र किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश सरकारों ने धनराशि कहाँ खर्च की इसका प्रमाण पत्र तक नहीं दिया।

बुंदेलखण्ड की कहावत है कि ‘खसम मर जाय पर गागर न फूटे’ बुंदेलखण्ड की बदकिस्मती पानी है, यही बदकिस्मती अधिकारिओं और जनप्रतिनिधियों की किस्मत भी लिखती है। पानी जुटाने को मिलने वाली धनराशि का बंदर-बांट इन्हें मालामाल कर देती है। जिला विकास योजना मद से जालौन प्रशासन ने जल निगम की कार्यदाई संस्था सीएण्डडीएस की महोबा यूनिट को 30 चेकडैम निर्माण को 7 करोड़ 17 लाख 93 हजार रुपए आवंटित किए थे। कार्यदाई संस्था सीएण्डडीएस महोबा ने चेकडैमों को कागजों पर दर्शा कर करोड़ों रुपए हजम कर लिए हैं।

वर्ष 2012-13 में जालौन प्रशासन ने वर्षा के पानी को जगह-जगह रोकने को 30 चेकडैम बनाने की योजना बनाई जिसको मूर्तरूप देने के लिए जल निगम की कार्यदाई संस्था सीएण्डडीएस महोबा को यह काम सौंपा गया जिसके लिए संस्था को 7 करोड़ 17 लाख 93 हजार रुपए जिला विकास योजना मद से धनराशि आवंटित की गई। इन दो वर्षों में चेकडैम निर्माण में खर्च होने वाली धनराशि आवंटित धन राशि खाते से निकलती रही। आवंटित धनराशि खर्च हो जाने के बाद चेकडैम का जब भौतिक सत्यापन जिला प्रशासन ने करवाया तो वह दंग रह गया क्योंकि जिन स्थानों पर चेकडैम बनाये जाने थे उन स्थानों पर एक भी चेकडैम नहीं पाये गए। जिला अधिकारी राम गणेश को जब इस बारे में जानकारी हुई उन्होंने जिला विकास अधिकारी से जानकारी माँगी लेकिन वह भी इस बारे में कुछ भी नहीं बता सके। मालूम हो कि कार्यदाई संस्था को काम प्रारम्भ करने को 40 प्रतिशत राशि आवंटित राशि की दी जाती है 40 प्रतिशत कार्य हो जाने तथा भौतिक सत्यापन हो जाने के बाद ही दूसरी किस्त 40 प्रतिशत राशि दी जाती है। आवंटित धनराशि से निर्माण कार्य को क्या बिना भौतिक सत्यापन के ही भुगतान होता रहा यह एक बड़ा सवाल है।

जिलाधिकारी जालौन ने आनन फानन में अधिशासी अभियन्ता बेतवा सिंचाई प्रखंड प्रथम समेत दो सदस्यीय कमेटी बना कर निर्माण कार्यों के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट देने को कहा। कमेटी ने रिपोर्ट दी कि जिन स्थानों पर चेकडैम बनाये जाने थे एक भी चेकडैम का निर्माण नहीं किया गया। जैसे ही यह रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्राप्त हुई उन्होंने जिला विकास अधिकारी को निर्देश दिया कि कार्यदाई संस्था सीएण्डडीएस महोबा को पत्र लिख कर जवाब माँगे कि चेकडैम का निर्माण अभी तक क्यों नहीं किया गया जब कि आवंटित धनराशि का उपभोग कर लिया गया। जिला विकास अधिकारी ने अभी तक 13 पत्र कार्यदाई संस्था सीएण्डडीएस महोबा को लिखे लेकिन एक भी पत्र का जबाब नहीं आया तब डायरेक्टर कार्यदाई संस्था सीएण्डडीएस लखनऊ को एक पत्र लिखा गया लेकिन वहाँ से भी अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। जब इस बाबत डायरेक्टर कार्यदाई संस्था सीएण्डडीएस अनूप सक्सेना से जानकारी माँगी गई तब उन्होंने बताया कि मेरी तैनाती अप्रैल माह में हुई है मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही मुझे जिला विकास अधिकारी का कोई पत्र ही इस बाबत प्राप्त हुआ है।

जालौन जिले के अलीपुर कंजर नाला, पहाड़ी खेर झरना, अमरोड़ घटिया नाला, बर्सर झरना, हनुमंतपुरा मोहनी नाला, सैदनगर बदला नाला, कमठा ओकला नाला, चिरावली मलका नाला, धुरात गर्री नाला, भीमनगर गन्दा नाला, हमीरपुर भेदान नाला, लक्ष्मणपुर बड़ी खेरिया नाला, मिर्जापुर जागीर, तजपुरा का गन्दा नाला, करमराखरुआ नाला, डीकौली का मलंगा नाला तथा घुमावली नाला पर चेकडैम बनाये जाने थे।

वर्ष 2009-10 में केन्द्र सरकार ने बुंदेलखण्ड क्षेत्र के उ.प्र. तथा म.प्र. के 13 जिलों की प्यास बुझाने को 7266 करोड़ रुपए दिए थे जिसका हश्र किसी से छिपा नहीं है। प्रदेश सरकारों ने धनराशि कहाँ खर्च की इसका प्रमाण पत्र तक नहीं दिया।

Path Alias

/articles/kaagajaon-para-banae-caekadaaima-karaodaon-kaa-haua-bhaugataana

Post By: Hindi
×