देहरादून और पटना के बच्चों ने पर्यावरणविद् सुन्दर लाल बहुगुणा से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि बच्चों से मिलकर वह युवा हो जाते हैं। बच्चे मेरे लिए तरुणाई के झरने हो। बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाना है तो अपनी जरूरतों को कम करना होगा। बच्चों ने उनके साथ प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए गीत ‘धन्यवाद है प्रभु तेरा’ गाया।
मानवभारती उत्तराखंड एवं बिहार सामुदायिक जुड़ाव कार्यक्रम के तहत पटना और देहरादून के 50 बच्चों का दल शुक्रवार सुबह शास्त्री नगर स्थित आवास पर पहुंचा। चिपको आंदोलन के प्रणेता श्री बहुगुणा को अपने करीब पाकर बच्चे काफी खुश हो गए। बच्चों को आशीर्वचन देते हुए 92 वर्षीय श्री बहुगुणा ने कहा कि बच्चों को देखकर मैं बहुत खुश हो जाता हूं।
उन्होंने कहा कि आपका सिर यानी मस्तिष्क, जिससे आपके पास नये विचार आते हैं और कुछ रचनात्मक, सकारात्मक सोचते हैं। दूसरा आपका हार्ट यानी दिल, जो स्नेह से लबालब रहता है। आप सबके प्रति प्रेम भाव रखते हैं। तीसरा आपके हैंड यानी हाथ जिनसे आप कुछ ऐसा करते हैं। जो दूसरों के लिए परोपकार होता है। पटना से आई अवंतिका ने श्री बहुगुणा से पूछा कि चिपको आंदोलन का विचार आपको कहां से आया। जवाब मिला, मैंने देखा कि पेड़ जो किसी से कुछ नहीं लेता, बल्कि देता ही है। वह आपको स्वच्छ वायु देता है, खाना देता है, छाया देता है, जल देता है, सबसे महत्वपूर्ण तो आक्सीजन है, जो पेड़ों के अलावा कोई नहीं देता। लेकिन इंसान तो पेड़ों को काट रहा है, उस पेड़ को काट रहा है, जो किसी से कुछ नहीं लेता, बल्कि वो दाता है।
पेड़ों को तो बचाना होगा। पेड़ों को बचाने के लिए गांव के लोग जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, पेड़ों से लिपट गए। ठेकेदार के लोग पेड़ों को काटने की हिम्मत नहीं कर पाए। पटना के आयुष ने पूछा पर्यावरण को बचाने के लिए बच्चा क्या करें? सुंदर लाल बहुगुणा ने कहा, अपनी जरूरतें कम कर दो, पर्यावरण बच जाएगा। पेड़ की पैदावार ही हम सबके जीवन का आधार है। आप जानते हैं, पेड़ दस पुत्र के समान होता है। इस दौरान बहुगुणा के बेटे प्रदीप बहुगुणा ने उनके संघर्ष और आंदोलनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मानव भारती ने सुंदर लाल बहुगुणा को दो पौधे प्रदान किए, जो उन्होंने बच्चों को भेंट किए। ये पौधे बहुगुणा के नाम पर मानव भारती स्कूल घटना परिसर में रोपे जाएंगे। साथ ही हर वर्ष उनके जन्मदिन पर पौधरोपण करने का संकल्प लिया गया।
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