जलवायु परिवर्तन से पूरा विश्व संकट में है । यूरोप समेत अमेरिका में भी गर्मी काफी बढ़ गई है इसका असर इंसानों को तो पड़ी रहा है लेकिन जीव-जंतु भी इससे अछूते नहीं रह पा रहे हैं ।हाल ही में कछुओं से सम्बंधित एक रिपोर्ट सामने आई जिसमें यह पाया गया कि अमेरिका के एक शहर फ्लोरिडा में गर्मी के कारण कछुए के प्रजनन पर काफी असर हुआ है नर कछुए के मुकाबले मादा कछुओं की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है, लगभग 99% अंडों में मादा कछुए निकले है।
वही वैज्ञानिकों ने इस बदलाव के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि अमेरिका के रेगिस्तानी इलाके इतने अधिक गरम हो गए हैं कि वहां पर नर कछुए पैदा होने लायक ठंडक नहीं रह गई है। इसके कारण नर कछुओं की तादाद लगातार गिर रही है। वही वैज्ञानिकों ने इसके लिए जिम्मेदार इंसानों को ठहराते हुए कहा कि इन्सानों के प्रकृति के अंधाधुंध दोहन के चलते ऐसी स्थिति हुई है। हालांकि अधिकतर देशों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर ठोस कदम उठाए हैं लेकिन उनका यह प्रयास पर्यावरण पर देखने को नहीं मिल रहा है
जल वायु प्रदूषण के कारण अब ठंडे इलाकों में भी काफी तेजी से तापमान बढ़ रहा है जिसका सीधा असर हमारे पारिस्थितिक तंत्र पड़ रहा है। वही कछुओं को लेकर नेशनल ओशनोग्राफिक एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट काफी हैरान करने वाली साबित हो रही है।
अमेरिका के मैराथन शहर में कछुओं के अस्पताल के प्रबंधक बेट्टे क्लार्क ने कहा है कि जलवायु का सीधा असर रेंगने वाले जंतुओं पर पड़ा है । जिसके कारण असंतुलन की समस्या पैदा हो गई है और यह हर दिन बढ़ती ही जा रही है उन्होंने कहा कि वह जिस केंद्र में काम कर रहे हैं उसे 1986 में खोला गया था अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि पिछले 4 साल में एक भी नर कछुआ उन्हें नहीं मिला। शायद उनकी आबादी तेजी से घट रही है
ऑस्ट्रेलिया में 99 प्रतिशत मादा कछुए
ऑस्ट्रेलिया भी इसी समस्या से जूझ रहा है पिछले कुछ सालों में ऑस्ट्रेलिया में भी तापमान काफी बड़ा है जिसके कारण 99 प्रतिशत कछुए मादा पैदा हुई । वही एनओएए ने बताया है कि अगर अंडा का तापमान 27 पॉइंट 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे गया तो कछुए नर होंगे लेकिन अगर या 31 से ऊपर गया तो ऐसे मामले में मादा ही पैदा होती है
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