दिनांक 17-18 अगस्त, 2023, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान: एक परिचय
जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा निर्देश तथा राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (रा ज सं.) रुड़की की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार राज सं. द्वारा वर्ष 1999 में तकनीकी एवं वैज्ञानिक प्रकृति के सरकारी सरकारी कार्यो में राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग को सर्वोच्च प्राथमिकता एवं सम्मान देने के उद्देश्य से पहली राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का आयोजन किया गया था।
इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए, प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल में अर्थात् वर्ष 2003, 2007, 2011, 2015 तथा 2019 में जलविज्ञान संस्थान द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठियों का सफल आयोजन किया गया। तद्नुसार इस वर्ष भी जलविज्ञान संस्थान 17-18 अगस्त 2023 को राजभाषा हिंदी में सातवीं राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है।
हाल ही के वर्षो में विश्व के अधिकांश देशों में जल से जुड़ी विभिन्न समस्याओं में निरन्तर वृद्धि हुई है जिससे नियोजन तथा प्रबंधन का संकट बढ़ा है। आज जल संकट को लेकर पूरा विश्व समुदाय चिंतित और भयभीत है। इसलिए इस समस्या के समाधान के लिए सभी स्तरों पर पूरी जिम्मेवारी तथा निष्ठा से समन्वित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
नियोजन की समस्याएं प्राय: असमान विकास, गुणवत्ता ह्रास तथा पर्यावरण के क्षय के कारण पैदा होती हैं। हमारे देश में जलविज्ञानीय समस्याएं स्थान एवं समय के अनुसार बदलती रही हैं। यह एक चौंकाने वाला सत्य है कि हमारे देश में वर्षा के मौसम में एक ओर बाढ़ की स्थिति होती है तो दूसरे क्षेत्रों में भयंकर सूखे की स्थिति रहती है। एक ही समय में कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि, कहीं जल ग्रसन समस्या तो कहीं जल प्रदूषण और मृदा अपरदन इत्यादि समस्याएं देखने को मिलती हैं। ये समस्याएं जल संसाधन नियोजकों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
आज भारत में ही नहीं अपितु समूचे विश्व में जल संसाधनों के समुचित प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। हमारे देश में पर्यावरण संबंधी समस्याओं में निरंतर वृद्धि हो रही है । इसके लिए तेजी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि, कृषि विस्तार तथा जंगलों का नष्ट होना आदि को प्रमुख कारण माना जा रहा है। बदलते परिवेश में जल और पर्यावरण सम्बंधी समस्याएं हमारे सामने आज एक चुनौती के रूप में विद्यमान हैं। अतः इसके हर पहलू पर विशेष ध्यान देकर ही हम जल से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का हल ढूंढ सकते हैं। आज हमारे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रबंधकों तथा पर्यावरणविदों को एकजुट होकर इस दिशा में विशिष्ट कार्य करने की आवश्यकता है।
उद्देश्य एवं कार्यक्षेत्र
भारत वर्ष के दीर्घकालीन विकास के संदर्भ में जलवायु परिवर्तन एवं जल प्रबंधन विषय पर गहन विचार विमर्श करने तथा इनसे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा परिचर्चा के बाद उनके बेहतर प्रबंधन के लिए एक कारगर रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान द्वारा रुड़की स्थित अपने मुख्यालय में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है।
यह संगोष्ठी जल की मात्रा, गुणवत्ता, मांग व आपूर्ति, पर्यावरणीय समस्याएं, चक्रवात और मानसून बाढ़, जैसी प्राकृतिक आपदाओं , जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण, कुशल कृषि पद्धति आदि के लिए एक ऐसा प्रेरक मंच होगा यहां पर देश के दीर्घकालिक विकास के लिए जलवायु परिवर्तन एवं जल प्रबंधन से जुड़े विभिन्न मदों पर चर्चा-परिचर्चा की जाएगी।
उपयुक्त एवं बेहतर प्रबंधन तकनीकी एवं वैज्ञानिक प्रकृति के सरकारी कार्यो में राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग को सर्वोच्च प्राथमिकता एवं स्थान देने के उद्देश्य से इस संगोष्ठी की समूची कार्यवाही हिंदी में आयोजित की जाएगी |
संगोष्ठी के विषय
- 1, सतही जल निर्धारण एवं प्रबंधन
- 2, भूजल निर्धारण एवं प्रबंधन
- 3, बाढ़ एवं सूखा प्रबंधन
- 4, जलवायु परिवर्तन एवं उसके जल चक्र पर प्रभाव
- 5, नदियों में अविरल एवं निर्मल धारा बनाए रखने के लिए उपाय
- 6, पर्यावरण एवं जल गुणवत्ता
- 7, जल संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन के लिए 'जलविज्ञानीय निदर्श एवं निर्णय समर्थन तंत्र (Decision Support System)
- 8, जल संसाधनों के विकास एवं प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकें
- 9, झरना पुनरूद्धार (Spring Revival)
- 10, पर्वतीय क्षेत्रों में जल प्रबंधन
- 11, एकीकृत जल प्रबंधन युक्ति
- 12. जलविभाजक प्रबंधन
- 13. कृषि में जल बचत की तकनीकें
- 14. वर्षा जल संचयन एवं पुनः प्रयोग
- 15. जल संसाधन प्रबंधन में जन भागीदारी
संगोष्ठी स्थल -
संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 17-18 अगस्त, 2023 को राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की के सभागार में किया जाएगा। लगभग 300 व्यक्तियों के बैठने की समुचित व्यवस्था वाला यह सभागार सभी अपेक्षित सुविधाओं तथा उपकरणों से सुसज्जित है।
महत्त्वपूर्ण तिथियाँ
*शोध पत्र सारांश भेजने की अंतिम तिथि :15 मार्च, 2023
*स्वीकृत लेखों के संबंध में सूचना : 15 अप्रैल , 2023
पूर्ण तैयार शोध प्रपत्र भेजने की अंतिम तिथि : 15 मई, 2023
प्रतिभागिता
वे सभी वैज्ञानिक, इंजीनियर, पर्यावरणविद, प्रबंधक, पारिस्थितिविद, नीति निर्धारक तथा अन्य सरकारी पदाधिकारी, शोधकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता तथा शिक्षाविद् जो जल के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, इसमें प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतिभागिता हेतु सभी प्रतिभागियों को आने-जाने का खर्च स्वयं ही वहन करना होगा।
जलविज्ञान संस्थान
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक स्वायत्तशासी संस्था है जो पिछले 45 वर्षो से देश में जलविज्ञान तथा जल संसाधन के क्षेत्र में एक शीर्ष अनुसंधान संस्थान के रूप में कार्य कर रहा है। आज संस्थान ने मूलभूत, अनुप्रयुक्त तथा अन्य महत्त्वपूर्ण अनुसंधान संबंधी उपलब्धियों के चलते राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट ख्याति प्राप्त की है। संस्थान का मुख्यालय रुड़की में स्थित है। देश की क्षेत्रीय जलविज्ञान संबंधी विभिन्न समस्याओं के निराकरण हेतु इस संस्थान के छ: क्षेत्रीय केन्द्र तथा एक बाढ़ प्रबंधन अध्ययन केंद्र भी देश के अलग-अलग प्रांतों में कार्य कर रहे हैं।
संगोष्ठी संरक्षक -
डॉ. सुधीर कुमार, निदेशक, राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
संगोष्ठी अध्यक्ष -
डॉ. मनमोहन कुमार गोयल, वैज्ञानिक 'जी', जलविज्ञान संस्थान, रुड़की |
संगोष्ठी संयोजक -
डॉ. मनोहर अरोड़ा, वैज्ञानिक "एफ' एवं राजभाषा प्रभारी, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की |
तकनीकी समिति -
डॉ.संजय कुमार जैन, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.एम के .गोयल, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.ए के .लोहनी,, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.एन के .गोयल, आई .आई टी. रुड़की, डॉ.सी एस पी. ओझा, आई आई टी . रुड़की, डॉ.दीपक खरे, आई आई टी .रुड़की, डॉ.एम एल. कंसल, आई .आई टी .रुड़की, डॉ.एस डी.खोब्रागडे, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ. ओमकार सिंह, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ. अनुपमा शर्मा, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.सुरजीत सिंह, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.मनोहर अरोड़ा, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ. मुकेश कुमार शर्मा, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.सोबन सिंह रावत, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.एस एम. पिंगले, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ. प्रदीप कुमार, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, डॉ.पी के.मिश्रा, वैज्ञानिक, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
पंजीकरण
संगोष्ठी में पंजीकरण हेतु कोई शुल्क नहीं रखा गया है।
ठहरने की व्यवस्था -
गेस्ट हाउस में निर्धारित दरों पर “पहले आओ-पहले पाओ” आधार पर की जाएगी। शेष प्रतिभागियों की व्यवस्था स्थानीय होटलों में की जाएगी। इस मद पर होने वाले खर्च को प्रतिभागियों द्वारा स्वयं वहन किया जाएगा।
सारांश आमंत्रण
उपर्युक्त विषयों तथा संगोष्ठी के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विषयों पर शोध पत्र आमंत्रित किए जाते हैं। शोध पत्र का सारांश (300 शब्दों से अधिक न हो) दिनांक 15 मार्च, 2023 तक प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित है। सारांशों की कम्प्यूटर सॉफ्ट कॉपी (यूनिकोड फॉन्ट या क्रूतिदेव-10) भी भेजी जानी अपेक्षित है। पूर्ण तैयार शोध प्रपत्र में जिन कार्यो का वर्णन किया जाना है उनका उद्देश्य, परिणाम तथा निष्कर्ष सारांश में स्पष्ट रूप से दिया जाना चाहिए।
अपने सारांश की एक प्रति पंजीकरण फार्म के साथ निम्नलिखित पते पर दिनांक 15 मार्च 2023 तक भेजने का कष्ट करें। ई-मेल प्रस्तुति jalsangosthi@gmail.com पर भेजें।
डाक प्रस्तुति -
डॉ. मनोहर अरोड़ा, संयोजक : 7वीं राष्ट्रीय जल संगोष्ठी 2023
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, जलविज्ञान भवन, रुड़की-247667 (उत्तराखण्ड)
टेलीफोन नं. 0332-249234 , 249257, 249267, 249228
शोध पत्र आमंत्रण
शोध पत्र में शीर्षक, लेखकों के नाम, पदनाम, पता, ई-मेल एवं फोन नं. का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जाए। शोध पत्र (अधिक से अधिक 7 पेज, सिंगल स्पेस) की दो प्रतियां ए-4 आकार के पेपर पर (यूनिकोड या क्रूतिदेव-10 'फॉन्ट में) ई-मेल एवं डाक द्वारा भेजी जानी अपेक्षित हैं।
शोध पत्र की कम्प्यूटर सॉफ्ट कॉपी यूनिकोड अथवा क्रूतिदेव10 फॉन्ट में ही स्वीकार्य होगी।
शोध पत्र का प्रकाशन
संगोष्ठी में प्रस्तुत शोध पत्रों को संयोजन समिति द्वारा एक प्रोसीडिंग/पेन ड्राईव के रूप में संकलित किया जाएगा। यह प्रोसीडिंग/पेन ड्राईव सभी प्रतिभागियों को संगोष्ठी के उद्घाटन दिवस पर पंजीकरण के समय उपलब्ध कराई जाएगी। जल संसाधन के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थानों/ कार्यालयों को भी यह प्रोसीडिंग/पेन ड्राईव उनके सुलभ संदर्भ हेतु उपलब्ध कराई जाएगी।
रुड़की शहर
रुड़की शहर उत्तराखंड प्रदेश में आता है। यहाँ पर वार्षिक औसत वर्षा 1050 मिमी. होती है, जिसमें से अधिकांश वर्षा जून मध्य से सितम्बर मध्य के दौरान होती है। शीतकाल के दौरान मौसम सुहावना और ठंडा (तापमान लगभग 5'C से.) रहता है। इस शहर को हरिद्वार, ऋषिकेश तथा देहरादून एवं मसूरी के पर्वतीय स्थलों में स्थित तीर्थ स्थानों का प्रवेश द्वार माना जाता है जो कि दिल्ली से लगभग 180 किमी. की सड़क दूरी पर स्थित है। यह शहर अमृतसर-हावड़ा/दिल्ली-देहरादून रेल मार्ग से भी जुड़ा है। अन्तर्राज्यीय बस अड्डा, नई दिल्ली से यहाँ के लिए सुबह से मध्य रात्रि तक नियमित रूप से बस सेवाएं (डीलक्स तथा साधारण) उपलब्ध हैं । नई दिल्ली और देहरादून के बीच एक पूर्ण वातानुकूलित रेलगाड़ी (शताब्दी एक्सप्रेस) तथा एक अन्य सुपर फास्ट ट्रेन (जनशताब्दी एक्सप्रेस) उपलब्ध है। ये दोनों गाड़ियां रुड़की स्टेशन पर रुकती हैं। रुड़की के लिए अजमेरी गेट टैक्सी स्टैण्ड (दिल्ली) से टैक्सियां भी उपलब्ध रहती हैं। रुड़की का निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट, देहरादून है।
(संगोष्ठी से संबंधित सभी सूचनाएं आपको ई-मेल से प्रेषित की जाएगी)
प्रेषकः
डॉ. मनोहर अरोड़ा
वैज्ञानिक- एफ एवं राजभाषा प्रभारी
संयोजक, राष्ट्रीय जल संगोष्ठी-2023
मो, - 976035885
http://nihroorkee.gov.in/sites/default/files/7th%20Sangoshthi__31-1-2023.pdf
/articles/jalavaayau-paraivaratana-evan-jala-parabandhana-kae-maudadae-para-7vain-raasataraiya-jala