परसों खबर मिली कि विशेषज्ञ समिति ने माना है कि श्री श्री रविशंकर द्वारा गत वर्ष यमुना पर किये आयोजन के कारण यमुना की क्षति हुई है। कल खबर मिली कि दिल्ली के जलसंसाधन मंत्री श्री कपिल मिश्रा ने विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों का मजाक ही नहीं उड़ाया, बल्कि श्री श्री को पुनः यमुना तट पर आयोजन हेतु आमंत्रित भी किया है। मजाक भी किसी प्राइवेट लिमिटेड विशेषज्ञ समिति का नहीं, बल्कि खुद भारत सरकार के जलसंसाधन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति का उड़ाया गया है।
दुखद भी, अविश्वसनीय भी
मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि पर्यावरण विशेषज्ञ समिति का मजाक उड़ाने वाला यह शख्स वही है, जिसे मैंने पर्यावरण के जाने-माने विशेषज्ञ स्व. श्री अनुपम मिश्र की अन्तिम संस्कार के मौके पर गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान से लेकर निगम बोध घाट तक हर जगह घंटों हाथ बाँधे खड़ा देखा था। नई दिल्ली में आयोजित भारत नदी सप्ताह के मौके पर स्व. श्री अनुपम मिश्र की संगत करते इस शख्स का वक्तव्य सुनकर तब यह आभास ही नहीं हुआ था कि एक मंत्री की कथनी और करनी में इतना फर्क भी हो सकता है।
सम्भवतः यह आभास स्व. श्री अनुपम मिश्र को हमेशा से था। इसीलिये वे कहा करते थे कि सत्ता पाने पर अच्छे लोगों को भी राजरोग लग जाता है। वे राजरोगी हो जाते हैं। अनुपम होते तो शायद कहते - ''कपिल अच्छे आदमी हैं, लेकिन आप क्यों भूलते हैं कि वह राजरोगी भी हैं। राजरोगियों से जनयोग की अपेक्षा करना ही भूल है। जब राज जाएगा, राजरोग अपने आप चला जाएगा। अरुण भाई, थोड़ा तो इन्तजार करो।''
पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि पिछले साल श्री श्री रविशंकर की अगुवाई में दिल्ली में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया था। यह आयोजन मयूर विहार फेज वन के सामने यमुना डूब क्षेत्र पर हुआ था। इसे लेकर यमुना जिये अभियान के श्री मनोज मिश्र ने राष्ट्रीय हरित पंचाट में अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराई थीं।
आपत्तियों को महत्त्वपूर्ण मानते हुए हरित पंचाट ने आयोजकों को दोषी करार दिया था और एक विशेषज्ञ समिति को यह जिम्मा सौंपा था कि वह आकलन कर बताए कि यमुना पारिस्थितिकी को कितना नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई में कितना खर्च व वक्त लगेगा। विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता भारत सरकार के जलसंसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर को सौंपी गई थी।
समिति आकलन
लम्बा वक्त लगाने के बाद विशेषज्ञ समिति ने अपना आकलन पेश किया। समिति ने कहा कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव ने यमुना के डूब क्षेत्र को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। सबसे ज्यादा नुकसान उस जगह हुआ है, जहाँ विशाल स्टेज बनाया गया था। ऐसा अनुमान है कि यमुना नदी के पश्चिमी भाग के बाढ़ क्षेत्र में करीब 120 हेक्टेयर और पूर्वी भाग में करीब 50 हेक्टेयर बाढ़ क्षेत्र पारिस्थितिकीय रूप से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसे ठीक करने में दस साल का वक्त लगेगा। श्री श्री रविशंकर के इस कार्यक्रम से यमुना की पारिस्थितिकी को हुए भौतिक को ठीक करने में 28.73 करोड़ और जैविक नुकसान की भरपाई करने में 13.29 करोड़ रुपए लगेंगे।
जलमंत्री की प्रतिक्रिया
संवाददाता सूत्रों से दिल्ली के एक प्रतिष्ठित अखबार में छपी खबर के अनुसार, श्री कपिल मिश्रा ने इस निष्कर्ष का मजाक उड़ाया। श्री कपिल मिश्रा ने कहा - ''यह तो बिल्कुल वैसा ही है, जैसे कि विश्व सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले यमुना में डाॅल्फिन तैरती थीं। विश्व भर से पर्यटक यहाँ अचम्भे के तौर पर आते थे। उस समय श्री श्री आये ...उन्होंने इसे इतनी क्षति पहुँचा दी कि उसे बहाल करने में दस साल का समय लग जाएगा।''
दुर्भाग्यपूर्ण है कि बतौर जलमंत्री श्री कपिल मिश्र जहाँ यमुना को पुनर्जीवित करने के लिये हरसम्भव कोशिश करने की संकल्प जता रहे थे, वह आज दिल्ली की यमुना में घुलित आॅक्सीजन की शून्य मात्रा का आँकड़ा पेश कर उसे नाला बताने में लगे हैं। कटे पर नमक यह श्री मिश्र ने कहा कि इस कार्यक्रम को यमुना तट पर बार-बार आयोजित होना चाहिए। इतना ही विशेषज्ञता और जनभावना के साथ-साथ न्यायपालिका और कार्यपालिका का भी एक तरह से मजाक ही उड़ा रहे हैं। यह राजरोग नहीं तो और क्या है? काश कि यह झूठ हो; वरना यह दुखद भी है और दिल्ली में आम आदमी पार्टी के भविष्य को लेकर आत्मघाती भी।
/articles/jalamantarai-kapaila-maisaraa-kao-bhai-lagaa-raajaraoga