जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल द्वारा शिवनाथ उप - बेसिन के समस्याग्रस्त जल ग्रहण क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु सुझाव

जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल,PC-Shutterstock
जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल,PC-Shutterstock

प्रस्तावना

जल विज्ञान और जल गुणवत्ता की जांच किसी भी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिवनाथ उप बेसिन, महानदी बेसिन की सबसे लंबी सहायक नदी है। शिवनाथ उप बेसिन का कुल जलग्रहण क्षेत्र 29,638.9 वर्ग किलोमीटर है। शिवनाथ उप-बेसिन 80 डिग्री 25' से 82 डिग्री 35' पूर्व देशांतर तथा 20डिग्री 16' से 22 डिग्री 41' उत्तर अक्षांश के बीच एवं औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 201-1140 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जिसको अगले पृष्ठ पर दिये गए चित्रों में दर्शाया गया है। अध्ययन की दृष्टि से डीईएम और जल निकास से प्राप्त स्थालाकृति मापदंडों का अध्ययन कर शिवनाथ उप बेसिन को 21 जलग्रहण क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। इस अध्ययन क्षेत्र में आमतौर पर वार्षिक वर्षा 700 से 1500 मिमी के बीच होती है तथा औसत वार्षिक वर्षा 1080 मिमी है। इस अध्ययन क्षेत्र के समग्र वातावरण को सब ट्रॉपिकल रूप में वर्गीकृत किया गया है। शिवनाथ उप बेसिन के मोर्फोमेटिक गुणों की स्थिति की जानकारी एकत्रित की गई तथा इनका विश्लेषण भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के माध्यम से किया गया। इस अध्ययन में कन्टीन्युअस डिस्ट्रिब्यूटेड पैरामीटर मॉडल जिसे सोइल एण्ड वाटर असेसमेंट टूल (एसडब्लूएटी) यानि स्वाट के नाम से जाना जाता है का विश्लेषण व परीक्षण मासिक और मौसमों के आधार पर भूजल प्रवाह / नदी प्रवाह तलछट की सांद्रता और पोषक तत्वों के नुकसान के लिए किया गया जिसके माध्यम से अधिक समस्याग्रस्त जलग्रहण क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए कई अलग-अलग परिदृश्यों को विकसित किया गया। भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का उपयोग करके उप-बेसिन और वाटरशेट की सीमाएं, जल निकासी नेटवर्क, डलान, मृदा के प्रकार के मानचित्र तैयार किए गए जिनका उपयोग सोइल वाटर असेसमेंट टूल मॉडल में किया गया (जिनको आगे के चित्रों में दर्शाया गया है।

वर्ष 2006 और वर्ष 2013 की सैटेलाइट इमेजरिज का उपयोग कर भूमि उपयोग/ अच्छादन का वर्गीकरण पर्यवक्षित विधि के माध्यम से किया गया। वर्ष 2003-2009 कैलिब्रेशन (अंशाकन अवधि) और 2010 से 2013 वैलिडेशन (सत्यापन अवधि) के लिए मासिक और मौसमी समय के अपवाह  तलछट सान्द्रता तथा पोषक तत्वों के नुकसान की उनके समक्ष वास्तविक आंकड़ों के साथ तुलना की गई। शिवनाथ उप बेसिन में सर्वाधिक समस्याग्रस्त जलग्रहण की पहचान मृदा और पोषक तत्वों के वार्षिक नुकसान के आधार पर की गई। ग्राफिक, गणितीय और सांख्यिकीय सहित कई अनुशंसित मापदंडों को मॉडल अंशांकन और सत्यापन प्रर्दशन के मूल्यांकन के लिए उपयोग में लिया गया। पर्याप्त रूप से परीक्षण किए गए स्वाट मॉडल को शिवनाथ उप बेसिन की पहचान और प्राथमिकता के लिए लागू किया गया। इस मॉडल को मासिक प्रवाह दर और तलछट सान्द्रता के लिए अंशांकित भी किया गया जिसमें r2 और नैश-सटाक्लेफ गुणांक (ईएनएस) के मूल क्रमशः 0.89, 0.81 और 0.78 0.89 प्राप्त हुए। औसत मौसमी आंकड़ों के आधार पर नाइट्रेट नाइट्रोजन और कुल फास्फोरस के पोषक तत्वों का नुकसान भी सिम्युलेट किया गया। मॉडल के अंशाकन में आर 2  0.86 व 0.81 तथा ईएनएस 0.90 और 0.89 क्रमश: नाइट्रेट. नाइट्रोजन और कुल फास्फोरस के साथ प्राप्त हुए। मॉडल इनपुट मापदंडों के संवेदनशीलता विश्लेषण के परिणामों में यह बात सामने आई कि प्रवाह की दर और तलछट सान्द्रता सोइल कंजरवेशन सर्विस (एससीएस) कर्व नंबर (सीएन) के लिए अधिक संवेदन शील होती है। जिसके बाद सतही जल प्रवाह के लिए मैनिंग गुणांक (एन), सतह के निर्वहन के अंतराल के समय और प्रबंधन पद्धति कारक (पी) है।

मॉडल के सत्यापन के परिणामों ने बताया कि वर्ष 2010 से 2013 (मानसून मौसम) के लिये प्रवाह दर और तलछट सान्द्रता के शिखर आपस में अच्छी मिलान प्रदर्शित करते हैं। दोनों वास्तविक तथा मॉडल से प्राप्त आकड़ों के लिए निर्धारण के गुणांक (आर2) और नेश रोटाक्लिफ गुणांक (इएनएस) 0.93, 091 और 0.98, 0.92 क्रमशः मासिक प्रवाह की दर और तलछट सान्द्रता, मॉडल के बहुत अच्छे प्रदर्शन को सत्यापित करते हैं। निर्धारण गुणांक (आर2 ) और नेश सेटक्लिफ गुणांक (ईएनएस) के गुणांक के गुणों को कुल फॉस्फोरस के लिये 0.94 और 0.98 पाया गया। वर्षा जनरेटर के प्रर्दशन मूल्यांकन को देखने के लिए वास्तविक मॉडल द्वारा प्राप्त मासिक वर्षा की तुलना की गई और उनके बीच का परिणाम बहुत अच्छा प्राप्त हुआ (आर =0.90 और इएनएस 0.99)। प्रवाह दर तलछट की सान्द्रता और पोषक तत्वों की हानि की चित्रमय तुलनात्मकता से पता चला कि मान्यता अवधि के लिए शिखर का समय अच्छी तरह से मेल खाता है।

 

 शिवनाथ उप बेसिन के स्ट्रीम ऑर्डर के साधने नेटवर्क

शिवनाथ उप बेसिन के स्ट्रीम ऑर्डर के साधने नेटवर्क

 

शिवनाथ उप बेसिन की गेजिंग साइट्स का स्थान मानचित्र
शिवनाथ उप बेसिन की गेजिंग साइट्स का स्थान मानचित्र
शिवनाथ उप बेसिन का मृदा मानचित्र
शिवनाथ उप बेसिन का मृदा मानचित्र

समस्याग्रस्त जलग्रहण क्षेत्रों की पहचान वहाँ प्राप्त वर्षा अपवाह, तलछट उपज दरों और पोषक तत्वों की हानि के आधार पर की गई। कुल 21 जलग्रहण क्षेत्रों में से वाटरशेड 10 में मुद्रा का क्षरण मिट्टी के नुकसान समूह में अति उच्च क्षरण वर्ग में था। डब्ल्यूएस 9, डब्ल्यूएस 12, डब्ल्यूएस 13 डब्ल्यूएस 14, डब्ल्यूएस 18 और डब्ल्यूएस 20 आदि जल ग्रहण क्षेत्र मिट्टी के नुकसान समूह में मृदा क्षरण के उच्च क्षरण वर्ग के रूप में पाए गए। जलग्रहण क्षेत्र डब्ल्यूएस 1 डब्ल्यूएस 11, डब्ल्यूएस 16, और डब्ल्यूएस 17 को मृदा क्षरण के मध्यम क्षरण वर्ग के मृदा के नुकसान समूह में पाया गया। शिवनाथ सब बेसिन में डब्ल्यूएस 9 जो कि सर्वोत्तम समस्या वाले खारून जल ग्रहण क्षेत्र को मानचित्र में दर्शाया गया है।

स्वचालित क्षेत्रीय उप बेसिन और अध्ययन क्षेत्र की वाटरशेडसीमाएं
स्वचालित क्षेत्रीय उप बेसिन और अध्ययन क्षेत्र की वाटरशेडसीमाएं
 शिवनाथ उप्र बेसिन में खारुन वाटरशेड का स्थान निर्धारण मानचित्र
शिवनाथ उप्र बेसिन में खारुन वाटरशेड का स्थान निर्धारण मानचित्र
F
विभिन्न परिदृश्यों के कारण तलछट उपज में कमी की तुलना
D
भूजल रिचार्ज संरचनाओं और उनके प्रकार का प्रस्तावित स्था

फिल्टर पट्टी और पत्थर / मृदा के बांधों को मृदा के क्षरण के नुकसान को कम करने के लिए उचित पाया गया। इनके माध्यम से मृदा का क्षरण क्रमशः 27.8% और 34.7% तक कम हो जाता है। समस्याग्रस्त जलग्रहण क्षेत्र के लिए भूजल क्षमता वाले क्षेत्रों की भी पहचान की गई और कम भूजल क्षमता वाले क्षेत्रों में भूजल की क्षमता को बढ़ाने के लिए 120 जल भंडारण टैंक, 70 परकोलेशन टैंक 34 स्टॉप बांध और 34 चैक बाँध आदि को निर्मित करने का सुझाव दिया गया। अति समस्याग्रस्त जलग्रहण क्षेत्र (डब्ल्यूएस 9) में भूजल प्रवाह के आकलन के लिए विजुअल माँडफ्लो मंडल का उपयोग किया गया और इसके परीक्षण के बाद इसे शिवनाथ उपबेसिन के संवेदनशील जलग्रहण के क्षेत्र लिए अनुकूलित पाया गया। इस  मॉडल के परिणामों के आधार पर धरसींवा और आरंग तहसीलों में ट्यूबवेल की संख्या वहीं स्वीकृत संख्या से अधिक पाई गई जबकि तिल्दा और अभनपुर तहसीलों में अधिक संख्या में नलकूपों के निर्माण की अभी भी संभावना है। भूजल के संक्रमण ड्रेस्टिक मॉडल का उपयोग करते हुए अति समस्याग्रस्त जलग्रहण क्षेत्र का भूजल प्रदूषण क्षमता मानचित्र भी तैयार किया गया जिसमें से 75% से अधिक क्षेत्र कम से मध्यम भूजल प्रदूषण वाली श्रेणी में पाया गया।

मॉर्फोमेट्रिक विश्लेषण के आधार पर वाटरशेड के प्राथमिकता से पता चला कि वाटरशेड डब्ल्यूएस 1 डब्लूएस 2. डब्ल्यूएस 6 डब्लूएस 9. डब्ल्यूएस 12. डब्ल्यूएस 14, डब्लूएस 19 और डब्ल्यूएस 20 के उच्च प्राथमिकता में गिरावट आई है और उच्च मिट्टी के क्षरण के कारण अतिसंवेदनशील वाटरशेड के रूप में संकेत मिलता है। सतही प्रवाह और चैनल प्रवाह के लिए मैनिंग के (एन) मान क्रमशः शिवनाथ  उप बेसिन के लिए 0.132 और 0.024 है।

मॉडल इनपुट पैरामीटर के संवेदनशीलता विश्लेषण से पता चलता है कि धारा निर्वहन एवं प्रवाह का दर और तलछट एकाग्रता सोइलकंजर्वेशन सर्विस (एससीएस) कर्व नंबर (सीएन) के लिए अधिक संवेदनशील होती है जिसके बाद सतही प्रवाह (ओवीएन)सतह के प्रवाह के लिए मैनिंग खुरदरापन गुणांक होता है समय (सुरलाग और समर्थन अभ्यास कारक (यूएसएलईपी) मानसून के मौसम के लिए स्वाट मॉडल द्वारा नाइट्रेट- नाइट्रोजन और कुल फोस्फोरस सहित पोषक तत्वों को संतोषजनक बनाया जा सकता है।  
 

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Post By: Shivendra
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