जल-स्तुति

जल हमारी जिंदगी है,
जल हमारी बंदगी है।
हम बचाएं जल, मत बहाएं जल,
हर समस्या का यही है हल।।

पांच तत्वों में वही जल
अपनी आंखों में वही जल।
राष्ट्र की धारा है गंगा,
जिसकी बूंदों में वही जल।।

जल की महिमा जिसने जानी,
वो चतुर है वो ही ज्ञानी,
हमने इतनी बात जानी,
जल ही है सम्बल!
हर समस्या का यही है हल!!

जिसकी आंखों में न जल हो,
जो हृदय से ना सजल हो।
जो हिमालय को न जाने,
कैसे वो जीवन सफल हो।।

रामगंगा, घाघरा सी
गंगा, गंडक, राप्ती भी,
बहती यमुना कर रही है,
रात-दिन कल-कल!
हर समस्या का यही है हल।।

जल की स्तुति यूं करें हम,
शुद्धता जल में भरें हम।
जल प्रदूषण से रहित हो,
प्रकृति से कुछ तो डरें हम।।

स्रोत गंगा का है निर्मल
है हिमालय ‘शांत’ शीतल,
जिंदगी हिम सी हो सरल
कर रहा है जल!
हर समस्या का यही है हल।।

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