जल पुरुष राजेंद्र सिंह को स्टाॅकहोम वाटर प्राइज
प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह को भारतीय गाँवों में जल संरक्षण प्रयासों और समुदायों को सशक्त करने के लिये 2015 के प्रतिष्ठित स्टाॅकहोम वाटर प्राइज से नवाजा जाएगा। स्वीडन के किंग कार्ल गुस्ताफ 2015 के विश्व जल सप्ताह के दरम्यान 26 अगस्त को एक राॅयल अवार्ड सेरेमनी में राजेंद्र सिंह को पुरस्कार प्रदान किया जाएगा इसके तहत उन्हें 1,50,000 डाॅलर की धनराशि प्रदान की जाएगी यह पुरस्कार 1991 से स्टाॅकहोम इंटरनेशनल वाटर इंस्टीट्यूट की ओर से दिया जाता है। एक बयान में कहा गया कि ‘जल पुरुष’ के रूप में लोकप्रिय 1959 में जन्मे राजस्थान के श्री राजेन्द्र सिंह ने भारत के ग्रामीण इलाकों में जल संरक्षण सुधार और जरूरतमन्द लोगों के रहन-सहन को बेहतर बनाने का साहसिक प्रयास किया।
गंगा सफाई अभियान में कई देश दिखा रहे रुचि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नमामि गंगे’ अभियान का असर विश्व के सम्पन्न देशों पर भी दिखने लगा है। कई देशों ने आगे बढ़कर गंगा स्वच्छता अभियान से जुड़ने में दिलचस्पी दिखाई है।
जापान, हालैंड, जर्मनी, कनाडा, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड सरीखे देश भारत से जुड़कर गंगा की निर्मलता सुनिश्चित करना चाहते हैं। इस प्रयास में इंग्लैंड के नदी सफाई विशेषज्ञों के एक दल ने गंगा स्वच्छता अभियान से जुड़ने के लिये केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती से मुलाकात की। तीन सदस्यीय इस दल के साथ भारत में इंग्लैंड के उप-उच्चायुक्त जूलियन इवांस और ऊर्जा सुरक्षा पर सेकेंड सेक्रेटरी मेलिसा एल्से भी थीं। इससे पहले कई देशों के प्रतिनिधियों ने भारत सरकार के सामने गंगा को लेकर अपनी मंशा जताई है। इस दल ने केन्द्रीय मंत्री के सामने गंगा स्वच्छता से जुड़ने की अपनी मंशा व्यक्त करते हुए तकनीकी सहयोग और आर्थिक मदद का भरोसा दिया है। दल ने इंग्लैंड की टेम्स नदी को स्वच्छ बनाने के लिये अपनाए गए उपायों का एक पाॅवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी किया है।
यमुना में पूजन सामग्री फेंकी तो रुपए 5000 जुर्माना
पूजा-पाठ के बाद अगर आप फूलमाला समेत पूजन सामग्री को यमुना नदी में प्रवाहित करते आये हैं तो सावधान हो जाइए। अब ऐसा करने पर आपको 5 हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा। यमुना नदी को निर्मल करने के लक्ष्य के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यह सख्त आदेश दिया।
एनजीटी चेयरमैन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ के आदेश के मुताबिक यमुना नदी में पूजन सामग्री या किसी भी तरह का कचरा फेंकना प्रतिबन्धित होगा और नियम का उल्लंघन करने पर 5 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा।
नदी में मलबा डालने पर लगाया जुर्माना
परियोजना निर्माण का मलबा नदियों में डालने वाली कम्पनियों पर कार्रवाई होने लगी है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने अलकनन्दा में मलबा डालने पर पीपलकोटी-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना का निर्माण कर रही हिन्दुस्तान कम्पनी पर डेढ़ लाख का जुर्माना लगाया है।
गंगा को निर्मल बनाने पर विचार
गंगा की अविरल धारा और निर्मलता सुनिश्चित करने के साथ ही संरक्षण को लेकर जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने विचार के लिये एक प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजा है। इस पर पीएम की मुहर लगते ही सरकार की ओर से गंगा संरक्षण कार्यक्रम पर ठोस कदम उठाए जाएँगे। एक कार्यक्रम में इसका जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता सुनिश्चित करने के लिये सरकार की ओर से जल्द समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि गंगा में शोधित या अशोधित किसी तरह का पानी नहीं जाये। वहीं उन्होंने उद्योग जगत से अपील की है कि वे अपने इस्तेमाल के लिये नदी से पानी लेने की जगह अपने शोधित जल का ही इस्तेमाल करें। प्रत्येक मौसम में नदियों में साल भर पानी का प्रवाह बना रहे, इसे भी सुनिश्चित करने के लिये हर सम्भव प्रयास किये जाएँगे।
140 नाले रोके जाएँगे गंगा में गिरने से
क्या होगा खास
1. गंगा किनारे हरियाली बढ़ाने के लिये किया जाएगा कार्य
2. रेड क्राॅस की तर्ज पर गंगा वाहिनी तटरक्षक का होगा गठन
3. रेत खनन पर बनेंगे सख्त नियम
4. प्रदूषण नियंत्रण करने को नेशनल गंगा माॅनिटरिंग सेंटर होगा तैयार।
गंगा सफाई में जुटी सरकार ने गंगोत्री से गंगासागर तक इसे प्रदूषित करने वाले नालों की गन्दगी को नदी में गिरने से पूरी तरह रोकने का फैसला लिया है। करीब 140 नालों की गन्दगी को गंगा में गिरने से रोकने का काम शुरू हो चुका है। वहीं गंगा किनारे अस्थि विसर्जन पर भी पाबन्दी लगेगी। हालांकि गंगा सफाई से जुड़ी तमाम नीतियों पर कदम बढ़ाने के साथ आम आदमी की आस्था का खयाल भी रखा जाएगा। श्रद्धालुओं को पूजा सामग्री गंगा में विसर्जित करने से नहीं रोका जाएगा।
तीन साल में पूरा होगा क्लीन गंगा प्लान
1. अब पूरी फंडिंग करेगी केन्द्र सरकारः
प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘क्लीन गंगा प्लान’ तीन वर्ष में पूरा होगा। लगभग बीस हजार करोड़ की योजना वर्ष 2018 तक मूर्तरूप ले लेगी। यह घोषणा रविवार को काशी में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने की।
महापौर, जन प्रतिनिधियों व आला अधिकारियों के साथ दो चरणों में बैठक कर उन्होंने क्लीन गंगा प्लान व नमामि गंगे से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा की। योजना से जुड़े कुछ बिन्दुओं पर उन्होंने अफसरों की क्लास भी ली। जन प्रतिनिधियों से मंत्री की अपेक्षा थी कि वे योजना के क्रियान्वयन में अपनी शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करें। यह भी कहा कि वह 15 दिन पर काशी का दौरा कर योजनाओं की समीक्षा करेंगी। पूरे देश में क्लीन गंगा प्लान का केन्द्र वाराणसी ही होगा। कहा कि अब पूरी फंडिंग केन्द्र करेगा। पूरे देश में क्लीन गंगा प्लान का केन्द्र वाराणसी ही होगा। बैठक के बाद पत्रकरों को मंत्री महोदया उमा ने बताया कि योजनाओं के क्रियान्वयन का खाका तैयार है। पहले बीस हजार करोड़ की क्लीन गंगा प्लान को सात वर्ष में मूर्तरूप लेना था। अब इसे तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। गंगा कार्ययोजना 29 वर्ष बाद भी परवान क्यूँ नहीं चढ़ी के सवाल पर केन्दीय जल संसाधन नदी विकास व गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा ने कहा कि पहले बजट में 70 फीसदी केन्द्र व 30 फीसद राज्य को खर्च करना था। अलग-अलग दलों की सरकार होने के कारण राज्य धन देने में आनाकानी करते थे। अब क्लीन गंगा प्लान की पूरी फंडिंग केन्द्र सरकार करेगी।
बदलते परिवेश मे जल संसाधन प्रबन्धन की भूमिका
जल संरक्षण एवं गुणवत्ता पर गोष्ठी में होगा मंथन।
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआईएच) रुड़की द्वारा पाँचवीं राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का आयोजन 19-20 नवम्बर को किया जाएगा। इसमें उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञ प्रतिभाग करेंगे। संगोष्ठी में जल की मात्रा, गुणवत्ता, माँग, उपयोगिता और आपूर्ति पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें देश के दीर्घकालिक विकास के लिये जल संसाधन प्रबन्धन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही उपयुक्त एवं बेहतर प्रबन्धन के लिये एक ठोस रणनीति तैयार की जाएगी। इसके अलावा राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये संगोष्ठी में सभी व्याख्यान हिन्दी में दिये जाएँगे। संगोष्ठी में सतही जल निर्धारण एवं प्रबन्धन, भूजल निर्धारण एवं प्रबन्धन, बाढ़ एवं सूखा प्रबन्धन, जलवायु परिवर्तन, नदियों में अविरल एवं निर्मल धारा बनाए रखने के लिये उपाय, पर्वतीय क्षेत्रों में जल प्रबन्धन, वर्षाजल संचयन एवं पुनः प्रयोग आदि विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किये जाएँगे।
एनआईएच हर चार साल में इस तरह की संगोष्ठी का आयोजन करता है। इससे पहले वर्ष 2011 में इसका आयोजन किया था।
सावधान- खत्म होने को है भूजल
दुनिया के करोड़ों लोगों का गला तर करने वाले स्वच्छ भूजल स्रोत सूखने के कगार पर हैं। नासा के नए सेटेलाइट डाटा के अनुसार भारत, चीन, अमेरिका और फ्रांस स्थित दुनिया के सबसे बड़े 37 भूजल स्रोत में से 21 की स्थिति अति चिन्ताजनक है। पिछले एक दशक के दौरान इन जलस्रोतों से जितना पानी निकाला गया, उतना उसमें समाहित नहीं किया गया। 13 अन्य भूजल स्रोतों की स्थिति गम्भीर हो चली है। पानी की समस्या यहाँ कभी भी विकराल रूप धारण कर सकती है।
जल है तो कल है
जल हमारे जीवन का आधार है लेकिन इस प्राकृतिक संसाधन के बेपरवाह उपभोग से भविष्य में जल संकट का बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है। जलीय संसाधनों का जीवन के हर क्षेत्र मसलन गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास और सुरक्षित पर्यावरण में अहम योगदान है। इसीलिये तो टिकाऊ विकास की बुनियाद जल पर ही खड़ी है। इसीलिये आसन्न संकट के बीच आने वाली पीढ़ियों के लिये जल की हर एक बूँद का संरक्षण एकमात्र उपाय हैः
हिस्सेदारी
1. 18 प्रतिशत कुल वैश्विक आबादी में देश की हिस्सेदारी।
2. 4 प्रतिशत देश के जल स्रोतों की वैश्विक हिस्सेदारी।
देश में दोहन
1. 40 प्रतिशत इससे भी अधिक सतह पर उपलब्ध जल का हर साल दोहन होता है।
2. 80 प्रतिशत उत्तरी पश्चिमी हिस्से में सतह जल के उपभोग का स्तर।
10 करोड़
लगभग 10 करोड़ लोग ऐसे जिलों में रहते हैं जहाँ के जल में कम से एक प्रदूषक तत्व तय मानकों से अधिक पाया गया।
समस्या
1. 54 प्रतिशत देश का जल दबाव क्षेत्र। यानी किसी-न-किसी रूप में जल संकट मौजूद।
2. 60 करोड़ देश के लोगों पर भविष्य में सतह जल आपूर्ति का मँडराता खतरा। सिकुड़ती सप्लाई का कृषि पर पड़ेगा गम्भीर खतरा क्योंकि 90 प्रतिशत खेती इसी पर निर्भर।
भूजल
1. केन्द्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में पिछले एक दशक (2003-13) की तुलना में 56 प्रतिशत कुओं के जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई।
बढ़ता बोतलबन्द पानी
1. 10 हजार करोड़ डाॅलर का वैश्विक कारोबार।
2. देश में प्रति व्यक्ति बोतबन्द पानी की खपत पाँच लीटर सलाना जबकि विश्व का औसत 24 है।
3. भारत बोतलबन्द पानी का दसवाँ बड़ा उपभोक्ता।
4. देश में 2013 तक यह 60 अरब रुपए का कारोबार था। 2018 तक 160 अरब का अनुमान।
5. 40 फीसद इसका बाजार पश्चिमी भाग तक जबकि पूर्वी भाग में केवल 10 फीसद है। सर्वाधिक बॉटलिंग प्लांट दक्षिण में हैं।
गंगा तटों पर जड़ी-बूटी लगाने पर हो रहा विचार
1. इको टास्क फोर्स को दी जाएगी पौधे लगाने की जिम्मेदारी।
2. आयुष मंत्रालय लगाएगा प्रोसेसिंग इकाइयाँ।
उत्तराखंड में जल्दी ही गंगा के तटों पर बड़ी-बूटियाँ लगाने पर विचार किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन जड़ी बूटियों से यहाँ दवाएँ बनाने की इकाइयाँ भी लगा सकता है। इस काम में पूर्व सैनिकों की ‘इको टास्क फोर्स’ शामिल होगी। इस फोर्स के सदस्यों को पौधा लगाने से जुड़ी गतिविधियों में लगाया जाएगा। यह राजग सरकार की स्वच्छ गंगा परियोजना का ही हिस्सा होगा।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय और आयुष मंत्रलय इस बारे में एक प्रस्ताव पर बातचीत कर रहे हैं। सरकार की जैविक कृषि शाखा भी इसमें शामिल होने की तैयारी में है। एक अधिकारी ने कहा, हम लोग आयुष मंत्रालय से बात कर रहे हैं। इसके लिये हमारे बीच (दोनों मंत्रालयों) सहमति पत्र भी तैयार हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, इको टास्क फोर्स सम्भवतः तीन माह में काम करने लगेगा और इसे नदी में कचरा डालने से रोकना और पौधे लगाने सहित तीन प्रमुख जिम्मेदारियाँ दी जाएँगी। मौजूदा योजना के अनुसार, ये पौधे देहरादून शोध संस्थान से लेकर उत्तराखण्ड में गंगा तटों पर लगाए जाएँगे। इको टास्क फोर्स पौधे लगाएगा वहीं आयुष मंत्रालय जड़ी बूटी की प्रोसेसिंग इकाइयाँ लगाएगा।
जल संसाधन मंत्रालय हर्बल उत्पादों के विपणन में सहायता करेगा। पूरी योजना को अगले साल अक्टूबर तक कार्यरूप दे दिया जाएगा। इसका मकसद स्थानीय लोगों के लिये रोजगार के अवसर पैदा करना है। प्रस्तावित इको टास्क फोर्स सेना की एक क्षेत्रीय इकाई होगी जिसमें चार बटालियनें होंगी। हर बटालियन का नेतृत्व रक्षा मंत्रालय का एक कर्नल रैंक का अधिकारी करेगा और इसके जवान पूर्व सैनिक होंगे। इस फोर्स में कुल करीब 1600 लोग होंगे। पहले साल इस फोर्स के लिये 300 करोड़ रुपए की राशि निश्चित की गई है। किसी नदी को स्वच्छ करने में रक्षा बलों को शामिल करने का इसे देश में पहला मामला बताया जा रहा है। इन बटालियनों को सबसे पहले गंगा के सबसे ज्यादा प्रदूषित वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। इनमें कानपुर-वाराणसी, मथुरा-वृंदावन और हरिद्वार के साथ इनकी सेवाओं का दिल्ली में भी इस्तेमाल किया जाएगा।
देहरादून में नमामि गंगे के लिये कसरत
1. महाभियान का खाका बना रहा एफआरआई
2. देश के ग्यारह राज्यों में लागू होगा प्रोजेक्ट
गंगा को स्वच्छ, निर्मल बनाने को न सिर्फ गन्दगी को उसमें जाने से रोका जाएगा, बल्कि उसके आस-पास ऐसी वानिकी का विकास हो, जिससे न सिर्फ गंगा स्वच्छ हो बल्कि हर्बल मेडिकल प्लांट के जरिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जा सकें।
गंगा को साफ करने के महा अभियान का खाका तैयार करने का श्रीगणेश देहरादून से शुरू हो गया है। इसके लिये एफआरआई में शुरू हुई दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया। उन्होंने कहा कि गंगा मिशन की शुरुआत गंगा के उद्गम स्थल से करनी होगी। हिमालय क्षेत्र के वनों, वृक्षों, जलस्रोत व खेती के पुनरुद्धार से ही गंगा साफ हो सकती है। राज्य सरकार इसके लिये पूरा प्रयास कर रही है।
युवाओं को मिलेगा काम
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि नमामि गंगे अभियान में उत्तराखण्ड में नदी किनारे औषधीय पौधों के प्रोसेसिंग हब विकसित किये जाएँगे। नमामि गंगे के तहत स्थानीय युवाओं को औषधीय पौधे लगाने का काम मिलेगा।
इकोलाॅजी मजबूत करनी होगी
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पाँच हजार से अधिक आबादी वाली पंचायतों को भी साॅलिड वेस्ट निस्तारण सुनिश्चित करना होगा। केन्द्रीय मंत्री आयुष श्रीपद नायक ने कहा कि नमामि गंगे में औषधीय पौधे की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री खेल व युवा कल्याण मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने युवा कल्याण मंत्रालय को पूरे सहयोग का आश्वासन दिया।
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ये एक बड़ा सच है कि नदियाँ मर रही हैं। इसके लिये औद्योगिक प्रदूषण पर न सिर्फ पूरी रोक लगानी होगी, बल्कि सख्ती बरतनी होगी।
साभार
अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान
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