इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर भूमि की पहचान की गई है, ताकि बरसाती पानी को एकत्रित करके उसका सदुपयोग किया जाएगा। बरसाती पानी संचयन से सिंचाई, पौधारोपण, मत्स्य पालन, चरागाहों को आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध करवाने में मदद मिलेगी। एकीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के लिए जिला गुड़गांव में 25,510 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है और इस कार्य पर लगभग 30 करोड़ 61 लाख रुपए की लागत आएगी। इस कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार द्वारा 75 प्रतिशत राशि दी जाएगी तथा 25 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी।
इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को काफी लाभ मिलेगा। कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए कुल 54 कार्यों की सूची बनाई गई, ताकि ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार कर गांव का विकास किया जा सके।
इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर भूमि की पहचान की गई है, ताकि बरसाती पानी को एकत्रित करके उसका सदुपयोग किया जाएगा। बरसाती पानी संचयन से सिंचाई, पौधारोपण, मत्स्य पालन, चरागाहों को आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध करवाने में मदद मिलेगी।
जानकारी देते हुए अतिरिक्त उपायुक्त पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि कार्यक्रम के तहत बरसाती पानी के उपयोग के लिए वाटर शेड लगाए जाएंगे। वाटर शेड के बारे में उन्होंने बताया कि इस प्रणाली से बरसाती पानी का उपयोग जरूरतमंद क्षेत्रों में किया जा सकता है। इससे भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होगा।
आईडब्ल्यूएमपी योजना से उस जमीन का भी उपयोग किया जा सकेगा, जहां पर वर्तमान में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए मंडल भूमि संरक्षण अधिकारी आरएस भादू ने बताया कि आईडब्ल्यूएमपी प्रोजेक्ट को खंड स्तर पर तीन भागों में बांटा गया है जिसमें सोहना, पटौदी व फर्रूखनगर खंड के कुल 72 गांव शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत कुल 42 माईक्रो वाटर शेड प्रस्तावित किए गए हैं, जिसमें बांध बनवाना, भूमि सुधार कार्य, कृषि वानिकी आदि के कार्य करवाने प्रस्तावित है।
उन्होंने बताया कि वर्तमानों में तीनों सब-प्रोजेक्टों के तहत प्रस्तावित 30.61 करोड़ रुपए में से खंड सोहना व फरुखनगर के 32 गांवों के लिए 10,921 हेक्टेयर भूमि के संरक्षण के लिए 13.10 करोड़ की कार्ययोजना सरकार द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है जिसमें 18 माईक्रो वाटर शेड स्वीकृत किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में गांवों की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए गांव में सर्वे का काम चल रहा है।
इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को काफी लाभ मिलेगा। कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए कुल 54 कार्यों की सूची बनाई गई, ताकि ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार कर गांव का विकास किया जा सके।
इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर भूमि की पहचान की गई है, ताकि बरसाती पानी को एकत्रित करके उसका सदुपयोग किया जाएगा। बरसाती पानी संचयन से सिंचाई, पौधारोपण, मत्स्य पालन, चरागाहों को आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध करवाने में मदद मिलेगी।
जानकारी देते हुए अतिरिक्त उपायुक्त पुष्पेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि कार्यक्रम के तहत बरसाती पानी के उपयोग के लिए वाटर शेड लगाए जाएंगे। वाटर शेड के बारे में उन्होंने बताया कि इस प्रणाली से बरसाती पानी का उपयोग जरूरतमंद क्षेत्रों में किया जा सकता है। इससे भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होगा।
आईडब्ल्यूएमपी योजना से उस जमीन का भी उपयोग किया जा सकेगा, जहां पर वर्तमान में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए मंडल भूमि संरक्षण अधिकारी आरएस भादू ने बताया कि आईडब्ल्यूएमपी प्रोजेक्ट को खंड स्तर पर तीन भागों में बांटा गया है जिसमें सोहना, पटौदी व फर्रूखनगर खंड के कुल 72 गांव शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत कुल 42 माईक्रो वाटर शेड प्रस्तावित किए गए हैं, जिसमें बांध बनवाना, भूमि सुधार कार्य, कृषि वानिकी आदि के कार्य करवाने प्रस्तावित है।
उन्होंने बताया कि वर्तमानों में तीनों सब-प्रोजेक्टों के तहत प्रस्तावित 30.61 करोड़ रुपए में से खंड सोहना व फरुखनगर के 32 गांवों के लिए 10,921 हेक्टेयर भूमि के संरक्षण के लिए 13.10 करोड़ की कार्ययोजना सरकार द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है जिसमें 18 माईक्रो वाटर शेड स्वीकृत किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में गांवों की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए गांव में सर्वे का काम चल रहा है।
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