जेहि का ऊँचा बैठना


जेहि का ऊँचा बैठना, जेहि का खेतु निचान।
तेहि का बैरी का करै, जेहि कै मीत देवान।।


भावार्थ- जिसकी संगत बड़े लोगों से हो, जिसका खेत नीचे ढलान पर हो जहाँ पानी स्वयं बह जाता है, जिसकी दोस्ती राजा के दीवान या मंत्री से हो, उसको अपने दुश्मन से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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Post By: tridmin
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