यमुना नदी के जल को कभी राजतिलक करने के काम में प्रयोग किया जाता था आज उसी यमुना नदी के जल को कोई छूना भी पसन्द नहीं कर रहा है वजह साफ है कि यमुना नदी इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि वह एक नदी न होकर कचरे का नाला बनकर रह गयी है, धार्मिक नदी का दर्जा पाये यमुना नदी के इस हाल के लिये असल में जिम्मेदार हैं कौन?
कहा जा रहा हैं कि यमुना नदी के प्रदूषण को दूर करने की दिशा में कोई अहम जनजागरूकता अभियान चलाने की जरूरत समझ में आ रही हैं, इस नदी को गंदा करने में सबसे खास योगदान नदी में फेंकी जाने वाली लाशें हैं, इनमें अनजान लाशों की सबसे बडी भूमिका रहती हैं, सबसे हैरत की बात तो यह है कि जिन अज्ञात लाशों के अन्तिम संस्कार के लिए शासन पुलिस विभाग को लाखों रूपये प्रदान करता है?
यमुना देश की राजघानी दिल्ली से होते हुये यमुना नदी इटावा होते हुये इलाहाबाद तक जाती हैं. इटावा में यमुना नदी के तट पर इन दृश्यों को हररोज कैमरे में कैद किया जा सकता है कि रिक्शे पर सवार एक या दो शवों को लेकर डण्डे के सहारे नदी में बहाते हुए देखे जा सकते है। इन अनजान लाशों ने यमुना नदी का ये हाल कर डाला हैं कि नदी में पाये जाने वाले वन्य जीवों की तादात दिनप्रति दिन घटती नजर आ रही है, कहा यह जाता हैं कि नदी में पाये जाने वाले कछुये आदि वन्य जीव इन सड़ी गली लाशों की वजह से कम होते जा रहे हैं।
देश की सबसे धार्मिक और महत्वपूर्ण माने जानी वाली गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने की तरह ही केन्द्र सरकार द्वारा जापान सरकार की सहायता से यमुना नदी के प्रदूषण को दूर करने के लिए एक अर्से पहले देश में यमुना एक्शन प्लान बड़ी जोर-शोर से चलाया गया था। इस प्लान से लगा कि यमुना नदी का प्रदूषण चुटकियों में दूर हो जाएगा लेकिन हकीकत में यमुना आज भी मैली ही है।
रही सही कसर पुलिस विभाग के जाबांज घूसखोर सिपाहियों ने पूरी कर दी है जिनके जिम्मे अनजान शवों का अंतिम संस्कार करने का दारोमदार होता है। यमुना नदी के किनारे रहने वाले इलाकाई लोग बताते हैं कि ट्रेन से कटे, मार्ग दुर्घटना और नदी नाले में पाये गये अज्ञात शवों के अन्तिम संस्कार के लिए उत्तर प्रदेश का पुलिस विभाग ने 1500 रूपये की राशि निर्धारित कर रखी है, लेकिन इन सबके बाबजूद जो तश्वीरें कैमरे में कैद करने में कामयाबी हासिल हुई है, उनको देखकर ऐसा कहीं नहीं लगता है कि अनजान शवों के अन्तिम संस्कार के लिए उत्तर प्रदेश का पुलिस विभाग द्वारा 1500 रूपये की मुहैया कराई जा रही राशि का वास्तव में इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर ऐसा होता तो इन शवों को नदी में खुलेआम डण्डों के सहारे बहाया नहीं जा रहा होता। इससे तो ऐसा अवश्य सिद्ध हो गया है कि पुलिस प्रशासन के जाबांज घूसखोर सिपाही अंतिम संस्कार की राशि हड़प जाते हैं।
संत समाज से ताल्लुक रखने वाले लाल बाबा मानते हैं कि यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए गंगा नदी की तरह देश भर में एक जन-जागरण अभियान शुरू करने की बेहद जरूरत है,लाल बाबा सह भी कहने से किसी भी सूरत में नहीं चूकते कि वे जल्द ही यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिये देश भर में एक अलिखिय अभियान शुरू करने का मसौदा तैयार कर के लिये अपने साथ के संतो और आम जनमानस से मशीवरा करेंगें, इटावा और इटावा के आसपास लम्बे समय से वन्यजीवों पर काम कर रही पर्यावरणीय संस्था सोसाइटी फॉर कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डा0 राजीव चौहान कहते है कि यमुना नदी में अब पानी तो रहा ही नहीं हैं,
इटावा के नगर पालिका अध्यक्ष फुरकान अहमद इस बात से बेहद आहत हैं कि जिस आधार पर यमुना एक्शन प्लान का पहला चरण चालू किया गया उसक बाद अब दूसरा चरण शुरू करने की तैयारी की जा रही है उसे देखकर कहीं पर भी नहीं लगता है कि एक्शन प्लान से जुड़े अधिकारी जनभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए योजनाओं को बनाते हैं।
यमुना नदी का प्रदूषण दूर कौन करेगा, यह सवाल अभी सवाल ही बना हुआ है।
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