नदियों के संरक्षण व विकास पर विशेषज्ञों ने किया मंथन
ऋषिकेश (एसएनबी)। गंगा व यमुना की निर्मलता एवं अविरलता के लिए परमार्थ निकेतन द्वारा गंगा-यमुना पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर देशभर से आए पर्यावरणविद्, वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने नदियों के संरक्षण एवं विकास पर चिंतन-मंथन किया। रविवार को परमार्थ निकेतन स्थित गंगा सभागार में कार्यशाला का उद्घाटन प्रख्यात समाजसेवी डा. वंदना शिवा ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि गंगा के बेटों व बेटियों को अपनी मां की रक्षा और सेवा के लिए गंगा के पास आने की जरूरत आ पड़ी है। उन्होंने कहा कि देश का विकास नदियों के संरक्षण से ही संभव है।
उन्होंने गंगा और यमुना के लिए कुछ वर्षों के लिए किये जा रहे चिंतन को कार्यरूप में लाने के परमार्थ निकेतन की सराहना की। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि विभिन्न संस्थाओं व समाजसेवियों के एक मंच पर आने से तीर्थनगरी का गंगा एक्शन परिवार राष्ट्रीय परिवार का स्वरूप लेता जा रहा है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डा. विनोद तारे ने नदियों के संरक्षण के लिए काम कर रही सभी संस्थाओं से एक मंच पर आकर काम करने की अपील की। उन्होंने रिवर को सीवर न बनाने का आह्वान किया। प्रयाग से आए संजय पुरुषार्थी ने काव्य रचना सुनाकर युवाओं को गंगा रक्षा अभियान से जुड़ने को कहा-
‘मर गई जो चेतना उसको जगाना है हमें,
चुभ रही जो वेदना उसको मिटाना है हमें,
हो चुकी बातें बहुत कुछ करके दिखलाइए,
इस धरा पर हर जगह गंगा बचानी है हमें’
बरेली से आए कवि आचार्य देवेन्द्र देव ने गंगा मां की व्याकुलता को सजीव वर्णन किया-‘मचल मचलकर, बिलख-बिलखकर कहे गंगा की धारा,
हर हर कहने वाले बेटो, हर लो कष्ट हमारा’
इस मौके पर उत्तराखंड पुलिस शिकायत प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति शंभुनाथ श्रीवास्तव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व निदेशक डा. आरके पाठक, दिल्ली विवि की प्रो. रचना विमल, अरुणाचल प्रदेश के समाजविज्ञानी डा. रामबदन दूबे, पीजी कालेज ऋषिकेश के डा. देवमणि त्रिपाठी, केंद्रीय विवि लखनऊ के डा. वेंकटेश दत्ता, भारतीय कृषक दल के अध्यक्ष सरोज कुमार दीक्षित, कानपुर के कै. एससी त्रिपाठी, इलाहाबाद के मनोज श्रीवास्तव, सिराज केसर, संदीप गर्ग, मोहन कुमार, मनोज मिश्र, प्रमोद यादव, अश्वनी त्यागी, सरोज पटेल, राममहेश मिश्र आदि मौजूद थे।
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