इंसान के मल में भी कोरोना वायरस

इंसान के मल में भी कोरोना वायरस
इंसान के मल में भी कोरोना वायरस

अमर उजाला, 26 मार्च 2020

महानायक अमिताभ बच्चन के ट्वीट से नाइत्तेफाकी जताते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि मक्खियों से संक्रमण नहीं होता है। अमिताभ बच्चन ने मेडिकल साइंस की पत्रिका लैंसेट के अध्ययन का हवाला देते हुए एक वीडियो शेयर किया था और बताया था कि कैसे घरों में आने वाली मक्खियों से संक्रमण फैल सकता है। वीडियो के कैप्शन में अमिताभ ने लिखा ‘‘अपने टाॅयलेट का इस्तेमाल करो हर कोई, हर रोज, हमेशा, दरवाजा बंद तो बीमारी बंद। उनके इस ट्वीट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रिट्वीट किया।

आयुर्विज्ञान की जानी मानी पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित इस अध्ययन में ‘फीकल-ओरल’ (मल-मुख) माध्यम को कोरोना संक्रमण का वाहक करार दिया है। यानी किसी संक्रमित व्यक्ति के खुले में शौच करने के बाद उसके संपर्क में आने वाले कीट, मक्खी, खाद्य पदार्थों और फल-सब्जियों पर बैठ सकते हैं। फिर इन खाद्य पदार्थों को जो व्यक्ति ग्रहण करेगा, उनमें भी कोरोना पहुंच सकता है। मल-मुख के रास्ते कोरोना संक्रमण फैलने की ज्यादा आशंका उन गरीब विकासशील देशों में ज्यादा है, जहां स्वच्छता और खुले में शौच का चलन है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, वैसे तो ड्राॅपलेट कोरोना के संक्रमण की सबसे बड़ी वाहक है, लेकिन मानव मल में हफ्तों तक यह वायरस जिंदा रह सकता है। इसके संपर्क में आए पदार्थ और दूषित पर्यावरण के जरिए कोरोना के नाक, मुंह तक पहुंचने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

बीजिंग के अस्पतालों में सीवेज में मिला था कोरोना

फिलहाल सक्रिय कोरोना वायरस की जीनोम संरचना सार्स कोरोना वायरस से 82 प्रतिशत मिलती जुलती है। लैंसेट के शोध में बताया गया कि 2003 में जिन अस्पतालों में सार्स के मरीज भर्ती थे, वहां के सीवेज में यह वायरस पाया गया था। जब सीवेज के पानी का परीक्षण किया गया तो यह वायरस 20 डिग्री पानी में दो दिन तक जिंदा रहा। लिहाजा, वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के पर्यावरणीय परिस्थितियों में मौजूद रहने के साक्ष्य मौजूद हैं, जिसके चलते इसका संक्रमण फीकल-ओरल माध्यम से संभव है।

अमेरिका में मरीज के मल में मिला वायरस

मानव मल से कोरोना फैलने की बात को इसलिए भी बल मिलता है क्योंकि अमेरिका के एक संक्रमित मरीज के मल में यह पाया गया था।

ऐसे खत्म होगा संक्रमण

वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि मल मुख के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लोग खुले में शौच बिल्कुल न करें। साथ ही अस्पतालों समेत अन्य स्थानों पर शौच निस्तारण के दौरान एथेनाॅल युक्त एंटीसेप्टिक, क्लोरीन या ब्लीच युक्त संक्रमणरोधी का इस्तेमाल करें। 

अस्पतालों में शौच निस्तारण पर रखें खास ध्यान

वैज्ञानिकों का कहना है कि अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों के शौच निस्तारण के दौरान भी स्वच्छताकर्मियों को सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही अस्पतालों के सीवेज को भी अच्छी तरह संक्रमणरहित करना चाहिए। इन कार्यों में शामिल कर्मचारियों को हाथों की स्वच्छता में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए।

 

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Post By: Shivendra
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