मध्य प्रदेश में इंदिरा सागर बांध के जलाशय में पानी का भराव 260 मीटर से अधिक नहीं करने समेत अन्य मांगों को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) ने बांध क्षेत्र के गांव बड़खालिया (खंडवा), उंवा (हरदा) व मेल पिपलिया (देवास) में एक सितंबर से जल सत्याग्रह करने की चेतावनी दी है।
आंदोलन के नेता आलोक अग्रवाल ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, एक सितंबर से इंदिरा सागर बांध क्षेत्र के हजारों विस्थापित खंडवा, हरदा व देवास जिले के तीन प्रभावित गाँवों में जल सत्याग्रह शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रभावितों की माग है कि बांध का जल स्तर 260 मीटर के ऊपर नहीं ले जाया जाए, डूब प्रभावित हजारों खेत व मकान का भू-अर्जन किया जाए, संबंधित हजारों परिवारों का संपूर्ण पुनर्वास किया जाए और किसानों को ज़मीन के बदले ज़मीन और न्यूनतम पांच एकड़ ज़मीन दी जाए व मज़दूरों को ढाई लाख रुपए का मुआवजा मिले, ताकि किसान और मज़दूर विस्थापन के बाद अपना जीवन-जीविका बेहतर ढंग से चला सकें।
अग्रवाल ने बताया कि देश के सबसे बड़े बांध इंदिरा सागर से 254 गांव प्रभावित हुए हैं और सरकार ने ज़मीन के बदले ज़मीन की पुनर्वास नीति होने के बावजूद एक भी प्रभावित को ज़मीन दिए बिना, बहुत थोड़ा मुआवजा देकर उजाड़ दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही 85 फीसद से अधिक किसान कोई ज़मीन नहीं खरीद पाए और भूमिहीन बन गए हैं।
उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद पिछले साल बांध का जलाशय 262 मीटर तक भर दिया गया। आंदोलन की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 18 जनवरी तक जवाब देने को कहा, लेकिन अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया।
एनबीए नेता ने आरोप लगाया कि अब सरकार की योजना है कि एक सितंबर से बांध में 262 मीटर तक पानी भरा जाए। यदि ऐसा हुआ, तो बिना भू-अर्जन व पुनर्वास के हजारों घर और खेत डूब जाएंगे और संबंधित परिवार उजड़ जाएंगे।
आंदोलन के नेता आलोक अग्रवाल ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, एक सितंबर से इंदिरा सागर बांध क्षेत्र के हजारों विस्थापित खंडवा, हरदा व देवास जिले के तीन प्रभावित गाँवों में जल सत्याग्रह शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रभावितों की माग है कि बांध का जल स्तर 260 मीटर के ऊपर नहीं ले जाया जाए, डूब प्रभावित हजारों खेत व मकान का भू-अर्जन किया जाए, संबंधित हजारों परिवारों का संपूर्ण पुनर्वास किया जाए और किसानों को ज़मीन के बदले ज़मीन और न्यूनतम पांच एकड़ ज़मीन दी जाए व मज़दूरों को ढाई लाख रुपए का मुआवजा मिले, ताकि किसान और मज़दूर विस्थापन के बाद अपना जीवन-जीविका बेहतर ढंग से चला सकें।
अग्रवाल ने बताया कि देश के सबसे बड़े बांध इंदिरा सागर से 254 गांव प्रभावित हुए हैं और सरकार ने ज़मीन के बदले ज़मीन की पुनर्वास नीति होने के बावजूद एक भी प्रभावित को ज़मीन दिए बिना, बहुत थोड़ा मुआवजा देकर उजाड़ दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही 85 फीसद से अधिक किसान कोई ज़मीन नहीं खरीद पाए और भूमिहीन बन गए हैं।
उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद पिछले साल बांध का जलाशय 262 मीटर तक भर दिया गया। आंदोलन की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 18 जनवरी तक जवाब देने को कहा, लेकिन अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया।
एनबीए नेता ने आरोप लगाया कि अब सरकार की योजना है कि एक सितंबर से बांध में 262 मीटर तक पानी भरा जाए। यदि ऐसा हुआ, तो बिना भू-अर्जन व पुनर्वास के हजारों घर और खेत डूब जाएंगे और संबंधित परिवार उजड़ जाएंगे।
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