इको सेन्सिटिव जोन (गौमुख से उत्तरकाशी) की जारी अधिसूचना के मसौदे में आवश्यक सुधार हेतु प्रस्ताव।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय


महोदय

गंगा को भारत में एक नदी से अधिक बढ़कर स्थान दिया जाता है, इस सार्वभौम सत्य से भली-भांति परिचित हो आपने भी इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विशेषता को स्वीकारते हुए इसे राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया। ज्ञात हो 1 नवम्बर 2010 को हुई NGRBA बैठक में गंगोत्री व उत्तरकाशी के मध्य निर्माणाधीन व प्रस्तावित सभी जल विद्युत परियोजनाओं को गंगा के विशेष सांस्कृतिक व आस्था के पक्ष को मद्देनजर रखते हुए निरस्त करने के निर्णय के साथ ही भविष्य में इसके संरक्षण हेतु गौमुख से उत्तरकाशी तक के 135 किलोमीटर के इस भाग को पर्यावरण संवेदी ज़ोन (Eco Sensitive Zone) घोषित करना प्रस्तावित हुआ। महोदय इस घोषणा के लिए हम सभी जन आपको साधुवाद देते हैं, साथ ही उत्तराखंड में जल, नदी, पर्यावरण एवं स्वावलंबन की दिशा में कार्य कर रहे प्रबुद्ध जन इस इको जोन में निम्नलिखित बिंदुओं को अधिसूचना में सुनिश्चित करवाने हेतु आपके संज्ञानार्थ देते है।

1. इस Notification की अवधारणा को भी राष्ट्रीय नदी गंगा के आस्था व सांस्कृतिक महत्व के अनुरूप ही प्रस्तुत किया जाए ।

2. इको ज़ोन के दायरे में भवनों, होटल, रिसोर्ट आदि के अनुकूल निर्माण हेतु पर्वतीय क्षेत्र की परम्परागत शिल्प व निर्माण शैली के आधार पर निर्माण कार्य हो, इस हेतु नियमावली तय की जाए।

3. यहाँ के स्थानीय निवासियों के हक-हकूकों की सुरक्षा की घोषणा प्रस्तावित अधिसूचना में सुनिश्चित हो।

4. पर्यावरण संवेदी ज़ोन में गंगा की मुख्य धारा के साथ ही इसके भीतर आने वाली सभी सहयोगी जलधाराओं (असी गंगा, जाड़ गंगा आदि ) व श्रोतों का भी संरक्षण सुनिश्चित हो, इनको भी सुरंग, झील अथवा बराज आधारित किसी भी (छोटी अथवा बड़ी) परियोजना से पूर्णतः मुक्त रखा जाए।

5. इसके भीतर 25 मेगावाट तक की जल विद्युत परियोजनाओं को दी गयी छूट को निरस्त किया जाए, क्योंकि ऐसा कोई भी निर्माण जो गंगा के नैसर्गिक व सांस्कृतिक स्वरुप को नष्ट करता है, स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। ज्ञात हो कि इस घाटी में छोटा सा भी प्रतिकूल निर्माण गुणात्मक रूप से अपना दुष्प्रभाव उत्पन्न करता है। (जैसा कि असी गंगा में बन रही 25 मेगावाट से छोटी परियोजनाओं में साफ़ देखा जा सकता है।) स्थानीय स्तर पर विद्युत उत्पादन हेतु यहाँ की आर्थिकी व संस्कृति से जुड़े परम्परागत घराटों को आधुनिक स्वरुप देकर Micro hydel projects के रूप में स्थापित किया जाए, जिससे उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ती के साथ ही क्षेत्रीय गाँवों को स्वावलंबी बनाया जा सके।

6. इस ज़ोन में निगरानी हेतु निर्मित समिति (Monitoring Committee ) को निम्नवत दो भागों में किया जाना आवश्यक रूप से प्रस्तावित किया जाता है,

(i) वर्तमान प्रस्तावित समिति को केंद्रीय क्रियान्वयन समिति (Central Executing Committee) नाम दिया जाए और इस समिति में भी स्थानीय क्षेत्र के प्रतिष्ठित व प्रबुद्ध पर्यावरण, सामाजिक व धार्मिक क्षेत्र के कम से कम 50% जनों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए,

(ii) इसके साथ ही स्थानीय क्षेत्र में एक निगरानी समिति (Local Monitoring Committee) गठित की जाए, जो कि क्षेत्र में दिन प्रतिदिन उठने वाली ज़ोन की पर्यावरणीय व अन्य सम्बंधित समस्याओं का अवलोकन कर आवश्यक तथ्यों को केंद्रीय स्तर पर उजागर कर सके। इस निगरानी समिति को ज़ोन के भीतर किसी आवश्यक विषय पर तत्काल कार्यवाही हेतु भी विशेषाधिकार प्राप्त हो, इस हेतु जिलाधिकारी उत्तरकाशी को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया जाए, साथ ही समिति में से किसी एक सदस्य (गैर-सरकारी) को संयोजक नियुक्त किया जाए, यह आवश्यक हो कि इस समिति की बैठक कम से कम प्रति 2 माह में नियमित रूप से इस ज़ोन में आयोजित की जाए।

7. इस प्रकार संशोधित अधिसूचना के मुख्य बिंदुओं को सरकारी विज्ञापन द्वारा स्थानीय समाचार पत्रों में प्रमुखता से उजागर किया जाए। इसे और अधिक प्रभावशाली एवं कारगर बनाने हेतु केंद्र व राज्य से विशेषज्ञों का दल ज़ोन में ब्लाक स्तर पर तथा विभिन्न स्थानों पर जाकर इस सम्बन्ध में स्थानीय जनों, कार्यशील प्रतिनिधियों के साथ बैठकें आयोजित कर इसके विभिन्न पहलुओं की जानकारी स्थानीय जनों को दे इस प्रकार जानकारियों के समुचित आदान-प्रदान द्वारा उनके महत्त्वपूर्ण सुझावों को भी जान सकें।

8. इको सेंसीटिवे ज़ोन को केंद्र स्तर से विशेष पैकेज का प्रावधान किया जाए। जिसे क्षेत्रीय जनता के रोजगार व स्वावलंबन हेतु विभिन्न कार्यों व नीतियों में राज्य द्वारा उपयोग किया जाना सुनिश्चित हो।

महोदय, आपसे पूर्ण आशा व अपेक्षा है कि गंगा की संस्कृति, परंपरा, पर्यावरण व मर्यादा को मद्देनजर रखते हुए उपरोक्त सभी बिंदुओं को प्रस्तावित अधिसूचना में अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाए, तथा जोनल मास्टर प्लान में भी उक्त बिंदुओं को नियमावली में सुनिश्चित किया जाए। इसके अतिरिक्त निकट भविष्य में गंगा को “विश्व-धरोहर” (World Heritage) घोषित किये जाने हेतु सरकारों के स्तर पर भी आवश्यक प्रणाली शीघ्र प्रारंभ किये जाने की आवश्यकता है।

गंगा व हिमालय के सेवार्थ हम सभी जन -


नाम

स्थान/ग्राम व संपर्क

हस्ताक्षर

प्रेषक-
प्रतिलिपि-

सचिव, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय

इको सेन्सिटिव जोन (गौमुख से उत्तरकाशी) की जारी अधिसूचना का मूल ड्राफ्ट संलग्न है।

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