हरिद्वार से यात्रा करती हुई प्रयाग में गंगा यमुना का संगम होता है. काशी में भी गंगा कि बड़ी महिमा गायी जाती है, कई संतों ने गंगा के तट पर तपस्या की, जिस शहर से भी गंगा बहती गयी वे पवित्र तीर्थ बन गए. इस नदी के कारण लोगों को रोजगार मिला. पहाड़ों की उपजाऊ मिटटी को अपने साथ बहा ले जाती है और मैदानों को उपजाऊ और हरी भरी बनती है. जब नदी पश्चिम बंगाल पहुँचती है, चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली (नादिया) एक तीर्थस्थल है, यहाँ से गंगा का नाम हुगली पड़ जाता है.
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