हरियाणा में सूखा

हरियाणा. मॉनसून में देरी और औसत से कम बारिश ने हरियाणा के किसानों को सूखे के देहरी पर खड़ा कर दिया है। हरियाणा के कृषि निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार अगर इस साल अप्रैल से 5 अगस्त के बीच पिछले साल के मुकाबले 49.1 फीसदी कम बारिश हुई है। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार सिरसा, भिवानी, हिसार, फतेहाबाद और रोहतक, पानीपत, जींद और पंचकूला में काफी कम बारिश होने के कारण सूखे के आसार हैं।इस कारण कपास के अलावा बाकी सभी खरीफ फसलों की बुआई भी काफी कम हो रही है। किसानों के अनुसार इस साल फसल में 25 फीसदी की कमी आयी है।

सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि हरियाणा खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ केंद्रीय पूल में भी योगदान देता है। राज्य में कम बारिश होने से सिर्फ 26.33 लाख हेक्टेयर में ही बिजाई हुई है, जबकि लक्ष्य 30.15 लाख हेक्टेयर का था।

मानसून की स्थिति को देखते हुए लक्षित क्षेत्र में बुआई संभव नहीं है। जहां बिजाई नहीं हो पाई, वहां किसानों को तोरिया की काश्त को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए तोरिया के 5000 क्विंटल बीज किसानों को मुफ्त उपलब्ध करवाने की मांग की रखी है।

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में राज्य में सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग करते हुए कहा है कि धान की रोपाई और दूसरी फसलों की बुआई तथा उन्हें सुखने से बचाने के लिए राज्य के बिजली निगमों द्वारा विभिन्न संसाधनों से महंगी बिजली खरीदकर कृषि क्षेत्र को आठ घंटे नियमित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की है।

खरीफ मौसम के दौरान 1977.15 करोड़ रुपए में 4638 मेगावाट बिजली की खरीद के अनुबंध किए गए हैं और अतिरिक्त बिजली खरीदने पर 1007.5 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यदि सरकार यह प्रयास नहीं करती तो काफी क्षेत्र में या तो बिजाई ही नहीं हो पाती या फिर फसल सूख जाती। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि बिजली निगमों की क्षतिपूर्ति के लिए राज्य सरकार को 1000 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाए।
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