नदी अगर थी
तो कहाँ थी?
कब थी?
पेड़ों को कैंया लिए भागती नदी
मन ही मन आवाज दी
नदी को
कि होगी तो बोलेगी
हथेली से मूँद दिया
सारे शब्दों को
कि निस्तब्धता में सुनाई दे
नदी के होने का शब्द।
तो कहाँ थी?
कब थी?
पेड़ों को कैंया लिए भागती नदी
मन ही मन आवाज दी
नदी को
कि होगी तो बोलेगी
हथेली से मूँद दिया
सारे शब्दों को
कि निस्तब्धता में सुनाई दे
नदी के होने का शब्द।
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