‘‘कहते हैं जल ही जीवन है’’ इस बात को बकहा गांव के लोगों से अच्छी तरह कौन जानता होगा? ननगा पंचायत में बकहा गांव समेत कुल सात गांव हैं। बाकी गाँवों में भी पानी की समस्या के अलावा और भी दूसरी बुनियादी सुविधाओं की हालत खस्ताहाल ही है। बकहा गांव में साफ पानी की समस्या एक लंबे अर्से से बनी हुई है ऐसे में इसका कोई समाधान न होना सरहदी इलाकों में राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार की ओर से उठाए जा रहे विकास के कदमों की भी कलई खोलता है। संसार में रहने वाले हर एक मनुष्य की सबसे पहली ख़्वाहिश यही होती है कि उसे पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी और प्यास बुझाने के लिए साफ़ पानी आसानी से मिल जाए। बाकी जिंदगी के एशो आराम की दूसरी चीज़े वह दूसरे दर्जे की श्रेणी मे रखता है। भारत देश में भी बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां का पानी इस्तेमाल करने लायक ही नहीं है। ऐसे क्षेत्रों का पानी या तो खारा है या फिर बदबूदार है। इन क्षेत्रों में रहने वालों के लिए जिंदगी किसी अज़ाब से कम नहीं है। जम्मू-कश्मीर के सरहदी जिले सांबा के ननगा पंचायत के बकहा चाक गांव के लोग भी कुछ इसी तरह की समस्या से दो चार है। बकहा गांव के सभी घरों में हैंडपंप से पीला पानी निकलता है। इस सच्चाई को जानते हुए भी यहां के लोग खाने, पीने और नहाने में इसी पानी इस्तेमाल करते हैं। समस्या के बारे में ननगा पंचायत के नायब सरपंच जनक राज कहते हैं ‘‘नई-नई योजनाएं लागू की जा रही हैं, मगर सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार के चलते इन स्कीमों का फायदा लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है।’’ लिहाज़ा साफ है की भ्रष्टाचार का ख़ामियाज़ा सीधे तौर पर लोगों को उठाना पड़ रहा है। पीले पानी की वजह से गांव के लोगों के दांत पीले पड़ गए हैं। जिसकी वजह से यहां के ज़्यादातर लोग दंत संबंधी समस्याओं के शिकार हैं।
गांव के सरपंच जनक राज की पत्नी प्रीतो देवी का कहना है ‘‘हमें न चाहते हुए भी पीले पानी का ही इस्तेमाल करना पड़ता है क्योंकि गांव के दूसरे हैंडपंपों की तरह हमारे हैंडपंप से भी पीला पानी ही निकलता है।’’ इस गांव के लोगों के ज़रिए अक्सर यह बात सुनी जा सकती है कि हम तो पीला पानी पीते हैं। इस बारे में बकहा गांव के आंगनबाड़ी सेंटर की इंचार्ज उर्मिला देवी का कहना है ‘‘मैंने हाल ही अल्ट्रासाउंड कराया था, इसके बाद डाक्टर ने बताया कि पीला अशुद्धियुक्त पानी पीने से आपके यकृत में सुजन आ गई है।’’ पानी में अशुद्धियां साफ नज़र आती हैं बावजूद लोग इस पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा पीला अशुद्धियुक्त पानी पीने से लोगों को सेहत संबंधी नई-नई बीमारियाँ भी हो रही हैं। गांव में लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अधिकारियों ने एक बार ज़रूर गांव का दौरा किया था और पानी को साफ सुथरा करने के तौर तरीकों के बारे में बताया था। लेकिन इसके बाद लोगों को न तो पानी को साफ करने के लिए टैस्टिंग किट दी गई और न ही क्लोरीन टैबलेट। लिहाज़ा इसका नतीजा यह हुआ कि चंद महीने पहले राज्य सरकार की ओर लोगों को पानी को साफ सुथरा करने की ट्रेनिंग देने के लिए एक जागरूकता कैंप लगाया गया था जिसमें बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया।
यहां के लोगों को इस बात का डर हमेशा सताए रहता है कि सरहदी इलाका होने की वजह से कब उनके घर बार छिन जाएंगे और वे बेघर हो जाएंगे। इस बारे मे गांव के स्थानीय निवासी तोशी देवी का कहना है ‘‘मुझे रात को डरावने सपने आते हैं कि हमारा घर छिन गया है और हम बेघर हो गए हैं।’’ ऐसे में छत पर साए को बचाने के चक्कर में ये लोग पीले पानी के सेवन को मजबूर हैं। कोई इनकी सुनने वाला नहीं हैं सिर्फ एक दूसरे के साथ अपने दर्द को बांटकर ये लोग जिंदगी के सफर में आगे बढ़ रहे हैं। इसी गांव के रहने वाले रवि जो पेशे से एक बढ़ई हैं कहते हैं ‘‘हम लोग सरहदी इलाके में रहते हैं जहां बुनियादी सुविधाओं की पहले से ही बड़ी किल्लत है तो ऐसे में हम मुश्किल से ही कभी अशुद्धियुक्त पानी से होने वाली बीमारी के बारे में सोचते हैं।’’ गांव की स्थानीय निवासी रजनी देवी बताती हैं कि मैं अपने बच्चों को पानी साफ करके पिलाती हूं क्योंकि मुझे उनके स्वास्थ्य की फिक्र है। गांव में रजनी देवी जैसे लोगों की तादाद लगभग न के बराबर है जिन्हें अपनी और अपने परिवार की सेहत की चिंता है। रजनी देवी का यह भी कहना है कि मुझे उस वक्त बहुत आश्चर्य होता है जब कोई पीले पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए चर्चा करता है। इस समस्या से जूझते हुए यहां के लोगों को काफी लंबा समय हो गया है, मगर अभी तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं हो सका है।
‘‘कहते हैं जल ही जीवन है’’ इस बात को बकहा गांव के लोगों से अच्छी तरह कौन जानता होगा? ननगा पंचायत में बकहा गांव समेत कुल सात गांव हैं। बाकी गाँवों में भी पानी की समस्या के अलावा और भी दूसरी बुनियादी सुविधाओं की हालत खस्ताहाल ही है। बकहा गांव में साफ पानी की समस्या एक लंबे अर्से से बनी हुई है ऐसे में इसका कोई समाधान न होना सरहदी इलाकों में राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार की ओर से उठाए जा रहे विकास के कदमों की भी कलई खोलता है। सरहदी इलाकों में रह रहे लोगों का क्या सिर्फ यही कसूर है कि वे सरहदी इलाकों में रहते हैं? बकहा गांव में पीले पानी की समस्या का क्या कभी कोई हल निकल पाएगा? क्या बकहा गांव के लोग कभी साफ पानी पी पाएंगे? इन सवालों का जवाब जल्द ही राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार को ढूँढना होगा। क्योंकि लोकतंत्र सभी के विकास की बात करता है। खासतौर से दूरदराज़ के इलाकों के लोगों को विकास से दूर रखकर हम शाइनिंग इंडिया का सपना नहीं देख सकते क्योंकि हमारे देश की 70 फीसदी आबादी गाँवों में ही निवास करती है। लिहाज़ा इसके लिए देश में विकास के समावेशी माडल को अपनाने की सख्त ज़रूरत है।
![पीला पानी पीने को मजबूर बकहा गांव के लोग](http://farm3.staticflickr.com/2827/11128286956_1ff9ae36fe_o.jpg)
गांव के सरपंच जनक राज की पत्नी प्रीतो देवी का कहना है ‘‘हमें न चाहते हुए भी पीले पानी का ही इस्तेमाल करना पड़ता है क्योंकि गांव के दूसरे हैंडपंपों की तरह हमारे हैंडपंप से भी पीला पानी ही निकलता है।’’ इस गांव के लोगों के ज़रिए अक्सर यह बात सुनी जा सकती है कि हम तो पीला पानी पीते हैं। इस बारे में बकहा गांव के आंगनबाड़ी सेंटर की इंचार्ज उर्मिला देवी का कहना है ‘‘मैंने हाल ही अल्ट्रासाउंड कराया था, इसके बाद डाक्टर ने बताया कि पीला अशुद्धियुक्त पानी पीने से आपके यकृत में सुजन आ गई है।’’ पानी में अशुद्धियां साफ नज़र आती हैं बावजूद लोग इस पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा पीला अशुद्धियुक्त पानी पीने से लोगों को सेहत संबंधी नई-नई बीमारियाँ भी हो रही हैं। गांव में लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अधिकारियों ने एक बार ज़रूर गांव का दौरा किया था और पानी को साफ सुथरा करने के तौर तरीकों के बारे में बताया था। लेकिन इसके बाद लोगों को न तो पानी को साफ करने के लिए टैस्टिंग किट दी गई और न ही क्लोरीन टैबलेट। लिहाज़ा इसका नतीजा यह हुआ कि चंद महीने पहले राज्य सरकार की ओर लोगों को पानी को साफ सुथरा करने की ट्रेनिंग देने के लिए एक जागरूकता कैंप लगाया गया था जिसमें बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया।
![पीला पानी पीने को मजबूर बकहा गांव के लोग](http://farm4.staticflickr.com/3787/11128434923_5e033ae7e8_o.jpg)
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