इस साल सर्दियां जाते-जाते खूब बारिश हुई जिससे ऐसा लग रहा था आने वाली गर्मियां हमें अधिक नहीं सताएगी। हाँ इतना एहसास हो गया था कि मई के कुछ दिन हम गर्मी से परेशान तो रहेंगे पर घोर गर्मी का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन हमारा ये सारा अनुमान हीट वेव ने गलत साबित कर दिया है । हीट वेव ने अपने शुरआती दौर में कई राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया है। सबसे ज़्यादा प्रभावित महाराष्ट्र हुआ है जहाँ राजधानी मुंबई में इससे अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। वही दिल्ली में भी तापमान 40 डिग्री से ऊपर होने के बाद मौसम विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। स्काईमेट वेदर रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान का बूंदी 45.2 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ देश का सबसे गर्म स्थान रहा। इसी तरह उत्तर प्रदेश का प्रयागराज और हमीरपुर में भी 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक तापमान पहुंच चुका है। बढ़ते तापमान के बाद भारत के चार राज्यों- सिक्किम, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में हीट वेव की की आशंका जताई है साथ ही हरियाणा और पंजाब में ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया गया है।
क्या है हीटवेव
लम्बे समय तक अत्यधिक गर्म मौसम बरकरार रहने से हीटवेव बनता है। हीटवेव असल में एक स्थान के वास्तविक तापमान और उसके सामान्य तापमान के बीच के अन्तर से बनता है। आईएमडी के मुताबिक, यदि एक स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है तो हीटवेव चलती है। यदि वृद्धि 6.4 डिग्री से अधिक है और वास्तविक तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाए, तो इसे एक गम्भीर हीटवेव कहा जाता है। तटीय क्षेत्रों में, जब अधिकतम तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाए या तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाए तो हीटवेव चलता है।
हीटवेव के क्या कारण हैं?
हीटवेव को मोटे तौर पर एक जलवायु सम्बन्धी घटना के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसमें आस-पास के पर्यावरणीय कारक भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उच्च वायुमण्डलीय दबाव प्रणाली वायुमण्डल के ऊपरी स्तर पर रहने वाली हवा को नीचे लाकर घुमाती है। इससे हवा में संकुचन के कारण तापमान बढ़ता है और हवा वहाँ से निकल नहीं पाती। इससे हीटवेव कई दिनों तक टिका रहता है।
हीटवेव से कैसे बचे
- रेडियो सुनो,टीवी देखें, स्थानीय मौसम समाचार के लिए समाचार पत्र पढ़ें या मौसम की जानकारी संबंधी मोबाइल एप डाउनलोड करें।
- प्यास न लगने पर भी पर्याप्त पानी पिएं ।
- जो लोग मिर्गी, दिल, किडनी लिवर की बीमारी से ग्रस्त है वे डॉक्टर से परामश लेकर ही लिक्विड ले ।
- अपने आपको को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), घर के बने पेय जैसे लस्सी, निम्बू पानी ,छाछ, नारियल पानी आदि का प्रयोग करे
- दिन में बाहर जाने से पहले अपना सिर ढक लें,कपड़े, टोपी या छाते का प्रयोग करें । आंखों के लिए धूप के चश्मे का प्रयोग करें और आपकी त्वचा की रक्षा के लिए सनस्क्रीन जरूर लगाएं।\
- हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें।
- प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षित हों।
- अधिक गर्मी की चपेट में आने वाले बुजुर्गों, बच्चों, बीमार या अधिक वजन वाले लोगों का विशेष ध्यान रखें
- धूप में जाने से बचें, विशेष रूप से दोपहर 12.00 बजे से 3.00 बजे के बीच।
- जब दोपहर में बाहर हों तो अधिक गतिविधियों से बचें।
- नंगे पैर बाहर न निकलें।
- पीक आवर्स के दौरान खाना पकाने से बचें। खाना बना भी रहे हो तो वेंटिलेशन के लिए दरवाजे और खिड़कियां खोलें
- निर्जलीकरण करने वाले तत्त्व श राब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय से बचें
- उच्च प्रोटीन, नमकीन, मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें। बासी खाना ना खाएं।
- बच्चों या पालतू जानवरों को खड़ी गाड़ियों में अकेला न छोड़ें।
- गरमागरम प्रकाश बल्बों का उपयोग करने से बचें जो अनावश्यक गर्मी उत्पन्न कर सकते हैं
कर्मचारी और श्रमिक के लिए सावधानियां
- कार्यस्थल पर पीने का ठंडा पानी उपलब्ध कराएं।
- कर्मचारी और श्रमिक सीधी धूप से बचे ।
- कठिन कामों को दिन के ठंडे समय में शेड्यूल करें।
- उच्च ताप वाले क्षेत्र में नए कर्मचारियों को हल्का काम और कम घंटे दें।
- गर्भवती महिलाओं और बीमार कर्मचारियों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए हीट वेव अलर्ट के बारे में कर्मचारियों को सूचित करें।
अन्य सावधानियां
- जितना हो सके घर के अंदर रहें।
- नमक और जीरे के साथ प्याज का सलाद और कच्चे आम जैसे पारंपरिक उपचार हीट स्ट्रोक से बचा जा सकता है।
- पंखे, गीले कपड़ों का प्रयोग करें और बार-बार ठंडे पानी से स्नान करें।
- आपके घर या घर पर आने वाले वेंडरों और डिलीवरी करने वालों को पानी दें ।
- सार्वजनिक परिवहन और कार-पूलिंग का उपयोग करें।
- सूखे पत्ते, कृषि अवशेष और कचरा न जलाएं।
- जल निकायों का संरक्षण करें। वर्षा जल संचयन का अभ्यास करें।
- ऊर्जा कुशल उपकरणों, स्वच्छ ईंधन और वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग करें।
- अगर आपको चक्कर या बीमारी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें या किसी को ले जाने के लिए कहें और आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं ।
- एसी का तापमान 24 डिग्री या अधिक पर बनाए रखें। इससे आपका बिजली का बिल कम तो आएगा साथ ही आपका भी स्वास्थ्य बेहतर रहेगा ।
नया घर बनवाते समय सावधानियां
- नियमित दीवारों के बजाय कैविटी वॉल तकनीक का उपयोग करें।
- मोटी दीवारों का निर्माण करें। ये इंटीरियर को ठंडा रखते हैं।
- जालीदार दीवारों और लोबदार द्वारों का निर्माण करें। ये अधिकतम हवा प्रवाह को बनाए रखते है और गर्म हवा को ब्लॉक करके रखते है
- दीवारों को कोट करने के लिए चूने या मिट्टी जैसी प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें।
- यदि संभव हो तो शीशे से बचें।
- निर्माण से पहले किसी बिल्डिंग टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ से सलाह लें।
लू से प्रभावित व्यक्ति का उपचार
- पीड़ित व्यक्ति के सिर पर गीले कपड़े का प्रयोग करें/पानी डालें।
- व्यक्ति को ओआरएस पिलाएं या नींबू का शरबत/तोरानी या जो कुछ भी हो, ये शरीर को रिहाइड्रेट करने में उपयोगी होते है ।
- व्यक्ति को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।
- यदि लगातार शरीर का तापमान बढ़ रहा , सिरदर्द, चक्कर, कमजोरी,उल्टी का का अनुभव हो रहा हो,तो तुरंत एबुंलेंस को बुलाये
कृषि में क्या सावधानियां रखे
- खड़ी फसलों में हल्की और बार-बार सिंचाई करें।
- बढ़ती फसलों में सिंचाई को बढ़ाएँ।
- मिट्टी की नमी का संरक्षण करें।
- केवल शाम या सुबह के समय सिंचाई करें।
- फव्वारा (SPRINKLE) सिंचाई का प्रयोग करें।
- यदि आपका क्षेत्र लू की चपेट में है - तो शेल्टर बेल्ट और विंड ब्रेक को अपनाएं (खेतों की फसलों/पशुओं को ठंड/गर्म हवा से बचाने, मिट्टी के कटाव को रोकने और ) वाष्पीकरण को कम करने के लिए उपयोग में लाया जाता है )
पशुओं के लिए सावधानियां
- पशुओं को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर स्वच्छ और ठंडा पानी दें।
- सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच उनसे काम न कराएं.
- शेड की छत को पुआल से ढक दें, उस पर सफेद रंग कराएं या गोबर-मिट्टी से प्लास्टर करें तापमान कम करें।
- शेड में पंखे, वाटर स्प्रे और फॉगर्स का प्रयोग करें।
- अत्यधिक गर्मी के दौरान, पानी का छिड़काव करें और मवेशियों को ठंडा करने के लिए जलाशय में ले जाएं।
- उन्हें हरी घास, प्रोटीन-वसा बाईपास पूरक, खनिज मिश्रण और नमक दें। उन्हें ठंडे में घंटों के दौरान चरने दें।
- पोल्ट्री हाउस में पर्दे और उचित वेंटिलेशन प्रदान करें।
ये ना करे
- दोपहर के समय मवेशियों को चराने/खाने से बचें।
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