(घट-ध्वनि में गूँजती है
श्रवण कुमार की करुन-कथा)
घट-ध्वनि
कि सीने पर श्रवण कुमार
खाता है शब्दभेदी वाण
माँ-पिता की प्यास
श्रवण के घायल कलेजे में
टीसती है
पानी न दे पाने का
उसका अफ़सोस
मृत्यु के मुँह तक जाता है!
वाण से श्रवण कुमार मरता है
श्राप से राजा दशरथ
तड़पती कथा
बहती है
इस जुबान से उस जुबान
बसदेवा (वसुदेवा) की सारंगी
बहाती है करुणा का भीजा स्वर
आँख पूर आती है
क़तरा-क़तरा हिल उठती है
आत्मा!
श्रवण कुमार की करुन-कथा)
घट-ध्वनि
कि सीने पर श्रवण कुमार
खाता है शब्दभेदी वाण
माँ-पिता की प्यास
श्रवण के घायल कलेजे में
टीसती है
पानी न दे पाने का
उसका अफ़सोस
मृत्यु के मुँह तक जाता है!
वाण से श्रवण कुमार मरता है
श्राप से राजा दशरथ
तड़पती कथा
बहती है
इस जुबान से उस जुबान
बसदेवा (वसुदेवा) की सारंगी
बहाती है करुणा का भीजा स्वर
आँख पूर आती है
क़तरा-क़तरा हिल उठती है
आत्मा!
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