घर में शौचालय घोटाले ने उड़ाई मुख्यमंत्री की नींद

संपूर्ण स्वच्छता अभियान से जुडे रहे पुराने अफ़सर और एन.जी.ओ.पदाधिकारियो का कहना है कि योजना से जुडे रहे अफसरों ने बड़े ही हल्के में लिया है। कागज़ों में तो योजना पूरी तरह से पूरी कर ली गई लेकिन अब जब जांच की आंच पड़ी है तो सभी एक दूसरे का मुंह ताकते हुए देख रहे हैं असल में सब के सब खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बड़ी ही होशियारी से शौचालय निर्माण का पैसा अफ़सर डकार गए। अफसरों ने ऐसे होशियारी दिखाई लेकिन अब उनकी होशियारी खुलकर सामने आ गई है। पहले संपूर्ण स्वच्छता अभियान आज निर्मल भारत अभियान एक ऐसी योजना है जिसमें शौचालयों का निर्माण कराया जाता है। इस योजना में सरकारी स्तर की मदद तो होती है लाभार्थी को भी अपने स्तर से भी धन लगाना होता है। अब इस योजना में घोटाला सामने आया है जिससे अफसरों के हाथ पांव फूल गए हैं। खास कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले में इस योजना में घोटाला सामने आने के बाद अफ़सर अपनी अपनी गर्दन को बचाने की कोशिश में लग गए हैं। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर कराई गई पूरी पड़ताल के दौरान एक अनुमान के दौरान करीब 70 लाख का घोटाला सामने आ गया है। इटावा जिले का पंचायतराज विभाग करीब 10 हजार शौचालयों को तमाम गाँवों में पिछले चार माह से ढूंढ रहा है। परंतु यह शौचालय धरातल पर कहीं भी नहीं हैं। हालत यह है कि शौचालयों की भौतिक स्थिति उपलब्ध न होने के कारण अपर जिला पंचायतराज अधिकारियों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। हकीक़त में शौचालय योजना में विभागीय स्तर पर घोटाला कर लिया गया है जिस कारण शौचालयों को धरातल पर उनको खोज पाना संभव नही हो रहा है। उत्तर प्रदेश के निदेशक पंचायतराज ने अप्रैल माह में संपूर्ण स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के तहत वर्ष 1999 से वर्ष 2005 तक इटावा जिले में बनाए गए शौचालयों की सत्यापन रिपोर्ट मांगी थी। इस पर जिलाधिकारी पी गुरुप्रसाद ने जिला पंचायतराज अधिकारी एस.एन. सिंह को पूरे मामले पर जांच कराए जाने के आदेश दिए थे। इटावा के 8 विकास खंडों के एडीओ से इस मामले में सत्यापन रिपोर्ट मांगी गई थी।

इटावा के जिला पंचायत राज अधिकारी एस.एन. सिंह द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट में 9486 शौचालय धरातल पर नहीं पाए गए हैं। इनमें जसवंतनगर ब्लाक में 1451, सैफई में 261, ताखा में 2347, भरथना में 534, महेवा में 4083, चकरनगर में 0, बढ़पुरा में 810 व बसरेहर में 0 शौचालय नहीं मिले हैं। इस मामले में इन वर्षों में कुल 27755 शौचालय अवशेष पाए गए थे जिनमें 15904 शौचालय का धन खाते में जमा था। जबकि 1866 शौचालयों का धन खाते में पहुंचा ही नहीं। 499 ने धन को वापस कर दिया। इस प्रकार 9486 शौचालय गायब पाए गए हैं।

संपूर्ण स्वच्छता अभियान से जुडे रहे पुराने अफ़सर और एन.जी.ओ.पदाधिकारियो का कहना है कि योजना से जुडे रहे अफसरों ने बड़े ही हल्के में लिया है। कागज़ों में तो योजना पूरी तरह से पूरी कर ली गई लेकिन अब जब जांच की आंच पड़ी है तो सभी एक दूसरे का मुंह ताकते हुए देख रहे हैं असल में सब के सब खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बड़ी ही होशियारी से शौचालय निर्माण का पैसा अफ़सर डकार गए। अफसरों ने ऐसे होशियारी दिखाई लेकिन अब उनकी होशियारी खुलकर सामने आ गई है। संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत पंचायत राज विभाग द्वारा शौचालय बनवाए जाने के लिए उस समय 500 रुपए प्रति शौचालय दिया जाता था जिसे सचिव व प्रधान मिलकर बनवाते थे। वर्ष 2006-07 में इस धनराशि को बढ़ाकर 1500 रुपए कर दिया गया। इनमें गांव में पंचायत सचिव व प्रधान मिलकर लाभार्थी का चयन करते थे उसके बाद शौचालय बनाया जाता था। कहा जा रहा है कि कई स्तर पर इस योजना में घोटाला किया गया लेकिन अब सब के सब पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं।

इटावा में शौचालय घोटालावर्ष 1999 से लेकर 2005 तक पंचायतों में बनाए गए शौचालयों को लेकर तमाम सवाल उठाए गए । 500 रुपए प्रति शौचालय बनाए जाने को लेकर सचिवों व प्रधानों ने सवाल खड़े किए थे। इन शौचालयों में मिलने वाली धनराशि में केवल एक गड्ढे का निर्माण किया जा सकता था। इसमें ईट, बालू, सीमेंट खरीदा जाना संभव नहीं था। जिसको लेकर तमाम पंचायत सचिवों ने इस धन को वापस कर दिया था। हालांकि शासन ने इस समय शौचालयों के निर्माण की कीमत 10 हजार रुपए तय कर दी है जिसमें 9100 रुपए सरकार व 900 रुपए चयनित लाभार्थी देगा। 9100 रुपए में 4600 रुपए निर्मल भारत अभियान से व 4500 रुपए मनरेगा से मिलेंगे जिसको गांव में लाभार्थी सूची तैयार कर आईडी जनरेट कर एमआईएस करके कम्प्यूटर पर फोटो सहित डाला जाएगा तभी शौचालय का निर्माण पूरा होगा। इसी योजना में चकरनगर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत पसिया, टिटावली एवं कोला में निर्मल भारत अभियान के तहत पंचायत सचिव ने 759754 रुपया शौचालयों के निर्माण के लिए आया हुआ बिना काम के निकाल लिया। मामले की जिलाधिकारी पी गुरु प्रसाद ने जांच कराई तो मामला सत्य पाया गया। पूरे मामले पर जिलाधिकारी ने सचिव के खिलाफ एफआईआर के आदेश किए हैं।

चकरनगर तहसील के पसिया में 33 शौचालयों के लिए 189092, टिटावली में 83 शौचालयों के लिए 784723, कोला में 20 शौचालयों के लिए 331965 रुपये ग्राम पंचायत के खाते में भेजे गए थे। इनमें से ग्राम पंचायत सचिव पूरन सिंह ने पसिया में 186344, टिटावली में 460139, कोला में 331965 रुपया बिना काम कराए निकाल लिया। मामले की जानकारी होने पर निरीक्षण करने पहुंचे जिला पंचायतराज अधिकारी एसएन सिंह व निर्मल भारत अभियान के जिला परियोजना समन्वयक जितेंद्र सिंह सहायक विकास अधिकारी अवधेश कुमार दुबे ने मौके पर एक भी शौचालय निर्मित नहीं पाया। टिटावली में 13 शौचालय अर्द्ध निर्मित अधोमानक के हिसाब से पाए गए जबकि कोला में दो शौचालय अर्द्धनिर्मित अधोमानक के हिसाब से पाए गए। ग्राम पंचायत सचिव पूरन सिंह ने इन तीनों ग्रामों की शौचालय की धनराशि का आहरण स्टेट बैंक चकरनगर की शाखा से कर लिया। नियम के अनुसार शौचालय के निर्माण में लाभार्थी अंश जमा करने के उपरांत भी धनराशि आहरित की जानी चाहिए थी। इस अभियान में मनरेगा अंश की धनराशि 4500 रुपए के साथ युग पतिकर शौचालय निर्माण कराया जाना चाहिए था। जहां प्रत्येक शौचालय की आईडी एवं खर्च का विवरण पृथक-पृथक भरा जाना चाहिए। वित्तीय नियमों के अंतर्गत एक लाख से अधिक की धनराशि की सामग्री क्रय करने पर टेंडर होने चाहिए थे। जिसमें न्यूनतम दरों के आधार पर सामग्री की आपूर्ति होने के उपरांत भुगतान होना चाहिए। धनराशि का जो भुगतान किया गया वह अग्रिम में किया गया था। सामग्री मौके पर उपलब्ध नहीं मिली। ग्राम पंचायत कोला में जनपद जालौन के दो मिस्त्री चार लेवर ठेके के रूप में काम कर रहे थे। डीपीआरओ ने जो रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी है उसमें बताया कि ग्राम पंचायत टिटावली शासन की प्राथमिकता प्राप्त डा. राम मनोहर लोहिया ग्राम है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के घर इटावा में हुए शौचालय घोटाले की गूंज इस समय अफसरों के होश उड़ाए हुए हैं आए दिन इस योजना से जुड़े हुए अफसरों ने रिपोर्ट मांगी जा रही है लेकिन अफ़सर रिपोर्ट देने के बजाए ऐसा खाका खींच रहे हैं कि मानो कुछ हुआ ही नहीं है। संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय बनवाने के नाम पर इटावा जिले की 47 ग्राम पंचायतों में 65.79 लाख रुपये ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी हड़प गए। वर्ष 2004 से लेकर 2011 के बीच हुए इस खेल का खुलासा होने के बाद जिला प्रशासन अब वसूलने की कवायद में जुट गया है। आरोपी ग्राम प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ ही ग्राम पंचायत अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

इटावा में शौचालय घोटालाकेंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में संपूर्ण स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी। इसके पीछे मंतव्य खुले में शौच पूरी तरह रोका जाना है। केंद्र सरकार ग्रामीण परिवारों को शौचालय बनाने के लिए सब्सिडी और धनराशि जारी करती रही। वर्ष 2004 में 1500 रुपये से बढ़कर 2011 तक यह धनराशि प्रत्येक शौचालय के लिए 4500 हो गई। निर्माण का जिम्मा ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत अधिकारियों को दिया गया। प्रधानों ने कागज़ों पर शौचालय निर्माण दिखाकर यह सरकारी धनराशि हड़प ली।

सैफई ब्लॉक के तीन गावों में ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी ने इस मद में 4, 45,100 रुपए इधर से उधर कर दिए। शौचालय निर्माण के नाम पर सबसे बड़ा खेल महेवा ब्लॉक में हुआ। नौ ग्राम पंचायतों में शौचालय निर्माण के नाम पर 16, 55, 200 रुपए का घालमेल किया गया। जसवंतनगर में 14 ग्राम प्रधानों और वीडीओ ने मिलकर 15, 43, 500 रुपए की बंदरबांट कर ली। धांधली की शिकायतों पर डीएम पी गुरुप्रसाद ने जिला पंचायत राज अधिकारी को स्थलीय जांच के निर्देश दिए थे। सभी ब्लॉकों के एडीपीआरओ ने अपने क्षेत्र में निरीक्षण किया और 65, 79, 100 रुपए के दुरुपयोग का मामला सामने आया। डीएम पी. गुरुप्रसाद ने संबंधित ग्राम प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ग्राम पंचायत अधिकारियों से भी स्पष्टीकरण तलब किया गया है। डीएम पी.गुरूप्रसाद ने जिला पंचायत राज अधिकारी को गबन राशि वसूलने के निर्देश दिए हैं।

इटावा जिले के भरथना विकास खंड के मुगलपुर नरैनी गांव की प्रधान श्रीमती राममूर्ति देवी की अगुवाई में साल 2010-11 के कार्यकाल के दौरान 41,800,सरांय चौरी गांव में प्रधान श्रीमती रामदेवी के कार्यकाल 2006-07 में 75,000,बैसौली सादिकपुर गांव में प्रधान हरगोविंद सिंह की अगुवाई में साल 2006-7 में 16,500,बैसौली सादिकपुर गांव में प्रधान हरगोविंद सिंह की देखरेख में साल 2010-11 में 55,000,बैसौली सादिकपुर गांव में प्रधान कृपाशंकर की देखरेख में साल 2010-11 में 74,800,कुशगवांबादशाह गांव में प्रधान सुमित नारायण की अगुवाई में साल 2006-7 में 1,72,500, कर्वाफूलपुर गांव में प्रधान श्रीमती मीना देवी की अगुवाई में साल 2006-7 में 1,12,500,कुअंरा सूजीपुर गांव में प्रधान राघवेंद्र कुमार की अगुवाई में 2004-5 में1,20,000, कुअंरा सूजीपुर में प्रधान श्रीमती मायादेवी की अगुवाई में साल 2010-12 में 68,000 का घोटाला किया गया। इसी तरह से बढ़पुरा ब्लाक के सकरौली गांव में प्रधान श्याम सिंह यादव की देखरेख में साल 2004-5 में 81,000, सकरौली गांव में ही प्रधान श्याम सिंह यादव की देखरेख में साल 2008-09 में 3,17,800, झबरापुरा गांव में प्रधान श्रीमती बृम्हादेवी की अगुवाई में साल 2005-6 में 51,000, झबरापुरा में प्रधान श्रीमती बृम्हादेवी की अगुवाई में साल 2009-10 में 15,000,केशोपुर जादौपुर गांव में प्रधान करन सिंह की अगुवाई में साल 2004-5 में 1,00,500, केशोपुर जादौपुर गांव में प्रधान राधाकृष्ण की अगुवाई में साल 2009-10 में 50,600,बसवारा गांव में प्रधान चरनसिंह की अगुवाई में साल 2007-8 में 12000, बुलाकीपुर लुहन्ना गांव में प्रधान की अगुवाई बालकराम 2004-5 में 30,000, बुलाकीपुर लुहन्ना गांव में प्रधान श्रीमती नारायण देवी की अगुवाई में साल 2005-6 में 30,000 का घोटाला किया गया।

इटावा में शौचालय घोटालामुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांव सैफई विकास खंड के अण्डावली गांव में प्रधान हाकिम सिंह की अगुवाई में साल 2004-05 में 67,500,हजरतपुर गांव में प्रधान रामशंकर की अगुवाई में साल 2004-05 में 60,000, भीखनपुर गांव में प्रधान नत्थू सिंह की अगुवाई में साल 2004-05 में 1,29,000,जसोहन गांव में प्रधान श्रीमती शांति देवी की अगुवाई में साल 2006-7 में 60,000,जौनई गांव में प्रधान सर्वेश कुमार की अगुवाई में साल 2006-07 में 21,000, केलौखर गांव में प्रधान श्रीमती शशि कुमारी की अगुवाई में साल 2005-06 में 43,500,खेडा बुजुर्ग गांव में प्रधान श्रीमती ममता देवी की अगुवाई में 2006-07 में 1,12,500, कुरसैना गांव में प्रधान श्रीमती मिथलेश कुमारी की अगुवाई में साल 2006-07 में 67,500,महामई गांव में प्रधान राजेंद्र प्रसाद की देखरेख में साल 2009-10 में 87,000,नगला तौर में प्रधान वंशीधर की अगुवाई में साल 2006-7 में 3,18,000, परसौआ गांव में प्रधान अनीता देवी की अगुवाई में साल 2005-06 में 1,42,500, सिरहौल गांव में प्रधान रामबाबू की अगुवाई में साल 2005-06 में 1,86,000, तिजौरा गांव में प्रधान वारेलाल की अगुवाई में साल 2004-05 में 2,49,000 का घोटाला सामने आया है। इसी तरह से बसरेहर विकास खंड के गांव कुम्हावर में प्रधान श्रीमती मुन्नी देवी की अगुवाई में साल 2006-07 में 1,18,500, गांव सहसारपुर में प्रधान सर्वेश कुमार की अगुवाई में 2010-11 में 12,15,600, गांव जाफरपुर प्रधान भूपेंद्र सिंह की अगुवाई में 2004-05 में 1,11,000 का घोटाला किया गया है।

इसी बसरेहर विकास खंड के बरालोकपुर में करीब एक साल पहले रात में शौच के लिए निकली 16 महिलाओं की अनियंत्रित ट्रक से कुचल कर मौत हो गई थी। यदि शौचालय बने होते तो यह घटना शायद न होती। संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत बनाए गए शौचालयों की विस्तृत जांच कराए जाने की जरूरत है। योजना शुरू होने से अब तक जिला प्रशासन हजारों शौचालय बनाए जाने के दावे कर रहा है लेकिन गाँवों की हकीक़त कुछ और है। घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल होने से यह शौचालय इस्तेमाल नहीं किए जा रहे। कई गाँवों में तो इन शौचालयों में लोग भूसा और पशुओं का चारा रख रहे हैं।

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