भूखीमाता से नृसिंह घाट तक क्षिप्रा में बड़े पैमाने पर डाल दी मिट्टी कई जगह बन गए टापू, समय रहते नहीं हटाई तो सिंहस्थ में होंगे हादसे
उज्जैन। सिंहस्थ के लिए क्षिप्रा नदी पर करोड़ों रुपए की लागत से बनाए जा रहे घाटों से अब नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। घाटों से निकली मिट्टी को बाहर फेंकने की बजाय नदी में ही डाल दिया गया है। घाटों से निकली मिट्टी को बाहर फेंकने की बजाय नदी में ही डाल दिया गया है।
लिहाजा नदी किनारों पर जमा मिट्टी से नदी उथली हो गई और जगह-जगह टापू खड़े हो गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि ठेकेदारों ने मिट्टी को नदी में बहाने के इरादे से अब तक बाहर नहीं निकाला है। ऐसे में समय रहते नदी से मिट्टी के ढेर को नहीं हटाए गए तो सिंहस्थ के दौरान न केवल हादसे होंगे बल्कि गहराई कम होने से नदी में पानी का जमाव कम होगा।
क्षिप्रा नदी पर लालपुल से लेकर नृसिंह घाट तक करीब एक किमी लम्बे घाट बनाए जा रहे हैं। घाट बनाने के लिए यहाँ नदी किनारों को खोदा गया, लेकिन यहाँ से निकली मिट्टी को बाहर फेंकने की बजाय नदी में ही डाल दिया गया। इससे पूरी नदी में जगह-जगह मिट्टी के ढेर दिखाई दे रहे हैं। भूखीमाता मन्दिर के पास ही घाट से निकली मिट्टी से पूरी नदी उथली हो गई है।
दरअसल यहाँ घाट बनने के बाद ठेकेदार ने मिट्टी ही नहीं निकाली है। ऐसे ही नृसिंह घाट के पास नदी में करीब छह-सात फीट ऊँचे मिट्टी के टीले बने हुए हैं। इन्हें भी अब तक नहीं हटाया गया है। ऐसी ही स्थिति नृसिंह घाट पर और श्मशानघाट के पास बने पुल के यहाँ भी हैं। ब्रिज बनने के बाद दोनों ही स्थान पर बड़ी मात्रा में मिट्टी के ढेर पड़े हुए और गन्दगी फैली हुई है।
यही हालत त्रिवेणी, सिद्धवट और अन्य स्थानों पर बन रहे घाटों पर भी है, जबकि नियमानुसार ठेकेदार को घाट बनने के साथ ही नदी से मिट्टी निकालकर बाहर फेंकना है, लेकिन कहीं भी इन्हें नहीं निकाला जा रहा है। दरअसल मिट्टी नहीं निकालने के पीछे ठेकेदारों की रुपए की बचत करना है। अगले कुछ महीने में बारिश आ जाएगी ऐसे में मिट्टी बह जाएगी। इससे इन्हें निकालने में अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी, लेकिन ठेकेदारों की यह लापरवाही से बारिश के बाद भी नदी में दिक्कत पैदा होगी और मिट्टी से पूरी नदी उथली होगी।
पिछले साल चक्रतीर्थ घाट के सामने की तरफ घाट बनाए गए थे। यहाँ भी बड़ी मात्रा में नदी में डाली गई मिट्टी नहीं निकाली। इससे क्षेत्र में नदी उथली हो गई है। घाट किनारे ही मिट्टी के दलदल बने हुए हैं और गन्दगी पसरी हुई है। स्थानीय लोग बता रहे हैं कि घाट से निकली मिट्टी के कारण आगे बना स्टॉप डैम की गहराई भी कम हो गई है।
1. मिट्टी के अलग ढेर होने से नदी में गड्ढे हो जाएँगे। इससे नहान के दौरान घाट पर कम और ज्यादा पानी रहने से हादसे की आशंका रहेगी।
2. मिट्टी नहीं निकालने से किनारों पर कीचड़ जमा होगा। नहान के दौरान इसमें फँसने की सम्भावना रहेगी।
3. नदी उथली होने से पर्याप्त पानी जमा नहीं होगा। कम गहराई के कारण पानी में ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया कम होगी। वहीं जलीय जीव-जन्तु के लिए दिक्कत होगी।
4. मिट्टी नहीं निकाले जाने से बहकर आगे भी नदी की गहराई को कम करेगी।
5. मिट्टी के टीले बनने से पानी रुकेगा और इससे गन्दगी फैलेगी।
1. 17 घाट बनाए जा रहे
2. 25 करोड़ की लागत
3. 15 घाट मार्च 2015 तक पूरे होंगे
घाट निर्माण के चलते क्षिप्रा नदी में डाली जा रही मिट्टी को हटाने के लिए मुख्यमन्त्री शिवराजसिंह चौहान से भी शिकायत की गई थी। दरअसल सीएम सिंहस्थ कार्यों के निरीक्षण के दौरान भूखीमाता मन्दिर पहुँचे तो स्थानीय लोगों ने उन्हें इस समस्या की ओर ध्यान दिलाया था। उस समय अधिकारियों ने जल्द मिट्टी हटाने की बात कही थी। बावजूद इन्हें हटाने की अब तक कोई कवायद नहीं हुई।
क्षिप्रा नदी में डली मिट्टी को अफसर घाट बनने के बाद निकालने की बात कह रहे हैं, जबकि एक घाट बनने के बाद नदी में से मिट्टी निकालकर ऊपर तक ले जाना खासा मुश्किल भरा होगा। घाट बनने के बाद नदी किनारे न तो जेसीबी जा पाएगी और न ही डम्पर। ऐसे में नदी से मिट्टी निकालना सम्भव नहीं हो पाएगा।
नदी पर घाट निर्माण कार्य अभी जारी है। ठेकेदार को जल्द ही मिट्टी निकालने के लिए कहा जाएगा। मिट्टी के कारण कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।
एके गुप्ता, इई, जलसंसाधन विभाग
उज्जैन। सिंहस्थ के लिए क्षिप्रा नदी पर करोड़ों रुपए की लागत से बनाए जा रहे घाटों से अब नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। घाटों से निकली मिट्टी को बाहर फेंकने की बजाय नदी में ही डाल दिया गया है। घाटों से निकली मिट्टी को बाहर फेंकने की बजाय नदी में ही डाल दिया गया है।
लिहाजा नदी किनारों पर जमा मिट्टी से नदी उथली हो गई और जगह-जगह टापू खड़े हो गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि ठेकेदारों ने मिट्टी को नदी में बहाने के इरादे से अब तक बाहर नहीं निकाला है। ऐसे में समय रहते नदी से मिट्टी के ढेर को नहीं हटाए गए तो सिंहस्थ के दौरान न केवल हादसे होंगे बल्कि गहराई कम होने से नदी में पानी का जमाव कम होगा।
क्षिप्रा नदी पर लालपुल से लेकर नृसिंह घाट तक करीब एक किमी लम्बे घाट बनाए जा रहे हैं। घाट बनाने के लिए यहाँ नदी किनारों को खोदा गया, लेकिन यहाँ से निकली मिट्टी को बाहर फेंकने की बजाय नदी में ही डाल दिया गया। इससे पूरी नदी में जगह-जगह मिट्टी के ढेर दिखाई दे रहे हैं। भूखीमाता मन्दिर के पास ही घाट से निकली मिट्टी से पूरी नदी उथली हो गई है।
दरअसल यहाँ घाट बनने के बाद ठेकेदार ने मिट्टी ही नहीं निकाली है। ऐसे ही नृसिंह घाट के पास नदी में करीब छह-सात फीट ऊँचे मिट्टी के टीले बने हुए हैं। इन्हें भी अब तक नहीं हटाया गया है। ऐसी ही स्थिति नृसिंह घाट पर और श्मशानघाट के पास बने पुल के यहाँ भी हैं। ब्रिज बनने के बाद दोनों ही स्थान पर बड़ी मात्रा में मिट्टी के ढेर पड़े हुए और गन्दगी फैली हुई है।
यही हालत त्रिवेणी, सिद्धवट और अन्य स्थानों पर बन रहे घाटों पर भी है, जबकि नियमानुसार ठेकेदार को घाट बनने के साथ ही नदी से मिट्टी निकालकर बाहर फेंकना है, लेकिन कहीं भी इन्हें नहीं निकाला जा रहा है। दरअसल मिट्टी नहीं निकालने के पीछे ठेकेदारों की रुपए की बचत करना है। अगले कुछ महीने में बारिश आ जाएगी ऐसे में मिट्टी बह जाएगी। इससे इन्हें निकालने में अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी, लेकिन ठेकेदारों की यह लापरवाही से बारिश के बाद भी नदी में दिक्कत पैदा होगी और मिट्टी से पूरी नदी उथली होगी।
चक्रतीर्थ घाट पर क्षिप्रा हुई उथली
पिछले साल चक्रतीर्थ घाट के सामने की तरफ घाट बनाए गए थे। यहाँ भी बड़ी मात्रा में नदी में डाली गई मिट्टी नहीं निकाली। इससे क्षेत्र में नदी उथली हो गई है। घाट किनारे ही मिट्टी के दलदल बने हुए हैं और गन्दगी पसरी हुई है। स्थानीय लोग बता रहे हैं कि घाट से निकली मिट्टी के कारण आगे बना स्टॉप डैम की गहराई भी कम हो गई है।
ये होगी दिक्कत
1. मिट्टी के अलग ढेर होने से नदी में गड्ढे हो जाएँगे। इससे नहान के दौरान घाट पर कम और ज्यादा पानी रहने से हादसे की आशंका रहेगी।
2. मिट्टी नहीं निकालने से किनारों पर कीचड़ जमा होगा। नहान के दौरान इसमें फँसने की सम्भावना रहेगी।
3. नदी उथली होने से पर्याप्त पानी जमा नहीं होगा। कम गहराई के कारण पानी में ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया कम होगी। वहीं जलीय जीव-जन्तु के लिए दिक्कत होगी।
4. मिट्टी नहीं निकाले जाने से बहकर आगे भी नदी की गहराई को कम करेगी।
5. मिट्टी के टीले बनने से पानी रुकेगा और इससे गन्दगी फैलेगी।
क्षिप्रा पर घाट एक नजर में
1. 17 घाट बनाए जा रहे
2. 25 करोड़ की लागत
3. 15 घाट मार्च 2015 तक पूरे होंगे
सीएम से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
घाट निर्माण के चलते क्षिप्रा नदी में डाली जा रही मिट्टी को हटाने के लिए मुख्यमन्त्री शिवराजसिंह चौहान से भी शिकायत की गई थी। दरअसल सीएम सिंहस्थ कार्यों के निरीक्षण के दौरान भूखीमाता मन्दिर पहुँचे तो स्थानीय लोगों ने उन्हें इस समस्या की ओर ध्यान दिलाया था। उस समय अधिकारियों ने जल्द मिट्टी हटाने की बात कही थी। बावजूद इन्हें हटाने की अब तक कोई कवायद नहीं हुई।
घाट बनने के बाद कैसे निकालेंगे मिट्टी
क्षिप्रा नदी में डली मिट्टी को अफसर घाट बनने के बाद निकालने की बात कह रहे हैं, जबकि एक घाट बनने के बाद नदी में से मिट्टी निकालकर ऊपर तक ले जाना खासा मुश्किल भरा होगा। घाट बनने के बाद नदी किनारे न तो जेसीबी जा पाएगी और न ही डम्पर। ऐसे में नदी से मिट्टी निकालना सम्भव नहीं हो पाएगा।
ठेकेदार से मिट्टी निकलवाएँगे
नदी पर घाट निर्माण कार्य अभी जारी है। ठेकेदार को जल्द ही मिट्टी निकालने के लिए कहा जाएगा। मिट्टी के कारण कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी।
एके गुप्ता, इई, जलसंसाधन विभाग
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Post By: Shivendra