गर्मी की दस्तक के साथ बुंदेलखंड में जल संकट

कुओं और तालाबों पर करोड़ों खर्च, मगर ज्यादातर का इस्तेमाल नहीं, धरी रह गई सरकारी तैयारी

उरई जिले में 651 आदर्श तालाब के लिए 35 करोड़ की राशि डीआरडीए को दी गई थी, जिसमें 31 करोड़ खर्च कर दिए गए। जिसमें 557 आदर्श तालाबों को विभाग ने बनवा भी दिया पर इन तालाबों के बनने से कोई लाभ नहीं दिख रहा। क्योंकि इनमें अधिकांश तालाबों को भरा ही नहीं जा सकता। इनको भरने के लिए कोई बंदोबस्त नहीं है। नहर का पानी भी तालाबों को नहीं भर सकता। क्योंकि ये नहरों की ऊंचाई से अधिक ऊंचाई पर बनवा दिए गए हैं।

उरई, बुंदेलखंड गर्मी की दस्तक के साथ जल संकट गहराने लगा है। इससे निजात पाने के लिए सरकारी तंत्र ने पहले से तैयारी भी ली थी। परंपरागत स्रोत कुओं की साफ-सफाई और आदर्श तालाबों की खुदाई हुई मगर यह सरकारी आंकड़ों तक सीमित है। पानी की आपूर्ति के लिए जल संस्थान 22 पेयजल योजनाएं चला रहा है। इसके अलावा 32 पेयजल योजनाओं को जल निगम ने ग्राम पंचायतों के हवाले कर दिया है। ग्राम प्रधानों को हस्तांतरित की गई पेयजल परियोजनाएं मौजूदा समय में चालू नहीं हैं। यही हाल जल संस्थान की परियोजनाओं का है। क्योंकि इन सभी परियोजनाओं में पानी की सप्लाई के लिए पीवीसी पाइप का इस्तेमाल किया गया था, जो मानक के हिसाब से नहीं डाले गए थे। इससे बरसों पुरानी पेयजल परियोजनाओं के पाइपों का अता-पता नहीं है। लेकिन कागजों में आज भी ये परियोजनाएं चल रही हैं।

पानी के नाम पर करोड़ों का खेल करने वाले विभागों की काहिली के कारण एक बार फिर बुंदेलखंड में जल संकट पैदा होने के आसार हैं। बुंदेलखंड में जलसंकट पैदा होने के आसार हैं। बुंदेलखंड पैकेज में परंपरागत स्रोत कहे जाने वाले 2215 कुओं का जीर्णोधार करने के लिए 9.44 करोड़ का बजट लघु सिंचाई विभाग को दिया गया था। यह खर्च भी कर लिया गया। मगर कुओं की हालत जस की तस है। इसी तरह जनपद में 651 आदर्श तालाब के लिए 35 करोड़ की राशि डीआरडीए को दी गई थी, जिसमें 31 करोड़ खर्च कर दिए गए। जिसमें 557 आदर्श तालाबों को विभाग ने बनवा भी दिया पर इन तालाबों के बनने से कोई लाभ नहीं दिख रहा। क्योंकि इनमें अधिकांश तालाबों को भरा ही नहीं जा सकता। इनको भरने के लिए कोई बंदोबस्त नहीं है।

नहर का पानी भी तालाबों को नहीं भर सकता। क्योंकि ये नहरों की ऊंचाई से अधिक ऊंचाई पर बनवा दिए गए हैं। यह है सरकारी तंत्र का पेयजल के संकट के उबारने का इंतजाम। बाकी बचे 94 आदर्श तालाबों को बनवाने के लिए बजट पहले से विभाग के पास है। इनको बनाने की पहल विभाग ने अभी तक नहीं की है और न ही किसी बड़े अधिकारी व जनप्रतिनिधि ने इन तालाबों को खुदवाने की कोई पहल की। जनपद में हैंडपंप जबाव देने लगे हैं। जल स्तर पांच से दस फुट नीचे चला गया है। जनपद के कोंच, कदौरा, डकोर, महेवा, ब्लॉक के गांवों में पेयजल संकट के साथ-साथ मवेशियों के पीने के लिए पानी की कमी हो गई है। वहीं शासन ने नए हैंडपंपों पर रोक लगा दी है। इनके लिए बजट भी शासन स्तर से विभाग को नहीं दिए गए हैं। लेकिन खराब पड़े हैंडपंपों की मरम्मत और रिबोर जिलाधिकारी की पहल से शायद हो सके।

उरई जिले के रामकुंड तालाब की स्थिति बदतर हो गई हैउरई जिले के रामकुंड तालाब की स्थिति बदतर हो गई हैअभी तक ग्राम निधि से हैंडपंप को अधिकतम एक हजार रुपए मरम्मत के लिए खर्च करने का अधिकार प्रधान के पास हुआ करता था। लेकिन इतनी कम रकम से मरम्मत संभव नहीं थी। इसलिए यह राशि जिलाधिकारी बढ़ाने के लिए आदेश जारी करने जा रहे हैं। जिसमें पांच हजार तक हैंडपंप ठीक करने के लिए प्रधान खर्च कर सकता है। सच्चाई यह है कि कुल हैंडपंपों के मुकाबले 40 से 50 फीसद हैंडपंप खराब पड़े हैं, जिनको दुरुस्त करने की पहल की जा रही है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट से निपटा जा सके।

जल निगम के अधिशासी अभियंता केशव लाल की मानें तो उरई नगर को 25.84 एमएलडी पानी की जरूरत है। लेकिन इसके सापेक्ष 17.26 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति हो पा रही है पानी की आपूर्ति के लिए 28 नलकूप, सरकारी हैंडपंप लगभग 712, निजी हैंडपंप 5800 और 12 समर्सिबल पंप हैं। यही स्थिति जनपद के सभी नगरीय क्षेत्रों की है। दूसरे अधिशासी अभियंता पंकज वर्मा का कहना है कि जनपद में 960 एमएम बारिश हुई है, जो सामान्य है। इतनी बारिश से सभी तालाबों को भर जाना चाहिए था लेकिन तालाबों को भर जाना चाहिए था लेकिन तालाबों की बनावट के कारण ये नहीं भर सके। इसी तरह बुंदेलखंड में कुएं पेयजल के अच्छा स्रोत हैं। मगर इनका जीर्णोधार कम हुआ। जिससे ये कुएं पेयजल के योग्य नहीं बन सके।

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