गरीबी लूट रही पाठा की हरियाली

विवेक मिश्र, हिन्दुस्तान चित्रकूट, 19 अप्रैल 2019

विंध्य की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे पाठा के हरे-भरे जंगल गरीबी की वजह से लुट रहे हैं। लोकसभा हो विधानसभा का चुनाव, हर बार पाठा की कोल बिरादरी सिर्फ मुद्दे ही बन रहे है। इनके उत्थान के नाम पर सियासत-वीर चुनाव के समय ढेर सारे वादे करते हैं पर चुनाव बाद उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं आता। गरीबी से जूझने वाली इस बिरादरी की महिलाओं से लेकर बच्चे व पुरुष परिवार का भरण पोषण करने के लिए हरे-भरे जंगलों को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसकी वजह है कि आज तक किसी ने इनको रोजगार नहीं दिया।

जिले की मानिकपुर-मऊ विधानसभा क्षेत्र में कोल बिरादरी की बहुलता है। सौ से अधिक गांव व मजरों में यह बसे हुए है। अशिक्षा के चलते इनको शायद यह नहीं पता कि जिन हरे-भरे जंगलों को काटकर वह नुकसान पहुंचा रहे, वह इस इलाके की शोभा के साथ ही उन लोगों को जीवन दे रहे है। कोल बिरादरी के ज्यादातर लोगों के पास रहने के लिए सिर्फ जंगल में घर ही है। खेती के लिए उनके पास जमीन नहीं है। ऐसे में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उनके पास सिर्फ जंगल ही एकमात्र सहारा है। सुबह से ही बच्चों सहित महिलाएं व पुरूष जंगल में हंसिया, कुल्हाड़ी लेकर पहुंच जाते है। लकड़ियां काटकर बड़े-बड़े गट्टर तैयार कर उनको शहरी इलाकों में ट्रेनों से पहुंचाते है। वहां पर लकड़ियां बेचकर उससे मिलने वाले पैसे से वह लोग बाजार से राशन-सामग्री खरीदकर लाते है। जिससे उनके घरों में चूल्हा जलता है।

पाठा के इन गरीबों को आज तक कोई रोजगार नहीं दे पाया। बच्चे स्कूल जाने के बजाए जंगल की राह पकड़ने को मजबूर हैं। पाठा के जंगलों से रोजाना सैकड़ों गट्टर लकडियां शहरी इलाकों को जाती है। इससे पाठा के हरे-भरे जंगलों को क्षति हो रही है।

जंगल कटाई के प्रकरण पर पूर्व प्रधान सरहट राजन कोल कहते हैं कि पाठा क्षेत्र में सिंचाई के कोई साधन नहीं है। ज्यादातर लोग मजदूर तबके से है। रोजगार का कोई साधन भी नहीं है ।दो-चार बीघे जमीन वाले लोग ज्यादा है । सिंचाई के साधन न होने से लोगों को मजदूरी का सहारा लेना पड़ रहा है ।शिक्षा का भी बेहद अभाव है । कोल बिरादरी के लोगों ने केवल मत देने का काम किया है। आज तक उनका कोई जनप्रतिनिधि नहीं हो पाया है। पाठा के उत्थान के लिए सिंचाई के बेहतर साधन, रोेजगार के साथ ही अच्छी शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है।

जंगलों को बचाने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे है। हर एक बीट में कर्मचारियों की ड्यूटी लगी हुई है । अवैध कटान पर कार्रवाई की जाती है। पाठा के जंगल से रोजाना करीब सौ गट्ठर लकडियां काटकर बेची जा रही है। इससे जंगलों को काफी नुकसान हो रहा है। - कैलाश प्रकाश सिंह, डीएफओ

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Post By: RuralWater
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