ग्रामीण स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग का अनुदान और ग्रामीण भारत में जल एवं स्वच्छता क्षेत्र पर इसका प्रभाव

ग्रामवासियों के 'जीवनयापन को सुगम बनाने' के लिए उन्हें पीने योग्य पानी और बेहतर स्वच्छता सुविधा प्रदान करना सरकार की प्राथमिकता रही है। इसके परिणामस्वरूप बेहतर गुणवत्ता और रोग मुक्त जीवन सुनिश्चित हुआ है और लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। इस क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए माननीय प्रधानमंत्री ने 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यशील नल कनेक्शन (FHTC) प्रदान करने का लक्ष्य रखते हुए जल जीवन मिशन की घोषणा की। 73वें संवैधानिक संशोधन में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए 11वीं अनुसूची जोड़ी गई है। पंचायती राज संस्थाओं को राज्य कार्यों के तहत सूचीबद्ध 29 विषयों का प्रबंधन करने की शक्ति दी गई थी। पेयजल एवं स्वच्छता उन बुनियादी कामों में से है जिन्हें पीआरआई सभी स्तरों पर प्रबंधित करता है। और सार्वजनिक उपयोगिता सेवा प्रदाता के रूप में कार्य करता है। इस भावना के अनुसरण में क्रमिक वित्त आयोदों ने राज्यों के निधियों के आवंटन में क्षेत्र को प्राथमिकता दी है।

इसके बाद 15वें वित्त आयोग (FC) ने वर्ष 2020-21 के लिए अपनी रिपोर्ट में सभी स्तरों के ग्रामीण स्थानीय निकायों (RLB) के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में जलापूर्ति और स्वच्छता की पहचान की है। और तदनुसार इस क्षेत्र को सशर्त अनुदान के रूप में 30,375 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। जो आरएलबी को कुल अनुदान का 50% है। इस सशर्त अनुदान का उपयोग पीआरआई द्वारा दो घटकों के लिए 50-50 फीसद के रूप में किया जाना है। अर्थात (एक) स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त ओडीएफ स्थिति को बनाए रखना और (दूसरा) पेयजल की आपूर्ति वर्षा जल संचय और जल पुनर्भरण और आगे यह प्रावधान किया गया है यदि एक भाग को पूर्ण कर लिया जाता है तो शेष निधि का उपयोग अन्य भाग के लिए किया जा सकता है।

इस अवसर का बेहतर उपयोग करने और वित्त आयोग के सशर्त अनुदानों के बेहतर अभिसरण के लिए पंचायती राज मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जल शक्ति मंत्रालय ने मार्च 2020 में सभी 28 राज्यों को संयुक्त रूप से परामर्श जारी किया जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ पेयजल एवं स्वच्छता क्षेत्र में किए जाने वाले प्रमुख क्रियाकलापों की सूची दी है। तद्नुसार भारत सरकार ने भी पंचायती राज मंत्रालय एवं पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय विभाग से सिफारिशें प्राप्त करने के बाद जुलाई 2020 में राज्यों को इस सशर्त अनुदान की पहली किस्त 50 फीसद जारी की।

जल जीवन मिशन में जलापूर्ति की आयोजना कार्यान्वयन प्रबंधन एवं प्रचालन व रखरखाव में ग्राम पंचायत और या उसकी उपसमिति के सशक्तिकरण की परिकल्पना की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सेवाओं के प्रबंधन के अपने संवैधानिक दायित्वों को निभाने के लिए ग्राम पंचायतों और इसकी उप समितियां जैसे ‘ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति’, ‘पानी समिति’ आदि को सशक्त बनाने के लिए JJM के तहत निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले जलापूर्ति कार्यक्रम के स्वरूप में जल जीवन मिशन के तहत घरेलू स्तर पर निर्धारित गुणवत्ता के साथ पर्याप्त मात्रा में नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पेयजल उपलब्ध कराना दृष्टिकोण अपनाया गया है। राज्यों व संघ शासित प्रदेशों को ग्राम पंचायतों के लिए एक सूत्रधार की भूमिका निभानी होगी और एक बार उनके द्वारा पूर्ण की गई पाइप जलापूर्ति योजनाओं के प्रचालन और प्रबंधन के लिए स्वामित्व को हस्तांतरित करना होगा। जिसका प्रचालन उनके अपने संसाधनों से किया जाएगा, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ जल शुल्क, उपभोग प्रभार आदि का प्रावधान होगा।

जल जीवन मिशन के लक्ष्य को साकार करने के लिए इस 15वें फाइनेंसियल कमीशन अनुदान को समाहित करने और बेहतर उपयोग करने के लिए ग्राम पंचायत, ग्राम स्तर पर व्यापक संभावनाएं हैं। प्रभावी और कुशल तरीके से कार्य निष्पादन करने के लिए डीडीडब्ल्यूएस में ग्राम पंचायतों और बीडब्ल्यूएससी के लिए एक सरल भाषा में मार्गदर्शिका (एक पुस्तिका) भी जारी की है। ताकि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जा सके।

यह वित्त आयोग निधि राज्यों को गांव में पेयजल स्रोत, जलापूर्ति, ग्रे-वाटर प्रबंधन और अधिक महत्वपूर्ण रूप से जलापूर्ति स्रोतों के प्रचालन व रखरखाव पर राशि का उपयोग करने का व्यापक अवसर प्रदान करता है।

15वें वित्त आयोग का अनुदान कैसे मिलेगा

15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित आरएलबी/पंचायतों को उनके कार्यों को पूरा करने में मदद करने और सक्षम बनाने के लिए राज्य के जल और स्वच्छता/ग्रामीण जल आपूर्ति/सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग इन पंचायतों/आरएलबी को तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे। आरएलबी/पंचायतों के कार्यों को सरल बनाने और उनकी मदद करने के वास्ते जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग ने इन निधियों के उपयोग के लिए एक मैनुअल तैयार किया है और इसे सभी राज्य सरकारों को उपलब्ध कराया गया है। राज्य सरकारों से भी अनुरोध किया गया है कि इस पुस्तिका का स्थानीय भाषा में अनुवाद कर प्रत्येक ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराया जाए। गांवों में नल से पानी की आपूर्ति और बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करने के कार्य में इस फंड का उपयोग करने के लिए पंचायत पदाधिकारियों को संवेदनशील बनाने, प्रशिक्षित करने तथा सशक्त बनाने का बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाना है।

कुल मिलाकर 15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए आरएलबी/पीआरआई को 2,36,805 करोड़ रुपये के अनुदान की सिफारिश की है। आयोग ने राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में 'जल आपूर्ति और स्वच्छता' संबंधी पहचान की है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करती है। इसने आरएलबी/पंचायतों को आवंटन का 60% अर्थात 1,42, 084 करोड़ रुपये के सशर्त अनुदान की सिफारिश की है, जिसका इस्तेमाल इस प्रकार से किया जाना है-  अ) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण; और ब) खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) स्थिति की स्वच्छता और रखरखाव।

 

जलापूर्ति एवं स्वच्छता सेवाओं के लिए बंधित अनुदान का वर्षवार आवंटन निम्नानुसार है:

(राशि करोड़ रुपये में)

वर्ष

बंधित अनुदान

2021-22

26,940

2022-23

27,908

2023-24

28,212

2024-25

29,880

2025-26

29,144

 

1,42,084

 

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