ग्रामीण भारत के पास लोगों को देने के लिये बहुत कुछ है। इन क्षेत्रों की पहचान करने और इस क्षेत्र में पर्यटन की सम्भावनाएँ खोजने के लिये केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के एकजुट प्रयासों की आवश्यकता है। देश में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। ऐसा करने पर ही ग्रामीण पर्यटन का विस्तार और विकास हो सकता है।
रोजमर्रा की नीरस जिन्दगी से फुर्सत के कुछ क्षण हमेशा मूड बेहतर बनाने का काम करते हैं। आमतौर पर लोग इस फुर्सत का इस्तेमाल यात्राएँ और नये स्थान खोजने के लिये करते हैं। परन्तु, लक्ष्य का चयन करने में समय और खर्च की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। व्यस्त पर्यटक मौसम के दौरान परम्परागत पर्यटक स्थलों पर आमतौर पर भारी भीड़ होती है। आज अधिकतर समाज शहरीकृत हो चुका है। ऐसे में ग्रामीण पर्यटन शहरी आबादी के बीच निरन्तर लोकप्रिय हो रहा है।
दुनिया की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी शहरी क्षेत्रों में रह रही है। यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि यह अनुपात 2050 तक बढ़कर 66 प्रतिशत पर पहुँच जायेगा। संयुक्त राष्ट्र डीईएसए की जनसंख्या डिवीजन द्वारा व्यक्त की गई ‘विश्व शहरीकरण सम्भावनाएँ’ (2014) के अनुसार शहरीकरण में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी भारत, चीन और नाइजीरिया में होगी। वर्ष 2014 से 2050 के दौरान विश्व की शहरी आबादी में होने वाली अनुमानित वृद्धि में 37 प्रतिशत हिस्सेदारी इन तीन देशों की होगी। अनुमान है कि 2050 तक भारत में शहरी निवासियों में 40.4 करोड़, चीन में 29.2 करोड़ और नाइजीरिया में 21.2 करोड़ की बढ़ोत्तरी होगी।
ग्रामीण पर्यटन की अवधारणा
भारत सरकार ने ग्रामीण पर्यटन की परिभाषा में स्पष्ट किया है कि कोई भी ऐसा पर्यटन, जो ग्रामीण जीवन, कला, संस्कृति और ग्रामीण स्थलों की धरोहर को दर्शाता हो, जिससे स्थानीय समुदाय को आर्थिक और सामाजिक लाभ पहुँचता हो, साथ ही पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच संवाद से पर्यटन अनुभव के अधिक समृद्ध बनने की सम्भावना हो, तो उसे ‘ग्रामीण पर्यटन’ कहा जा सकता है। ग्रामीण पर्यटन अनिवार्यतः एक ऐसी गतिविधि है, जो देश के देहाती इलाकों में संचालित होती है। यह बहु-आयामी है, जिसमें खेत/कृषि पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, प्रकृति पर्यटन, साहसिक पर्यटन और पर्यावरण पर्यटन शामिल हैं। परम्परागत पर्यटन के विपरीत, ग्रामीण पर्यटन की कुछ खास विशेषताएँ हैं, जैसे यह अनुभव-उन्मुखी होता है, इसके पर्यटक स्थलों पर आबादी बिखरी हुई होती है, इसमें प्राकृतिक वातावरण की प्रमुखता होती है, यह त्योहारों और स्थानीय उत्सवों से सराबोर होता है और संस्कृति, धरोहर और परम्परा के संरक्षण पर आधारित होता है। भारत में पर्यटन मंत्रालय ने ऐसे ग्रामीण पर्यटक स्थलों के विकास पर विशेष बल दिया है, जो समृद्ध कला, संस्कृति, हथकरघा, धरोहर और शिल्प की दृष्टि से गौरवशाली हों। ये गाँव प्राकृतिक सौन्दर्य और सांस्कृतिक वैभव दोनों ही दृष्टियों से समृद्ध हैं। ग्रामीण पर्यटन से यह उम्मीद की जाती है कि ग्रामीण उत्पादकता, ग्रामीण पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण, स्थानीय लोगों की भागीदारी की दृष्टि से ग्रामीण इलाकों के लाभ में वृद्धि हो और परम्परागत विश्वासों और आधुनिक मूल्यों के बीच उपयुक्त अनुकूलन में मदद मिले।
भारत में ग्रामीण पर्यटन के प्रमुख प्रकार
कृषि पर्यटन : कृषि उद्योग और फसलें उगाने के लिये किसान कैसे काम करते हैं, के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना।
संस्कृति पर्यटन : पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति विषयक गतिविधियों जैसे अनुष्ठानों और उत्सवों में हिस्सा लेने का अवसर प्रदान करना।
प्रकृति पर्यटन : ऐसे प्राकृतिक स्थलों की जिम्मेदारी के साथ यात्रा करना, जो पर्यावरण का संरक्षण करते हैं और स्थानीय लोगों के कल्याण में सुधार लाते हैं।
साहसिक पर्यटन : कोई भी ऐसी रचनात्मक गतिविधि साहसिक पर्यटन के अन्तर्गत शामिल है, जो किसी व्यक्ति की क्षमता और अन्तिम सीमा तक उसकी तैयारी का परीक्षण करने का अवसर प्रदान करती है।
भोजन पर्यटन : जहाँ पर्यटकों को हमारे व्यंजनों की विविधता का आनन्द लेने का अवसर मिलता है। इस तरह का पर्यटन भोजन और विभिन्न स्थानों के प्रमुख भोजनों की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।
समुदाय पारिस्थितिकी पर्यटन : यह ऐसा पर्यटन है, जो किसी उद्देश्य के लिये किया जाता है। यह वास्तव में ऐसे प्राकृतिक स्थलों की जिम्मेदारीपूर्ण यात्रा है, जो पर्यावरण संरक्षण करते हैं और स्थानीय लोगों की खुशहाली में सुधार लाते हैं।
नृजातीय पर्यटन : इसका उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों के क्षितिजों का विस्तार करना है। इसका अनिवार्य लक्ष्य विभिन्न जातीय और सांस्कृतिक जीवनशैलियों और विश्वासों के बारे में जानकारी प्राप्त करना है।
ग्रामीण पर्यटन में बढ़ती रुचि
ग्रामीण पर्यटन कृषि, खेती, स्थानीय शासन आदि के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद करता है। ग्रामीण पर्यटन ग्रामीण जीवनशैली के बारे में ऐसे भ्रम दूर करने में सहायक है, जो सामान्यतः शहरी लोगों को होते हैं, जैसे ग्रामीण लोगों का अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहना, या ग्रामीण जीवन असुरक्षित होना आदि।
ग्रामीण पर्यटन किसी व्यक्ति को भारत के सुदूर भागों में व्याप्त विविधता की खोज करने का अवसर प्रदान करता है।
भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रम
पर्यटन मंत्रालय ने ऐसे अनेक स्थानों की पहचान की है, जिसका विकास ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटक लक्ष्यों के रूप में किया जा रहा है। ये ऐसे स्थान हैं, जो अभी तक पर्यटन की दृष्टि से अज्ञात रहे हैं। ऐसे पर्यटक स्थलों के समग्र विकास में मदद करने के लिये मंत्रालय ने विभिन्न कार्यक्रम प्रारम्भ किये हैं, जिनका ब्यौरा नीचे दिया गया है :-
विषय - आधारित सर्किटों के समेकित विकास के लिये स्वदेश दर्शन कार्यक्रम
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर पर्यटन और रोजगार सृजन के विकास के व्यापक अवसर प्रदान करती है। इस क्षमता की समुचित पहचान के लिये केन्द्र सरकार ने 2014-15 के बजट में खास विषयों के बारे में पर्यटक सर्किटों का निर्माण करने का ऐलान किया।
प्रसाद : यानी पिल्ग्रिमेज रिज्यूवनेशन फॉर स्प्रिचुअल ओगमेंटेशन ड्राइव अर्थात आध्यात्मिक संवर्धन के लिये तीर्थयात्रा नवीनीकरण अभियान
तीर्थाटन पर्यटन का एक ऐसा रूप है, जो आंशिक या पूर्ण रूप में धार्मिक भावनाओं को प्रेरित करता है। भारत अनेक धर्मों का देश है, जैसे हिंदू धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, सिख धर्म, इसाई धर्म, जैन धर्म और सूफी धर्म। इन सभी धर्मों के देश के विभिन्न भागों में प्रमुख तीर्थस्थल हैं। धर्म और आध्यात्मिकता यात्रा के लिये समान रूप से प्रेरित करते हैं। यही कारण है कि प्रमुख पर्यटक लक्ष्यों का विकास उनके धार्मिक स्थलों, व्यक्तियों और घटनाओं से जुड़े होने के कारण हुआ है।
विशेष पर्यटन अंचल
वर्ष 2017-18 के आम बजट में 5 विशेष पर्यटन अंचलों की घोषणा की गई, जहाँ राज्यों की भागीदारी के साथ विशेष प्रयोजन उद्यमों की स्थापना की जाएगी। इससे दूसरे वैश्विक अतुल्य भारत अभियान की शुरुआत करने में मदद मिलेगी, ताकि आकर्षक पर्यटन लक्ष्य के रूप में भारत की स्थिति सुदृढ़ की जा सके।
ई-पर्यटक वीजा सुविधा
अन्तरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन को सुविधाजनक बनाने के लिये पर्यटन मंत्रालय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि देश में एक निश्चित अवधि के दौरान वीजा व्यवस्था को आसान बनाया जा सके। ग्रामीण पर्यटन को आकर्षक बनाने के लिये पर्यटन मंत्रालय एक विशेष उत्पाद के रूप में फार्म पर्यटन को प्रोत्साहित कर रहा है। मंत्रालय, ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में ठहरने की व्यवस्था ‘होम स्टे’ को भी प्रोत्साहित कर रहा है।
ग्रामीण पर्यटन का प्रभाव
रचनात्मक प्रभाव
बढ़ते ग्रामीण पर्यटन का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ग्रामीण भारत में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के साथ लोगों के बीच व्यापार का स्तर बढ़ने से उनकी आय का स्तर भी बढ़ेगा। इससे युवाओं के लिये रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
किसी भी स्थान के परम्परागत हथकरघा और हस्तशिल्प स्थानीय लोगों के लिये गौरव का विषय होते हैं। पर्यटन के माध्यम से पर्यटकों को स्थानीय लोगों से तैयार उत्पाद सीधे खरीदने का लाभ प्राप्त होता है। इसका समूची अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पर्यटकों के साथ विचारों के आदान-प्रदान से ग्रामीण लोगों में नये विचार सृजित होंगे। इससे शिक्षा, निवारक स्वास्थ्य देखभाल, आधुनिक उपकरणों आदि के प्रति लोगों की रुचि बढ़ेगी। इससे साक्षरता का सर्वत्र प्रसार करने में भी मदद मिलेगी।
अधिकाधिक पर्यटकों द्वारा गाँवों की यात्रा करने से सड़कों के माध्यम से सम्पर्क में सुधार आएगा और सार्वजनिक परिवहन में बढ़ोत्तरी होगी। अभ्यारण्यों और सुरक्षित उद्यानों के निकट रहने वाले ग्रामीण अपने शहरी सहभागियों को प्रकृति के संरक्षण की शिक्षा दे सकते हैं। सदियों से प्रकृति की शरण में रहने के कारण उन्हें प्रकृति के संरक्षण के तौर-तरीकों की जानकारी निश्चित रूप से अधिक होती है।
पर्यटक स्थानीय धार्मिक और परम्परागत अनुष्ठानों में रुचि विकसित कर सकते हैं, जो सामाजिक सद्भाव के प्रेरक के रूप में काम कर सकती है।
नकारात्मक प्रभाव
परन्तु, ग्रामीण पर्यटन पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। पर्यटन के लिये सुविधाएँ जुटाने से देहात में बुनियादी ढाँच के विकास में बढ़ोत्तरी होगी। इससे ग्रामीण क्षेत्र में कंक्रीट बढ़ेगा, जिससे उनका प्राकृतिक सौन्दर्य कम हो सकता है। इसके अलावा, पर्यटकों की बढ़ती संख्या से प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी हो सकती है।
पर्यटन का लोगों की परम्परागत जीविका पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। ग्रामीण आबादी कृषि और अन्य परम्परागत जीविका माध्यमों की बजाए पर्यटन से सम्बद्ध आकर्षक जीविका माध्यमों में स्थानान्तरित हो सकती है। इससे ग्रामीण पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सुधार की सम्भावनाएँ
जीवन की प्रत्येक पहलू के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष होते हैं। स्थायी विकास के लिये यह जरूरी है कि रचनात्मक प्रभाव अधिक हों और नकारात्मक प्रभाव कम पड़ें। यही बात ग्रामीण पर्यटन पर भी लागू होती है।
पर्यटक ग्रामीण क्षेत्रों में सहज महसूस करें, इसके लिये उन्हें उनके गन्तव्य स्थान के बारे में पहले से ही विस्तृत जानकारी प्रदान की जा सकती है। उन्हें किसी क्षेत्र में प्रचलित विशेष रीति-रिवाजों की भी जानकारी दी जा सकती है ताकि वे तदनुरूप अपने को तैयार कर सकें।
गाँवों में बुनियादी ढाँचा और लॉजिस्टिक सुविधाएँ मुहैया कराने की आवश्यकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन या राजमार्ग को जोड़ने वाली सड़कों की व्यवस्था से गाँवों तक पहुँच में सुधार किया जा सकता है। इससे पर्यटकों के साथ-साथ ग्रामवासियों को भी लाभ पहुँचेगा, परन्तु यह बेहतर होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा संख्या में होटल या गेस्ट हाउस बनाने की बजाए होम-स्टे (घरों में ठहरने की सुविधा) को तरजीह दी जाए। इससे पर्यटकों को ग्रामीण भारत में प्रचलित स्थानीय व्यंजनों के साथ-साथ परम्परागत पद्धतियों का भी जायका मिलेगा। इससे पर्यटकों को कम समय में ग्रामवासियों के साथ जुड़ने में मदद मिलेगी।
ग्रामीण भारत में पाई जाने वाली वनस्पतियाँ और जीव-जन्तु विद्यार्थियों के लिये सीखने का अच्छा स्रोत हो सकते हैं। विद्यार्थियों को भ्रमण की अनुमति सक्षम प्राधिकारियों की समुचित मंजूरी के बाद दी जा सकती है। इस तरह विद्यार्थी प्रकृति को महत्त्व देना सीखेंगे।
पर्यटन के मामले में भाषा एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा हो सकता है। अतः कठिनाई होने की स्थिति में पर्यटकों को दुभाषिए रखने का विकल्प दिया जा सकता है। इस प्रयोजन के लिये दुभाषियों को प्रशिक्षित और योग्य बनाने की आवश्यकता है।
भारत के अधिकतर गाँवों की पारम्परिक पहचान है, जो उन्हें बेजोड़ बनाती है। ऐसे अनेक परम्परागत उत्पादों को भौगोलिक संकेतक या जीआई टैग प्रदान करते हुए मान्यता दी गई है। इनमें कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प, वस्त्र उत्पाद, मिठाइयाँ, प्राकृतिक वस्तुएँ, विनिर्मित वस्तुएँ, पवित्र वस्तुएँ आदि शामिल हैं। इन सभी जीआई टैगयुक्त उत्पादों को हमेशा राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शित किया जाता है और उनकी बाजार में भारी माँग रहती है। सरकार यह सुनिश्चित करने के उपाय कर सकती है कि पर्यटक इन उत्पादों के बनने, पैक किये जाने और प्रदर्शित किये जाने की समूची प्रक्रिया का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकें। इससे पर्यटकों में रुचि और बढ़ेगी और अन्ततः ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। भारत के अनेक राज्य जड़ी-बूटियों और अन्य आयुर्वेदिक उत्पादों की दृष्टि से सम्पन्न हैं, जो चिकित्सा की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। सरकार ऐसे पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये उपयुक्त ढाँचे का विकास कर सकती है, जो भारत के गाँवों में उपचार सुविधाएँ पाने के इच्छुक हों।
जहाँ तक ग्रामीण पर्यटन का प्रश्न है, राज्य सरकारों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक राज्य सरकार की पर्यटकों को आकर्षित करने की पृथक क्षमता है। अतः यह जरूरी है कि राज्य सरकारें अपनी इस क्षमता की पहचान करें और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने में केन्द्र सरकार के साथ घनिष्ठ समन्वय स्थापित करें। इससे समूचे देश को पर्यटन क्षेत्र में लाभ पहुँचेगा।
पर्यटकों को इस बात की अग्रिम जानकारी दी जा सकती है कि वे ऐसे स्थानीय मुद्दों में न उलझें, जिनसे कानून-व्यवस्था की समस्याएँ पैदा होने की आशंका हो। सरकार पर्यटकों के बीच सर्वेक्षण करा सकती है और उनके लक्षित पर्यटक-स्थल के बारे में उनकी भावनाएँ जान सकती है। उनके फीडबैक के आधार पर पर्यटन में सुधार लाने के उपाय किये जा सकते हैं।
कुछ लोकप्रिय ग्रामीण पर्यटक स्थल
कच्छ एडवेंचर्स इंडिया : कच्छ में सामुदायिक पर्यटन - गुजरात में कच्छ के रण की यात्रा से पर्यटकों को कारीगरों के गाँव और साल्ट डेजर्ट देखने के अवसर मिलेंगे।
इत्मिनान लॉजेज पंजाबियत : ग्रामीण पंजाब में खेती - पर्यटक विभिन्न खेती गतिविधियों का जायजा ले सकते हैं।
इकोस्फीयर स्पीति : उच्च तुंगता ग्रामीण पर्यटन - बौद्ध मठों की यात्राएँ, याक सफारी, गाँवों की यात्राएँ, ग्रामीण पारिवारिक शैलियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि सम्भावित गतिविधियाँ हो सकती हैं।
लाचेन, सिक्किम - यह बर्फ से ढकी चोटियों, हिम नदियों और रॉक क्लिप्स के बीच 8500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इसके चारों ओर मिश्रित शंकु वृक्षों और बुरुंश (एक प्रकार का फल) के जंगल हैं। यह स्थल पर्यटकों के लिये कुछ वर्ष पहले ही सुगम हुआ है। अतः अपनी अदोहित ताजगी बनाए हुए है।
बल्लभपुर डांगा, पश्चिम बंगाल : बल्लभपुर डांगा शांति निकेतन से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यह संथाल आदिवासी जनजातीय समुदाय से सम्बद्ध है, जो ग्रामीण बंगाल के चारागाही सौन्दर्य को दर्शाता है। इसके पूर्व में सोनाझुरी वन है और दक्षिण में बल्लभपुर अभ्यारण्य वन क्षेत्र तथा पक्षी अभ्यारण्य हैं। संथाली कला, शिल्प और संस्कृति समुदाय के जीवन का हिस्सा हैं।
सुंदरवन विलेज लाइफ : यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जहाँ दुनिया में सबसे अधिक मैनग्रोव वनस्पति पाई जाती है। यह पर्यटकों के लिये अत्यन्त आकर्षक स्थल है।
असम में माझुली : असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बना सबसे बड़ा माझुली नदी द्वीप अत्यन्त लोकप्रिय पर्यटक स्थल है।
पोचमपल्ली, तेलंगाना : पर्यटक इसी नाम से जानी जाने वाली रेशम की मशहूर साड़ियों के बुनने की प्रक्रिया देख सकते हैं।
ऐसे अनेक और भी स्थल हैं, जिन्हें सूची में शामिल किया जा सकता है, जो अभी तक पर्यटकों के लिये अज्ञात हैं।
निष्कर्ष
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था, “अन्य देशों में मैं एक पर्यटक के रूप में जा सकता हूँ, परन्तु भारत में मैं एक तीर्थयात्री हूँ।” उनका यह कथन महात्मा गाँधी के इस कथन से मिलता-जुलता है, “हम एक ग्रामीण सभ्यता के उत्तराधिकारी हैं। हमारे देश की विशालता, जनसंख्या का विस्तार, देश की अवस्थिति और जलवायु, मेरे विचार में ये सभी इसे एक ग्रामीण सभ्यता बनाते हैं।” ग्रामीण भारत के पास लोगों को देने के लिये बहुत कुछ है। इन क्षेत्रों की पहचान करने और इस क्षेत्र में पर्यटन की सम्भावनाएँ खोजने के लिये केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के एकजुट प्रयासों की आवश्यकता है। देश में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। ऐसा करने पर ही ग्रामीण पर्यटन का विस्तार और विकास हो सकता है।
लेखक परिचय
मधुरा रॉय
लेखिका भारतीय सांख्यिकी सेवा से सम्बद्ध हैं और वर्तमान में नीति आयोग, नई दिल्ली में वरिष्ठ अनुसन्धान अधिकारी हैं। ईमेल : madhuraroy@gmail.com
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