ऐसे कई आरोप हैं कि भारत में अनुवांशिक रूप से संवर्धित खाद्य फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। भारत में किन-किन स्थानों पर, कौन-कौन सी जीएम फसलों की खेती करने का आरोप है, यह सब जानने के लिये अनिल अश्विनी शर्मा ने व्यापक स्तर पर लोगों से विशेषज्ञों से बात की और कानूनी दस्तावेज खंगाले।
देश में अनुवांशिक रूप से सम्बन्धित खाद्य फसलों की खेती करने की अनुमति नहीं है। परन्तु व्यापक स्तर पर ऐसा आरोप लगाया जाता है कि पूरे देश में कई जीएम (अनुवांशिक रूप से संशोधित) खाद्य फसलों की खेती की जा रही है। जीएम खाद्य फसलों पर प्रतिबन्ध के बावजूद, 2005 में हैदराबाद स्थित सेल्यूलर एंड मॉलेक्यूलर बॉयोलॉजी संस्थान के संस्थापक पुष्पा मित्रा भार्गव ने आरोप लगाया कि ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई है जिनमें कहा गया है कि भारत किसानों को विभिन्न जीएम खाद्य फसलों की कई किस्में बेची जा रही हैं। 2008 में लेखक अरुण श्रीवास्तव ने लिखा कि भारत में अवैध रूप से जीएम भिंडी जीएम बैंगन, जीएम आलू, जीएम चावल व जीएम टमाटर का खुले रूप से 2006 में परीक्षण किया गया। इस पर रोक लगाने की जनहित याचिका (नम्बर 206, 2006) सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थी। तब उन्होंने लिखा कि पूरे देश में 151 जीएम फसलों का 1,500 से अधिक स्थानों पर खुले में परीक्षण चल रहा है।
उन्होंने 11 जुलाई, 2008 को लिखे एक लेख में बताया कि उन्हें पश्चिम बंगाल कृषि विश्व विद्यालय का एक दस्तावेज मिला जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि जीएम भिंडी व जीएम मिर्ची लगाई गई थी। 2014 में, पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि उसे बांग्लादेश से बीटी बैंगन बीज के व्यावसायिक रूप से घुसपैठ की जानकारी मिली है। उस समय राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कृषि सलाहकार प्रदीप मजूमदार ने कहा, व्यावसायिक बीजों की घुसपैठ कराई जा सकती है। हो सकता है कि इनकी तस्करी भी की जा चुकी हो। हमें स्थानीय व स्वदेशी प्रजातियों पर बीटी बैंगन के विभिन्न प्रभावों का पता लगाना है, अन्यथा किसानों को नुकसान झेलना पड़ेगा।
सोयाबीन- भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा कि जीएम सोयाबीन बीज से महाराष्ट्र के विदर्भ (यवतमाल, अकोला, वर्धा, अमरावती) व मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र (मंदसौर व नीमच) में बड़े पैमाने पर खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय किसान संघ ने 7 नवम्बर, 2017 को गुजरात के अरावली जिले के मोदासा तहसील में तीन गाँवों में गैर कानूनी तरीके से हर्बिसाइड टॉलरेंट (herbicide tolerant - HT) सोयाबीन का उत्पादन करने वाले किसानों को पकड़ा। इसकी सूचना राज्य के कृषि विभाग को दी तो विभाग ने जाँच की और दीवाली के दिन जीएम सोयाबीन के बीज बरामद किये। दो किसानों के खिलाफ एफआरआई दर्ज (7 नवम्बर, 2017) की गई है। इण्डिया फॉर सेफ फूड के संयोजक रोहित पारिख ने बताया कि गुजरात में काफी समय से एचटी जीएम सोयाबीन का उत्पादन किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि कोयम्बटूर (तमिलनाडु में भी जीएम सोयाबीन में गैर कानूनी तरीके से उगाया जा रहा है।
सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र के बसंत राव नाइक श्वेतकारी स्वावलम्बन मिशन के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने कहा है कि पिछले तीन सालों (2015-17) से यवतमाल क्षेत्र में लगातार एचटी सोयाबीन की खेती हो रही है।
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष व सांसद राजू शेट्टी का भी कहना है कि जीएम सोयाबीन विदर्भ के चारों जिलों में उगाया जा रहा है।
भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र मुम्बई (bhabha atomic research centre mumbai) के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक शरद पवार कहते हैं कि जीएम सोयाबीन का महाराष्ट्र में एक भी ऐसा संस्थान नहीं है, जहाँ एचटी सोयाबीन का परीक्षण किया जा सके। इसके बावजूद यह राज्य के कम-से-कम चार जिलों से गैर कानूनी रूप से उगाने की लगातार सूचनाएँ आती रहती हैं। वह कहते हैं इस सूचना का आधार तब और मजबूत हो जाता है जब स्वदेशी जागरण मंच ने बीते साल (2017), अक्टूबर से नवम्बर के बीच एचटी सोयाबीन बीज का उपयोग करने वाले सात किसानों को पकड़ा। यह मामला अभी नागपुर की अदालत में है।
पवार ने कहा महाराष्ट्र में 21 मई, 2015 में स्वदेशी जागरण मंच सहित आधा दर्जन संगठनों के विरोध के कारण सात जीएम फसलें, जैसे चावल, मक्का, काबुली चना आदि के परिक्षण पर राज्य सरकार की जीएम फसलों की तकनीकी समिति ने रोक लगा दी थी। अखिल भारतीय किसान सभा (akhil bhartiya kisan sabha) के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने बताया कि जीएम सोयाबीन के पंजाब के बठिंडा जिले में लगाने के प्रमाण भी मिले हैं। जीएम सोयाबीन की आन्ध्र प्रदेश के प्रकासम व श्रीकाकुलम जिलेे में तथा तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में भी गैर कानूनी तौर पर खेती की जा रही है। यह बात तमिलनाडु के पलगिन नन्बरगन संगठन के कानूनी सलाहकार समिति के सदस्य वेटी सेल्वम व राज्य के किसान नेता पी.अय्याकानू ने कही।
मक्का
बिहार के भागलपुर, खगड़िया, सीतामढ़ी और समस्तीपुर में जीएम मक्का बीज का उपयोग दो साल से हो रहा है। अंजान कहते हैं कि इन राज्यों में यह बीज मोनसेंटो द्वारा गैर कानूनी तरीके से उपलब्ध कराया जा रहा है। 2018 की रबी फसल में मक्के की खेती भागलपुर जिले में की गई लेकिन मक्के की बाली में एक दाना नहीं आया। जिले में तेलगी गाँव के किसान राजेन्द्र सिंह बताते हैं कि मक्के का पौधा बड़ा हो गया, लेकिन उसकी बाली में दाने गायब हैं। जिले के मकंदपुर गाँव के किसान रामजीवन सिंह ने बताया कि मैं पिछले दो साल से मक्का लगा रहा हूँ लेकिन इस बार (2018) मेरी मक्के की खेती चारा बन गई और मुसीबत कि जीएम फसल के अवशेष को जानवर न के बराबर खाते हैं।
अंजान ने बताया कि इसी प्रकार मध्य प्रदेश के सतना, रीवा व सीधी में भी जीएम मक्का बीज उपयोग में लाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में इण्डियन काउसिंल अॉफ एग्रीकल्चर रिसर्च (indian council of agriculture research) की शाखा के प्रमुख वैज्ञानिक अनिल दीक्षित कहते हैं कि जीएम मक्का बीज का उपयोग करने से उत्पादन तो बढ़ता है लेकिन मैं इसे न्यूट्रिशन वैल्यू के बारे में जानकारी शेयर नहीं कर सकता। वड़ोदरा के जतन ट्रस्ट (jatan trust) के संस्थापक कपिल शाह ने बताया कि गुजरात राज्य सरकार के कृषि मंत्री दिलीप सिंघानिया ने अमरिकी कम्पनी मोनसेंटो द्वारा राज्य के आदिवासियों को जीएम मक्का का बीज बाँटने पर 26 अप्रैल, 2012 को रोक लगा दी। लेकिन कम्पनी ने इसके पहले आदिवासी जिलों जैसे छोटा उदयपुर, अरावली, दाहोद, नर्मदा, डांग और तापी में लगभग 5 लाख आदिवासी किसानों को मक्के के बीज बाँट दिये। यह बीज सरकारी वन बंधु कल्याण योजना के अन्तर्गत 2008 से बाँटे जा रहे थे।
भिंडी
बुंदेलखण्ड के इलाके में जन-जल जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने बताया कि इस इलाके में जीएम भिंडी लगाने की बात एक साल से आ रही है। वह कहते हैं, झाँसी, ललितपुर व मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ और छतरपुर में चोरी-छुपे जीएम भिंडी का उत्पादन किया जा रहा है। वह कहते हैं, जीएम भिंडी का गैर कानून तरीके से उपयोग मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और गुजरात में किया जा रहा है।
सरसों
युद्धवीर सिंह के अनुसार, जीएम सरसों बीज पंजाब, राजस्थान (जयपुर) व पश्चिम बंगाल में उपयोग किये जाने की सूचना है। जीएम सरसों पर शोध करने वाले पवार ने बताया कि मैं यह दावे से कह सकता हूँ कि जीएम सरसों के बीज का उपयोग भारत में गैर कानूनी तरीके से हो रहा है। पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश में इसकी खेती की जा रही है। इस सम्बन्ध में तमिलनाडु एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय (Tamilnadu agriculture university) में प्लांट जेनेटिक रिसोर्स डिपार्टमेंट के प्रमुख गनेश राम कहते हैं कि जीएम सरसों पर शोध चल रहा है और यह अपने अन्तिम पड़ाव पर है। जीएम सरसों के शोध से संकेत मिलते हैं कि इसका प्रभाव मानव पर नहीं बल्कि कीट पतंगों यानी मधुमक्खी, तितली और पतंगों पर अधिक दिखता है।
बैंगन
उत्तर प्रदेश के झाँसी, ललितपुर व मध्य प्रदेश के टीकमगढ़-छतरपुर में जीएम बैंगन की सूचना पिछले दो-ढाई साल से आ रही है। यह बात संजय सिंह ने कही। अंजान ने कहा, इन इलाकों के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखण्ड में भी तेजी से जीएम बीटी बैंगन बीज का उपयोग किया जा रहा है। चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय में शोध कर रहे अनिल चौधरी ने बताया कि पश्चिम बंगाल के मिदिनापुर व दक्षिणी व उत्तरी 24 परगना जिले में जीएम बैंगन की फसल गैर कानूनी तरीके से लगाई जा रही है।
चावल
सिंह ने बताया कि नवम्बर, 2008 में हमने करनाल में एक कम्पनी द्वारा जीएम चावल की गैर कानूनी तरीके से किये जा रहे ट्रायल को पकड़ा था। इस कम्पनी ने राज्य सरकार के कृषि अधिकारी को इस ट्रायल के बारे में जानकारी नहीं दी थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने हम पर ही मुकदमा दायर कर दिया और मामला अब तक हम पर चल रहा है। वे कहते हैं कि जीएम चावल हरियाणा के करनाल के अलावा कई और जिलों में उपयोग किया जा रहा है। इसकी जानकारी अभी मेरे पास नहीं है। यही नहीं उन्होंने कहा जीएम चावल आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद में भी गैर कानूनी तरीके से लगाया जा रहा है।
मिर्ची
अकुल अंजान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में झाँसी के दो, ललितपुर के तीन और मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ और छतरपुर के एक-एक गाँव में जीएम मिर्ची लगाई जा रही है। किसानों की उपज पर पीएचडी कर रहे अनिल चौधरी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के उक्त इलाकों के अलावा भी जैसे बांदा और मध्य प्रदेश के सागर व दामोह जिले में जीएम मिर्ची गैर कानूनी तरीके से उगाई जा रही है।
गोभी
अनिल चौधरी ने बताया कि 9 दिसम्बर, 2014 उत्तर बागपत जिले के 6 गाँव में जीएम गोभी की फसल का मामला प्रकाश में आया। डॉक्टर कम्पनी ने 1,200 एकड़ के खेत में जीएम गोभी की फसल लगवाई लेकिन गोभी का पौधा तो निकला लेकिन फूल नहीं। ऐसे में किसानों ने हंगामा किया। आखिरकार कम्पनी को किसानों को मुआवजा देना पड़ा।
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